सातवें वेतनमान में छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को नहीं मिलेगा अधिक लाभ

Shri Mi
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P.R.YADAVरायपुर(सीजीवाल.कॉम)।
छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष पी.आर यादव ने कहा है कि  पिछले वेतनमानों के मुकाबले सातवां वेतनमान से कर्मचारियों को काफी कम लाभ मिल रहा है।केन्द्रीय कर्मचारियों को लागू संवर्ग वार वेतनमान और प्रासंगिक भत्तो को राज्य के कर्मचारियों को लागू नहीं करने से केन्द्रीय कर्मचारियों के अनुरूप राज्य के कर्मचारियों को लाभ नहीं मिल रहा है।छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को भविष्य मे केन्द्रीय वेतनमान के समकक्ष वेतनमान लेना है या नहीं,इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है। इसे देखते हुए कर्मचारियों को बड़े संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा।एक बयान में श्री यादव ने कहा है कि  वेतन आयोग की अनुशंसा को केंद्र सरकार ने लागू किया है।राज्य के कर्मचारी मध्यप्रदेश वेतनमान पुनरीक्षण नियम 1990 मे केन्द्रीय वेतनमान के फोर्मूले पर राज्य के कर्मचारियों को संशोधित वेतमान मिला था।सीजीवाल,जो 1986 से लागू हुआ, जो चौथा केन्द्रीय वेतनमान कहलाया।इसके बाद 1 जनवरी 1996 से पांचवा केन्द्रीय वेतनमान 1 जनवरी 2006 से छठवा और 1 जनवरी 2016 से सांतवा केन्द्रीय वेतनमान लागू हुआ है।अभी तक लागू सभी वेतनमानों मे से 7वे केन्द्रीय वेतनमान मे हुए वेतनवृद्धि को तुलनात्मक ढंग  से अध्ययन किया जाए तो सबसे कम वेतनवृद्धि 1 जनवरी 2016  से लागू 7वे वेतनमान मे हुई है।

             
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                                      अविभाजित मध्यप्रदेश से ही राज्य के कर्मचारियों को केन्द्रीय वेतन आयोग के अनुशंसानुसार समकक्ष वेतन देने की परंपरा रही है और कर्मचारियों की मांग भी यही रही है कि केन्द्रीय दर पर महंगाई भत्ता और केन्द्रीय वेतनमान मिलना चाहिए।राज्य सरकार ने केन्द्रीय वेतनमान से संवर्गवार राज्य के कर्मचारियों को वेतनमान लागू नहीं कर सिर्फ वेतन वृद्धि का फिटमेंट फॉर्मूला लागू करती है।केन्द्रीय कर्मचारियों को लागू संवर्ग वार वेतनमान और प्रासंगिक भत्तो को राज्य के कर्मचारियों को लागू नहीं करने से केन्द्रीय कर्मचारियों के अनुरूप राज्य के कर्मचारियों को लाभ नहीं मिल रहा है।सीजीवाल

                                   श्री यादव ने आगे कहा है कि  देश के कई राज्यों के कर्मचारी जिन्हे केन्द्रीय वेतन आयोग के अनुशंसा अनुसार  वेतन नहीं मिल रहा है । बल्कि उनके राज्य सरकार द्वारा गठित आयोग की अनुशंसानुसार वेतन प्राप्त करते है,उनका वेतनमान हमारे राज्य के कर्मचारियों से बेहतर है।इसलिए छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को भविष्य मे केन्द्रीय वेतनमान के समकक्ष वेतनमान लेना है या नहीं,इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है।सीजीवाल,7वे वेतन आयोग द्वारा अनुशंसित सभी प्रकार के भत्तों को छत्तीसगढ़ मे लागू करने के लिए व्यापक संघर्ष के लिए साथी तैयार रहे।राज्य के कर्मचारी 7वे वेतनमान का लाभ पाना चाहते है तो सभी प्रकार के भत्तों के पुनरीक्षण और चार स्तरीय पदोन्नत समयमान वेतनमान लागू कराने के लिए निर्णायक आंदोलन की तैयारी शुरू कर दे।छत्तीसगढ़ शासन वित्त विभाग मंत्रालय,नया रायपुर के वित्त निर्देश 18 और 19 द्वारा राज्य के शासकीय सेवको हेतु सातवा वेतनमान 01.01.2016 से घोषित किया गया है।

                                    7paycommosionछग राज्य के पूर्व मध्यप्रदेश सरकार ने एमपी मे वेतनमान समेकीकरण और संविलियन पर वेतन निर्धारण नियम 1959 जारी किया था जो कि 01.04.1958 से प्रभावशील था।समय समय पर अविभाजित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ शासन ने शासकीय सेवको के लिए वेतनमान घोषित किया है ।जिनमे मध्यप्रदेश वेतनमान समेकीकरण और संविलियन पर वेतन निर्धारण नियम 1959 01.04.1958, मध्यप्रदेश वेतनमान पुनरीक्षण नियम 1961 ताराचंद वेतनमान  1.7.1960, मध्यप्रदेश वेतनमान पुनरीक्षण नियम 1973 पाण्डेय वेतनमान 1.1.1972, मध्यप्रदेश वेतनमान पुनरीक्षण नियम 1983 चौधरी वेतनमान 1.4.1981, मध्यप्रदेश वेतनमान पुनरीक्षण नियम 1987 वोरा वेतनमान 1.1.1986, मध्यप्रदेश वेतनमान पुनरीक्षण नियम 1990 केन्द्रीय वेतनमान 1.1.1986, मध्यप्रदेश वेतनमान पुनरीक्षण नियम 1998 1.1.1996, छत्तीसगढ़ वेतनमान पुनरीक्षण नियम 2009 1.1.2006, छत्तीसगढ़ वेतनमान पुनरीक्षण नियम 2017 1.1.2016 शामिल है।

                                 पी आर यादव ने कहा कि  इस प्रकार अविभाजित मध्यप्रदेश शासन ने सात और छत्तीसगढ़ शासन ने दो वेतनमान पुनरीक्षित किए है।चौधरी वेतनमान जो कि 1.4.1981 से प्रभावशील है से लेकर सातवे वेतनमान जो कि  1.1.2016 से लागू का तुलनात्मक विवरण ये है कि तुलनात्मक तालिका से पाण्डेय वेतनमान से चौधरी वेतनमान मे आने पर लगभग 2.43 प्रतिशत से 14.4 प्रतिशत कि वृद्धि दर्ज कि गई।सबसे ज्यादा लाभ केन्द्रीय वेतनमान 1990 से पुनरीक्षित वेतनमान 1998 मे आने पर और पुनरीक्षित वेतनमान 1998 से छठवे वेतनमान 2009 मे आने पर  हुआ है। जो कि पुनरीक्षित वेतनमान मे 23.78 प्रतिशत से 46.06 प्रतिशत तक और छठवे वेतनमान मे 44.66 प्रतिशत से 96.57 प्रतिशत तक लाभ हुआ है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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