बिलासपुर— कोयले की दलाली एक बार फिर शुरू हो गयी है। आईजी पवन देव के हटते ही कोयला दलालों ने अवैध व्यापार की चांदी काटना शुरू कर दिया है। हिर्री,सरगांव और चकरभाठा थाना प्रभारी भी बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं। माइनिंग विभाग को कोयला तस्करों से किसी प्रकार की परेशानी नहीं है। माइनिंंग की मानें तो शिकायत मिलने पर कार्रवाई होगी। यह अलग बात है कि वे खुली आंख से कोयले में अफरा तफरी का खेल देख रहे हैं…लेकिन कार्रवाई के लिए उन्हें लिखित शिकायत की जरूरत है। इससे जाहिर होता है कि सिस्टम में कुछ तो गड़बड़ है।
आईजी पवन देव के हटते ही कोयला अफरा-तफरी का खेल शुरू हो गया है। कोयला कारोबारियों के सिर से खौफ का साया भी हट गया है। पवनदेव के खौफ से दो साल तक कोयला माफियों ने या तो दुकानदारी को बढ़ा दिया था। य़ा फिर घने जंगलों में बाजार सजा लिया। कई लोगों ने तो संभाग ही छोड़ दिया। लेकिन अब एक बार फिर कोयला माफिया सक्रिय हो गए हैं। जगह- जगह प्लाट खोलकर अच्छे कोयले को अनलोड और डोलोमाइट गिट्टी को अपलोड कर रहे हैं। स्थानीय थाना प्रभारी आंख पर पट्टी बांधकर सब कुछ ठीक होने का दावा कर रहे हैं।
मात्र दो महीने में ही खरकेना क्षेत्र में कोयला प्लाट की बाढ़ आ गयी है। आईजी पवन देव के समय यदा-कदा प्लाट से महीने में दो चार ट्रक कोयला चोरी छिपे निकल जाया करता था…अब दिन में ही दो-चार गाड़ियां धड़ल्ले से निकल रही हैं। सैकड़ों अपंजीकृत मजदूरों की जान जोखिम में है। कोयला माफिया बिना किसी सुरक्षा के ट्रकों से कोयला उतरवा और चढ़वा रहे हैं।
पवन देव के समय खरकेना स्थित वीरान कई प्लाट में अब कोयले का पहाड़ खड़ा हो गया है। कोयला व्यवसायी मनोज अग्रवाल के सुपरवाइजर ने बताया कि पुराने आईजी का समय हमारे लिए बुरा गुजरा। देव के जाने के बाद कोयला व्यवसाय में तेजी आयी है। मजदूरों की रोजी रोटी और सेठ के चेहरे पर रौनक लौट आयी है।
बातों ही बातों में उसने बताया कि दो एक दिन में दो एक ट्रक कोयला देर रात या अल सुबह प्लाट में उतरता है। मजदूर कोयले को मिक्स करते हैं। पास में खड़े ट्रक की ओर इशारा करते हुए उसने बताया कि ओव्हर लोडिंग का सवाल ही नहीं उठता। हमारे पास पिट पास है। माइनिंग के दिशा निर्देश पर काम करते हैं। बेशक सबको ओव्हर लोड कोयला दिखाई दे…लेकिन हमने ट्रक में उतना ही कोयला भरा है जितने की अनुमति है। हां…दो एक टन कोयला ज्यादा हो सकता है लेकिन उसका कोई महत्व नहीं है।
सीजी वाल को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मनोज अग्रवाल के प्लाट से रोजाना देर रात और कभी-कभी सुबह ट्रकों से अवैध कोयला उतारा जाता है। इसके एवज में ट्रक चालक को पैसा दिया जाता है। अच्छे कोयले में गिट्टी और घटिया कोयला मिक्स कर मांग के अनुसार ट्रक में भरा जाता है। ओव्हर लोडिंग कर परिवहन नियमों की जमकर धज्जियां उडाई जाती है।
मौके पर पहुंचकर सीजी वाल की टीम ने देखा कि कोयला कारोबार में कोयला तोड़ने से लेकर लोडिग अनलोडिंग में अपंजीकृत महिला और पुरूष मजदूरों से काम लिया जा रहा है। इस दौरान उन्हें किसी प्रकार की सुरक्षा नहीं दी गयी है। एक महिला मजदूर ने बताया कि सुरक्षा की चिंता से पहले उन्हें पेट की आग से गुजरना पड़ता है। रात हो या दिन पेट की आग बुझाने के लिए सही या गलत जो भी है हमें करना ही होता है। महिला मजदूर ने बताया कि पुलिस वाले भी आते हैं…लेकिन कोयला प्लाट देखने और सेठ से मिलने के बाद लौट जाते हैं।
बहरहाल इस समय मनोज अग्रवाल के प्लाट में क्षमता से अधिक कोयला डम्प है। माइनिंग अधिकारियों के अनुसार कोयला कितना डंप है इसका आकलन थोड़ा मुश्किल है। बावजूद इसके यदि शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।
कोयले का खेल बेशक काला हो लेकिन परिणाम बहुत फायदेमन्द होता है। कोयला माफिया किसी स्थान विशेष जगह से परिवहन करने वाले ट्रक ड्रायवरों से मिली भगत कर कोयला अपने प्लाट में निश्चित मात्रा में डंप करवाते हैं। एवज में ट्रक चालकों को पैसे का भुगतान करते हैं। ट्रक से निकाले गए कोयला के बराबर घटिया कोयला और डोलोमाइलट अपलोड किया जाता है। स्याह रात में डंप अच्छे कोयले को मनमानी दाम पर कोयला माफिया दिन के उजाले में बेचते हैं। मनोज अग्रवाल के प्लाट में भी सीजी वाल की टीम ने ऐसा ही कुछ होते देखा है।
जारी है….