बिलासपुर(करगीरोड)।विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार वर्ष 2012 में सिर्फ 0.1 प्रतिषत शोधार्थियों को ही पीएचडी अवार्ड की गई थी, यह आंकड़े बेहद निराशाजनक है। हम पीएचडी को नौकरी में प्रमोशन और इंक्रीमेंट का साधन न समझकर देश व समाज की उपयोगिता का लक्ष्य मानें। शोध को अपने देश और समाज की जिम्मेदारी समझ कर पूरा करें। इससे आप देश और दुनिया में अपनी पहचान बना सकेंगें। सही मायने में शोधार्थी ही देश को प्रगति के रास्ते में ले जाने वाले सच्चे वाहक होते है।
यह विचार डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ.आर.पी.दुबे ने विश्वविद्यालय में आयोजित पीएचडी परिचय सम्मेलन में शोधार्थियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। डाॅ. दुबे ने शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में रिसर्च ऐसा होना चाहिए जो बाजार या समाज की जरूरत है। हर शोधार्थी को यह तय करना होगा कि शोध के निश्कर्श से हम समाज को क्या दे सकते। शोध से कौन सी नई बात हम दुनिया के सामने रख सकते हैं। ऐसे ही विषयों और तथ्यों का समावेश शोध में होना चाहिए, तभी वह शोध सार्थक होगा। डाॅ.दुबे ने कहा कि हम सब कि जिम्मेदारी है यदि हम पीएचडी की पढ़ाई तक पहुंचे हैं तो हम समाज की उपयोगिता और मनुष्य के लाभ को लक्ष्य मानकर ही शोध करें। न कि व्यक्तिगत लाभ के लिए। डाॅ. दुबे ने बताया कि शोध के लिए अपना एक नजरिया होना चाहिए। यही नजरिया कुछ अलग करने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि इसी नजरिए के कारण ही बिना पढ़े-लिखे लोग भी बड़े शोध करके देश-दुनिया में नाम कमा रहे हैं। इसके साथ उनके शोध से समाज के विकास में नई दिशा मिल रही है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में शोधार्थियों के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। जिससे वे अपने शोध में और भी बेहतर काम कर सकते है। शोधार्थियों को इसका लाभ लेना चाहिए। परिचय सम्मेलन में सभी विभागों के विभागध्यक्ष,प्राध्यापक, अधिकारी-कर्मचारी और बड़ी संख्या में षोधार्थी उपस्थित थे।
कौशल विकास में हो शोध-कुलसचिव
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेश पाण्डेय ने शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि डाॅ.सी.वी.रामन् विष्वविद्यालय प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है जहां यूजीसी ने पंडित दीनदयाल कौशल केंद्र स्थापित करने की अनुमति प्रदान की है। इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने इस कौषल केंद्र को राज्य का रिसोर्स सेंटर बनाया है। यह प्रदेष का पहला विश्वविद्यालय है जहां कौशल विकास केंद्र और साथ ही राज्य का रिसोर्स सेंटर भी बनाया गया है। यहां बी.वोक. और एम वोक की पढ़ाई कराई जाती है। जिसमें रिटेल मैनेजमेंट, आईटी और मैन्युफेक्चरिंग विषय हैं जो अपने आप में बड़े विषय हैं। यह शोधार्थियों के लिए सुनहरा अवसर है कि वे कौशल विकास के इन क्षेत्रों में अपना शोध विषय तय कर सकते हैं। इससे वे पहले शोधार्थी बन जाएंगें जिन्होंने कौशल को अपना विशय बनाया और शोध पूरा किया।
शोधार्थी के समर्पण से शोध पूरा होगा-डाॅ.नायक:-
परिचय सम्मेलन की शुरूआत में रिसर्च डायरेक्टर डाॅ.पी.के.नायक ने शोधार्थियों से कहा कि जिस देश में जितने ज्यादा शोध होंगें वह देश उतना ही प्रगति करेगा। शोधार्थी ही देश को प्रगति के रास्ते में ले जाने वाले वाहक होते है। डाॅ. नायक ने शोधार्थियों को कोर्स वर्क के बारे में बताया। डाॅ. नायक ने शोधकार्य में कोर्स वर्क के महत्व को समझाते हुए उसे तैयार करने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डाॅ. नायक ने कहा कि रिचर्स वर्क से पहले थ्योरी नाॅलेज के लिए कोर्स वर्क किया जाता है। जो बेहद महत्वपूर्ण है।