रायपुर—छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश की संयुक्त पीठ ने बाघ संरक्षण की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ शासन को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ शासन से तीन सप्ताह के भीतर शपथ पत्र देने को कहा है। टाइगर रिजर्व में खाली पदों को कब तक भरा जाएगा लिखित में देने को कहा है।
बिलासपुर हाई कोर्ट में बाघों के संरक्षण के मामले में लंबित याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश टी.बी. राधाकृष्णन और न्यायाधीश पी. सैम कौशी की संयुक्त पीठ ने की। टाइगर रिजर्व में वन अमले की कमी पर चिन्ता जाहिर करते हुए कोर्ट ने मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन को आदेश जारी किया है। तीन सप्ताह में शपथ पत्र के साथ छत्तीसगढ़ के टाइगर रिजर्व में खाली पदों को कम से कम समय में भरने की जानकारी देने को कहा है।
याचिकाकर्ता रायपुर निवासी नितिन सिंघवी की याचिका की पिछली सुनवाई 29.03.2017 हुई थी। याचिकाकर्ता की तरफ से भोरमदेव अभ्यारण्य में घूम रहे दो बाघ और एक बाघिन दो शावकों की सुरक्षा की मांंग की थी। नितिन सिंघवी ने बाघों के शिकार पालतू जानवर मारे जाने पर तत्काल मुआवजे की मांग की थी। सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने भोरमदेव अभ्यारण्य के लिये वन विभाग को निर्देश दिया कि दौरान बाघों की सुरक्षा में पर्याप्त संख्या में बीट गार्ड और स्टाफ की तैनाती करने को कहा था। शासन को 11 अप्रैल तक शपथ पत्र पेश देने को कहा था।
मंगलवार को शपथ पत्र पेशकर शासन ने बताया कि बजट की समस्या है। प्रदेश में सभी टाइगर रिजर्व में करीब 25 प्रतिशत पद खाली हैं। शासन की दलील से नाराज हाईकोर्ट ने मामले को गंभीर बताया और मुख्य सचिव को शपथ पत्र देने को कहा।
वन विभाग की तरफ से पेश शपथ पत्र के अनुसार प्रदेश के टाइगर रिजर्व में फारेस्ट गार्ड के 170,डिप्टी रेंजर के 2 सहायक कंजरवेटर के 4,रेंजर के 19 और डिप्टी रेंजर के 12 पद खाली है।
मालूम हो कि न्यायालय ने बाघों के संरक्षण के मामले में लगातार चिन्ता जाहिर की है। 7 मार्च 2017 को वन विभाग से न्यायालय ने पूछा था कि पिछले 6 माह में वन विभाग ने बाघों के लिये क्या किया?