♦वैदिक व आधुनिक विज्ञान जोड़कर समाज के लिए उपयोगी बनाने होगा कार्य
बिलासपुर। डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय में आज सेंटर फाॅर साइंस कम्युनिकेशन की स्थापना की गई। जिसमें अंतर्गत इसके तहत विज्ञान भारती के बिलासपुर चेप्टर का गठन किया गया। इसकी स्थापना का उद्देश्य है, कि वैदिक प्राचीन स्वदेशी विज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ समावेशित कर समाज के लिए उसे उपयोगी बनाना है। साथ ही विज्ञान और तकनीक पर आधारित पाठ्य सामग्री को सरल व लोक प्रिय शैली में विद्यार्थियों के लिए तैयार करना है। जिससे आधुनिक एवं प्राचीन स्त्रोतों के आधार पर संवाद किया जा सके। यह केंद्र विद्यार्थियों के साथ आमजन को प्राचीन विज्ञान के ज्ञान के साथ आधुनिकता विज्ञान से से जोड़ने का कार्य करेगा।
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इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विज्ञान भारती के जनरल सेकेटरी ए. जय.कुमार ने कहा कि संस्कृति से ही विज्ञान का जन्म हुआ है, किसी भी देश की संस्कृति जिनकी दृढ़ होगी उस देश का विज्ञान उतना ही मजबूत होगा। जिस तरह एक पेड़ की जड़े जिनती गहराई तक जाएंगी, पेड़ उनती ही मजबूती से खड़ा रहेगा। उन्होंने कहा देश 50 साल पहले जिस स्थिति में था, आज भी वहीं खड़ा है। देश राष्ट्रपिता महात्मा गंाधी ने रेल्वे स्टेशन में सोए व्यक्ति को देखकर अपने आधुनिक वस्त्र त्यागकर स्वदेशी को अपनाएं थे, आज भी रेल्वे स्टेशन और सार्वजनिक स्थानों में स्थिति स्थिति देखी जा सकता है। देश में बच्चें भी कुपोषित है, खानेे को पर्याप्त खाना नहीं मिल पाता। उनको अच्छी प्राथमिक शिक्षा नहीं मिल पाती। ईलाज के लिए दवाएं उपलब्ध नहीं हो पाती, सरल शब्दों में कहुं तो आज भी देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक स्थिति में हम काफी पिछड़े है। इस परिस्थति उभरने के लिए हमको मूल विज्ञान को घर-घर तक पहुंचाना होगा। यह तभी संभव है जब स्कूल,कालेज और विश्वविद्यालय को इस क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी तय करें और इस पर कार्य करें। इस अवसर पर डाॅ.संजय तिवारी, डाॅ.अरविंद रानाडे, डाॅ.अनिल कोठारी, डाॅ.पी.एस.चैधरी ने अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, अधिकारी-कर्मचारी और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे। स्वागत भाषण डीन एकेडमिक डाॅ.पी.के नायक न व विज्ञान भारती के समन्वयक डाॅ.ए.के.श्रीवास्तव ने कार्यक्रम के अतिथियों का आभार प्रकट किया।
संस्कृत ग्रंथों में निहित ज्ञान का दोहन जरूरी-कुलपति
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.पी.दुबे ने कहा कि आज हमें अपनी सभ्यता, संस्कृति और भारतीयता पर गर्व होना चाहिए। वैदिक कालीन संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है। इस काल में विज्ञान व अन्य दिशाएं अपने उत्कर्ष पर थी। प्राचीन संस्कृति साहित्य वैज्ञानिक सिध्दांतो तथा विधियों के भंडार है, परंतु संस्कृत के ज्ञान के अभाव में ठोस प्रयास नही हुए। उन्होंने काह कि भारतीय चितंन को जानने माध्यम संस्कृत भाषा, लेकिन संस्कृत गं्रथो मे निहित विज्ञान को बढ़ावा देने की बजाय, जगत के विज्ञान के पंखो पर उड़ने के योजनाएं बनने लगी। संस्कृत को रूढ़ीवादी तथा पुरातन दोनो का तगया दे दिया गया था। बाजारवाद हमारी अर्थव्यवस्था और सोच पर हावी हो गया शिक्षा सहित प्रत्येक को बाजारवाद से जोड़कर देखा जाने लगा। आज षिक्षा का ढ़ाचा भी बाजार की आवष्यकताओं के अनुरूप तय करने का विचार हावी हो रहा है।
विज्ञान व तकनीक ही देश की प्रगति का आधार-तेलंग
इस अवसर विज्ञान प्रसार केंद्र भोपाल के निर्देशक राग तेलंग ने कहा कि आईसेक्ट विश्वविद्यालय और डाॅ.सी.वी.रामन् विश्वविद्यालय एक सहोदर संस्थान है। यह हमारे लिए गौरव की क्षण है कि हम शिक्षण संस्थाओं के विज्ञान प्रसार-प्रचार के दायित्व निर्वहन में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। उन्होने कहा कि विज्ञान प्रसार केंद्र समवेशी रूप से कार्य करेंगे और हर दिशा में आने वाली पहल का स्वागत करेंगें। इस कड़ी में विज्ञान विकास केंद्र की स्थापना हमारा महत्वपूर्ण कदम है। श्री तेलंग ने कहा कि 12 अगस्त को आकाश में होने वाली उल्कावृष्टि को आम नागरिकों के लिए एक रोमांचक वैज्ञानिक अनुभव होगा। श्री तेलंग ने कहा कि देश की प्रगति और विकास को विज्ञान और तकनीक में हुई तरक्की के आधार पर देखा जाता है। भारत में वैज्ञानिक अध्ययन और चिंतन की गौरव शाली परंपरा रही है, हम इस परंपरा को ही आगे बढ़ाने का काम कर रहे है। इससे अधिक से अधिक विद्यार्थियों और जनमानस को जोड़ना भी हमारा उद्देश्य है।