बिलासपुर। संभागायुक्त बोरा ने डी.पी.विप्र महाविद्यालय परिसर में आयोजित संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति व्याधि निदान के साथ व्यक्ति के आयु को भी बढ़ाता है। श्री बोरा ने कहा कि ऐसा माहौल बनायें कि विरासत के इस ज्ञान को आगे ले जा सकें, जिसकी आज आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की तरह आयुर्वेदिक ग्राम को भी आगे बढ़ाने के लिए प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने आयुर्वेदिक महाविद्यालय को 10 आयुर्वेदिक ग्राम गोद लेकर उनके उद्देश्यों आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के ज्ञान को प्रत्येक ग्रामों तक ले जाने हेतु प्रयास करने की आवश्यकता बताई।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का लोकव्यापीकरण की जरूरत है। सुश्रुत के पंचकर्म पर आधारित यह चिकित्सा पद्धति आम लोगों के लिए सहज-सरल और उपयोगी हो सकता है। संभागायुक्त सोनमणि बोरा ने आज शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सा महाविद्यालय बिलासपुर द्वारा आयोजित आयुर्वेदिक वैज्ञानिक संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे। संभागायुक्त बोरा ने बताया कि जीवन शैली एवं खान-पान में जो विकार होता है वह शरीर में व्याधि बनकर दिखता है। इसके लिए प्रकृति के अनुकूल जीवन-यापन की सलाह दी। आयुर्वेद के छात्र गुरू परंपरा के अनुरूप शिक्षा ग्रहण करें। तत्सम से तद्भव की तरह सहज-सरल स्वरूप मेें इसे फैलाने की जरूरत है।
कलेक्टर अन्बलगन पी. ने अपने संबोधन में कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा हमारी प्राचीन पद्धति है। इसमें पर्याप्त शोध की आवश्यकता है। इस संगोष्ठी का उद्देश्य भी आयुर्वेदिक के ज्ञान को ग्रहण कर उसे स्थानान्तरित करने की है। इस तरह की विशिष्ट सेमिनार एक शुरूआत है। वैदिक पंरपरा के क्रियाकाल के ज्ञान को यह आदान-प्रदान करने का अच्छा मौका है। वर्तमान समय में सिस्टम आॅफ मेडिसिन में जितना ज्ञान मिलता है, उससे अधिक ज्ञान आयुर्वेदिक पद्धति में विद्यमान है। हम इस पद्धति के ज्ञान का शोध कर उसका लाभ जनसामान्य को दें सके। उन्होंने कहा कि इस पद्धति का ज्ञान आंतरिक व्याधि को जड़ से समाप्त करने की अचूक विधि है। जरूरत इस पद्धति को प्रोत्साहित करने की है। कलेक्टर ने बताया कि वर्तमान में आयुर्वेदिक महाविद्यालय संचालन के लिए भवन उपलब्ध कराया जायेगा। इसके लिए नगर निगम द्वारा प्रस्ताव पारित कर दिया गया है।