स्मार्ट सिटी बिलासपुर, बनेगी, पर कैसे?

Chief Editor
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caption_pranchaddhaस्मार्ट सिटी की सूची में बिलासपुर का नाम शामिल होने के बाद मिली- जुली प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। एक तरफ लोगों के मन में उम्मीद जगी है कि अब शहर का कायाकल्प हो सकेगा। वहीं दूसरी तरफ लोगों के मन में तरह-तरह की आशंकाएँ  और सवाल भी हैं। शहर के वरिष्ठ पत्रकार प्राण चड्ढा जी ने भी इस पर लिखा है। फेसबुक पर उन्होने जो लिखा वह उनकी वाल से साभार हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैंः-

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प्राण चड्ढा का लिखाः-

बिलासादेवी केंवटिन की नगरी बिलासपुर भी देश की उन सौ नगरों में शुमार हो गई है जो स्मार्ट सिटी बनेगें। बनायेगा कौन ? नेता, अधिकारी या जनता। साफ है, नागरिक का दवाब सब पर रहे, वो अधिकारों बात खूब करें पर कर्तव्य को भी याद रखे।
शहर की जीवन रेखा अरपा मर रही है, सूखी नदी कचरागाड़ी बनी है। इंतज़ार है बारिश का पानी कचरा संग ले जायेगा। वाह, मगर कहाँ ले जायेगा?
49.4 डिग्री सेल्सियस तक इस बार पारा गया। एक एक कर बड़े हरे पेड़ काटे जा चुके हैं। सूखे पेड़ खड़े हैं।ped
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, हर घर पेड़,सेंदरी के करीब नदी किनारे बंधने करोड़ो खर्च कर बनी दीवार कहाँ है, गौरव पथ का घटिया निर्माण काम, इंसीनरेटर का नहीं लग पाना, मौजूदा काम के ढरे को बताता है, यहीं हालात रहे तब स्मार्ट सिटी के राशि बंदरबांट में चली जाएगी।
मीङिया नेताओं की गोद में है या नेताओं ने मीडिया को गोद ले लिया है जो भी हो, ये बीमारी लाइलाज हो गयी है। बुद्धिजीवी जिस शहर में किनारे कर दिए और उनकीं कोई सुने नहीं वह् शहर स्मार्ट सिटी कैसे बनेगा। शहर के बीच स्व लखीराम एडिटोरियम,आलिशान है, पर वीरान रहता है। बिलासपुर की गोल्डकप हॉकी,की यादें बाकी है।
शहर में बेजा कब्जा होता है तोड़ा जाता है, पर कब्जा क्यों हुआ कोई जवाबदार नहीं। ये शहर छोटा था, पर शंकर शेष, श्रीकांत वर्मा,सत्यदेव दुबे, सतीश जायसवाल, के नाम से जाना जाता रहा है । आज इनमें सतीश जायसवाल हैं, एक छोटे से कमरे में किताबों के बीच घिरे। अब है बड़े संस्थान, ऊँचे भवन, और मॉल,।
यह सब रहें, होना भी चाहिये पर रंग कर्मी,लोक कलाकार,साहित्यकार, जाने कहाँ है, कोई खबर नहीं। क्या इस बिना पर स्मार्ट सिटी बिलासपुर बनेगा। सीवरेज का काम जिस कछुआ गति से चल रहा, क्या इस तरह स्मार्ट सिटी, के काम की मंद गति बनी रहेगी । नीट और क्लीन सिटी, चुनावी जुमला बना है, स्मार्ट सिटी की घोषणा उसका द्वितीय चरण न बन जाएं,इसके लिए सबकी सहजता और भागीदारी होना परम् आवश्यक है।

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