अस्थमा मरीजों का निशुल्क परीक्षण..डॉ सिहारे

BHASKAR MISHRA
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IMG_20160501_113823  IMG_20160501_113809बिलासपुर—निराला नगर स्थित डॉ.सिहारे चिल्ड्रन अस्पताल में डॉक्टर प्रदीप सिहारें ने अस्थमा रोगियों  का परीक्षण किया। सुबह से लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली। डॉ.प्रदीप सिंहारे ने बताया कि तीन मई को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। आज रविवार होने के कारण अस्थमा रोगियों का परीक्षण और उपचार किया जा रहा है। डॉ.सिहारे ने बताया कि पिछले 22 साल से महीने के पहले या सुविधानुसार किसी भी रविवार को क्लिनिक में अस्थमा रोगियों का निशुल्क इलाज किया जाता है।

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                            चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ.प्रदीप सिहारे के क्लिनिक में आज अस्थमा रोगियों का निशुल्क ईलाज किया गया। डॉ.प्रदीप सिंहारे ने बताया कि अस्थमा रोगियों का निशुल्क इलाज पिछले 22 साल से प्रत्येक महीने के पहले या सुविधानुसार किसी भी रविवार को किया जाता है। उन्होने बताया कि अस्थमा को नियमित इलाज की जरूरत होती है। यह कई प्रकार का हो सकता है। दूर दराज से लोग उनके पास इलाज कराने बच्चों को लेकर आते हैं। महीने में एक दिन सभी रोगियों का एक साथ परीक्षण किया जाता है। समस्याओं के निदान और रोग से संबधित जानकारी दी जाती है।

                                  डॉ.सिहारे ने बताया कि अस्थमा के वास्तविक कारणों को लेकर चिकित्साजगत लगातार काम कर रहा है।एलर्जी और आन्तरिक कारणों के संयोग से ही अस्थमा बिमारी होती है। सिहारे ने बताया कि धूल धुंआ चारो तरफ है लेकिन सभी को अस्थमा की शिकायत नहीं होती। इसकी मुख्य वजह सबकी शारीरिक क्षमता अलग-अलग होती है। लेकिन अभी तक यही मानकर चला जारहा है कि जिस वस्तु या कारणों से एलर्जी होती है वही अस्थमा का कारण है।

                   IMG_20160501_113835  डॉ प्रदीप सिहारे ने बताया कि साल में एक बार विश्व अस्थमा दिवस यानी तीन मई या उसके आस-पास की किसी भी तारीख को हम लोग अस्थमा रोग के निदान और उपचार को लेकर निशुल्क शिविर का आयोजन करते हैं। आज हम लोगों ने उसी प्रक्रिया के तहत अस्थमा रोगियों का इलाज किया है।  शिविर में उन सभी रोगियों को भी बुलाया जाता है जो पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। उनका भी निशुल्क परीक्षण किया जाता है। यदि उनमें  अस्थमा की संभावना होती है तो इलाज भी किया जाता है। सिहारे ने बताया कि अस्थमा का इलाज यदि अनुशासन के साथ किया जाए तो ठीक हो जाता है। अभी तक हमारे यहां से करीब सत्तर प्रतिशत मरीज अस्थमा से छुटकारा पा चुके हैं। लापरवाही से अस्थमा पुराने मरीज को भी हो सकता है। इसलिए ऐसे लोगों का शिविर में स्पाइरोमीटर से जांच की जाती है।

                डॉ.सिहारे ने बताया कि हमारे यहां ऐसे भी मरीज आते हैं जिनके माता पिता को अस्थमा की शिकायत थी। बाद में वे ठीक हो गए। अब बच्चों को लेकर आते है। अस्थमा जन्मजात भी हो सकता है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि बच्चों के माता पिता में अस्थमा की शिकायत हो। बच्चों में अस्थमा की सर्वाधिक संभावना पांच से सात साल की उम्र में होती है। लेकिन नियमित इलाज से उन्हें ठीक कर लिया जाता है। ऐसा होता भी है। पांच साल के भीतर अस्थमा का मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाता है। बावजूद इसके समय समय ऐसे मरीजों का जो ठीक हो चुके हैं परीक्षण करवाते रहना चाहिए।

                                  उन्होंने बताया कि आज शिविर में सैकड़ों लोगों का इलाज किया गया। इनमें से कुछ पुराने मरीज भी शामिल हैं। कुछ मरीज तो पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। फिर भी उन्होने अपना करवाया है।

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