संसाधनों को बेच रही है छत्तीसगढ़ की सरकार

Chief Editor
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rc_post                                            (रुद्र अवस्थी)

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    “जैसे कोई बड़ा किसान अपनी जमीन बेचते जाए और उस पैसे से बंगला बनवा ले, गाड़ी खरीद ले तो उसे लगता है कि उसके घर में खुशहाली है…।लेकिन आम लोग समझ जाते हैं कि यह किसान अब धीरे-धीरे दीवालिया हो रहा है…अपनी संपत्ति बेच रहा है…।उसकी बजाय अगर कोई किसान अपनी खेती से पैदा करता है…अर्न करता है और अपनी आमदनी से घर – मकान बनवाता है तो लोग समझते हैं कि यह धीरे-धीरे खुशहाल हो रहा है।…छत्तीसगढ़ में यही हो रहा है…हम अपनी धरती बेच रहे हैं…खदान बेच रहे हैं…अपना जंगल, पानी बेच रहे हैं…। यह सरकार संसाधन बेचकर राजस्व कमाने में ही विश्वास कर रही है…। “

                                        ऐसा मानते हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे…।छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण को लेकर रवीन्द्र चौबे की  ओर से  पेश किया गया अशासकीय मध्यप्रदेश विधानसभा में पारित हुआ था और जिन्होने सामान्य प्रशासन मंत्री की हैसियत से मध्यप्रदेश विधानसभा में छत्तीगढ़ निर्माण के लिए शासकीय प्रस्ताव पेश किया था।इसीलिए छत्तीसगढ़ के स्थापना दिवस के मौके पर सीजीवाल ने उनसे बातचीत की। जब उनसे CGWALL.COM ने पूछा  कि जिन सपनों को लेकर न्होने अपना संकल्प और प्रस्ताव पेश किया था, पन्द्रह बरसों में उनका क्या हुआ तो वे काफी व्यथित हो जाते हैं।

                                        रवीन्द्र चौबे कहते हैं कि छत्तीसगढ़ की अपनी अस्मिता और पहचान रही है।यह प्राकृतिक संसाधनों से भरा-पूरा इलाका रहा है। मध्यप्रदेश के समय सरकार में रहते हुए भी हमको लगता था कि छत्तीसगढ़ के साथ न्याय नहीं हो पा रहा है। और छत्तीसगढ़ बनने के बाद विकास को लेकर हमारी जो कल्पना थी,उसकी शुरूआत तो हुई।अब विकास को लेकर विजन अलग-अलग है…।आप विकास को किस तरह से देखना चाहते हैं यह सरकार के ऊपर निर्भर करता है। दुर्भाग्य से हम लोग पन्द्रह साल सरकार  से बाहर हो गए। अन्यथा आज भी हिंदुस्तान में छत्तीसगढ़  सबसे सम्पन्न, सबसे समृद्ध और सबसे खुशहाल इलाका है।आज भी पूरे हिंदुस्तान को अन्न और विद्युत-उर्जा के मामले में ताकत दे सकने में समर्थ एरिया है। इसलिए हम चाहते थे कि छत्तीसगढ़ राज्य बने और छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ के रहने  वालों की हुकूमत चले।

                                      रवीन्द्र चौबे आगे कहते हैं कि आज स्थिति यह है कि हमारे प्रदेश छत्तीसगढ़ का बजट 80 हजार करोड़  तक पहुंच गया है। उसके बाद भी छत्तीसगढ़ के विकास का मूल बेस लाइन कहीं पीछे छूट गया है। तरक्की की बेसलाइन में आम आदमी को होना चाहिए – लेकिन उसे छोड़कर मौजूदा सररकार विकास के रूप में अन्य बातों को ले रही है।  छत्तीसगढ़ में अगर बड़े –बड़े पूंजीपतियों- उद्योगपतियों का विकास हो रहा है तो यह मूल रूप में छत्तीसगढ़ का विकास नहीं है। छत्तीसगढ़ की खेती का विकास होना चाहिए।छत्तीसगढ़ के पानी का हिस्सा यहां के सिसानों को मिलना चाहिए।छत्तीसगढ़ की बिजली का हिस्सा यहां की आम जनता को मिलना चाहिए।(सीजीवाल)छत्तीसगढ़ में बड़े-बड़े पार्क बनाने की योजना थी। जिसके तहत इंडस्ट्रियल पार्क, इंजिनियरिंग पार्क, ज्वैलरी पार्क, टैक्सटाइल पार्क, आईटी पार्क,फुड पार्क बनाया जाना था।दुर्भाग्य से मौजूदा सरकार एक भी बड़ी योजना का क्रियान्वयन नहीं कर पाई है। मूल रूप से जिन चीजों की जरूरत है, उसका भी इँतजाम सरकार नहीं कर पाई है। गरीबों के लिए एक भी बड़ा अस्पताल न बना पाई –ऩ ला पाई।एक भी बड़ा एजुकेशन इँस्टीट्यूट नहीं बन पाया। विकास की दिशा में हम लोगों की जो कल्पना थी , उससे कोसों दूर हैं।दरअसल  विकास को लेकर सरकार का ध्यान – विजन ही बदल गया। सरकार का विजन हो गया कि यहां के संसाधनों को लुटा दो…।यहां आयरन ओर…कोयला, बाक्साइट सब कुछ है…।इतने अच्छे किस्म का बाक्साइट है कि खदान से निकालकर सीधे फैक्ट्री में डाल दो तो सीधे 53 परसेंट एल्युमिनियम निकल आता है। सरकार लेकिन सब कुछ बेचने का काम कर रही है…उसी तरह जैसे कोई बड़ा किसान अपनी जमीन बेचकर खुहाली की झूठी कल्पना करता है।

                                      जब CGWALL.COM  ने पूछा कि छत्तीसगढ़ की बागडोर किस तरह के लोगों के हाथों में आनी चाहिए तो रवीन्द्र चौबे बोलते हैं कि छत्तीसगढ़ में अभी जो सरकार है, वह चंद – पुराने ब्यूरोक्रेट्स के हाथों कठपुतली बनी हुई है।जिनका उद्देश्य छत्तीसगढ़ का विकास करना नहीं है। बल्कि यही सोचते हैं कि धनार्जन कैसे करना है। जब अर्थ की बात आती है तो जिस तरह का काम होना चाहिए वैसा हो रहा है। और कुछ उद्योगपतियों के इशारे पर छत्तीसगढ की राजनीति चलने लगी है। लेकिन अभी भी छत्तीसगढ़ के लिए विकास की अपार संभावनाएं हैं।  आज भी छत्तीगढ़ के बेस लाइन के लोगों को – छत्तीसगढ़ के प्रति प्रेम करने वालों को अच्छा मौका मिल जाए तो हम विकास के मामले में गुजरात- हरियाणा से आगे निकल सकते हैं।

छत्तीसगढ निर्माण में एक संयोग

                                         छत्तसीगढ़ राज्य निर्माण को लेकर मध्यप्रदेश विधानसभा में कई अशासकीय संकल्प पेश किए गए थे। लेकिन 1996 में रवीन्द्र चौबे ने पहला ऐसा अशासकीय संकल्प पेश किया जिसे पारित किया गया। यह संकल्प उन्होने एक विधायक के रूप में पेश किया था , जिसमें कांग्रेस के राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल, जालम सिंह पटेल और भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल , बनवारी लाल अग्रवाल, गोपाल परमार का नाम शामिल था।सीजीवाल यह एक संयोग  है कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण को लेकर विधानसभा में शासकीय प्रस्ताव भी रवीन्द्र चौबे ने ही पेश किया। तब उन्होने सामान्य प्रशासन मंत्री के रूप में इसे पेश किया था । जिसे पारित किया गया। इस तरह विधान सभा मे पारित अशासकीय संकल्प और शासकीय प्रस्ताव दोनों ही रवीन्द्र चौबे के हाथों पेश किए गए थे।

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