बिलासपुर। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय ने केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में उन्नयन के बाद आज दिनांक 15 जनवरी 2016 को सातवां स्थापना दिवस मनाया। स्थापना दिवस समारोह 2016 के अवसर पर रजत जयंती सभागार में प्रात: 11 बजे से “वैश्विक परिप्रेक्ष्य में उच्च शिक्षा की बदलती चुनौतियां एवं विश्वविद्यालयों की भूमिका” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य डॉ.(श्रीमती) पुष्पा दीक्षित, निदेशक, पाणिनी शोध संस्थान, बिलासपुर रहीं। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रभारी कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह ने की। समारोह की मुख्य अतिथि पाणिनी शोध संस्थान, बिलासपुर, की निदेशिका डॉ. पुष्पा दीक्षित ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य चरित्र निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि वो शिक्षक ही हैं, जो युवाओँ को चरित्र निर्माण के साथ राष्ट्र निर्माण के पथ पर ला सकते हैं। उन्होंने प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की वकालत करते हुए कहा कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि भारत विश्व गुरु रहा है।
डॉ. दीक्षित ने जोर देकर कहा कि हमें भाषा, राष्ट्र और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए जिसकी वजह से पूरी दुनिया हमारा लोहा मानती है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों को और ज्यादा स्वतंत्रता मिलनी चाहिए ताकि वे शिक्षा के मूल उद्देश्यों के प्राप्ति के लिए पूरी शिद्दत के साथ जुड़ सकें।डॉ. दीक्षित ने कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली में शासन का शिक्षण संस्थान पर दबाव होता है जबकि युवाओँ के वैचारिक उत्थान एवं स्वयं की शक्ति को पहचानने की कला को विकसित करने के लिए शिक्षण संस्थानों का दबाव शासन पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली से मूल्य आधारित शिक्षा गायब सी हो गई है जिसे दोबारा स्थापित करना परम आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मनुष्य को यंत्र बनाने वाली शिक्षा प्रणाली चल रही है जबकि दुनिया में मानव को मानव बनाने वाली शिक्षा प्रणाली ही होनी चाहिए। प्रभारी कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह ने डॉ. पुष्पा दीक्षित का शॉल एवं श्रीफल देकर सम्मान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रभारी कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह ने कहा कि शिक्षा का लक्ष्य गुण-दोष के बीच अंतर स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा सहयोग, समन्वय और क्रियान्वयन के बीच तादाम्य स्थापित करती है। स्थापना दिवस के पावन अवसर पर उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय लगातार प्रगति पथ पर आगे बढ़ रहा है और कार्यों का सफलतापूर्वक संपादन सभी के सहयोग से ही संभव हो पाता है।