जिला पंचायतःसज गया अतिशेष सूची का बाजार..अधिकारी और जनप्रतिनिधियों में खुशी

BHASKAR MISHRA
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jila panchayatबिलासपुर–दैनिक, साप्ताहिक और कहीं कहीं तो मासिक बाजार भी लगता है। ध्यान देंगे तो शिक्षा विभाग में सालाना हाट बाजार लगता है। कुछ सालाना मेले की तरह…। जो साल में एक बार ही आता है…किसी पर्व विशेष पर…। जिला पंचायत में भी अतिशेष सूची का सालाना बाजार लग गया है। अब तो उठने वाले भी है। जल्द ही मतलब दो एक दिन में बाजार उठने वाला भी है। क्योंकि लेन देन का काम पूरा हो चुका है।
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                           जिला पंचायत अतिशेष शिक्षकों की सूची की घोषणा दो एक दिन के भीतर कर दी जाएगी। उम्मीद है कि यह सूची आज प्रकाशित भी हो जाएगी। किस शिक्षक को कहा जाना है…उसे जेब कटवाना है या नहीं…दो एक दिन में …कुहांसा छट जाएगा..। जिसे नहीं जाना है उसे अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के हाथों हलाल होना ही होगा। बहरहाल जिला पंचायत में शिक्षाकर्मियों की अतिशेष सूची प्रकाशन से पहले सब कुछ फिक्स हो चुका है। अधिकारी और कर्मचारी दोनों मदमस्त हैं। जुगाड़वादी शिक्षाकर्मी पस्त तो हैं लेकिन सेटलमेंट के बाद निश्चित हो गए हैं।

अनुमोदन के बहाने खेल…

अतिशेष सूची को लेकर कुछ दिन पहले जिला पंचायत जनप्रतिनिधि और अधिकारिययों के बीच शीत युद्ध चल रहा था। अनुमोदन शब्द जुड़ते ही शीतयुद्ध खत्म भी हो गया। अनुमोदन शब्द जुड़ने से जनप्रतिनिधियों में खुशी की लहर है। अब किसी भी जिला पंचायत जनप्रतिनिधि को शिकायत भी नहीं है।

                             जानकारी के अनुसार आज कल में अतिशेष सूची का प्रकाशन कर दिया जाएगा।

अभी तो मैं नया हूं

                       कुछ दिन पहले जिला पंचायत में एपीओ की जिम्मेदारी संभालने वाले लहरे ने बताया कि मुझे अतिशेष सूची की जानकारी नही है। मैं अभी यहां नया हूं। मेरे पास अधिक काम होने के कारण अतिशेष सूची तैयार करने की जिम्मेदारी पाण्डेय साहब के पास है। लहरे ने बताया कि सूची मुझे ही तैयार करना था। काम अधिक होने के कारण सीईओ ने सूची तैयार करने का काम पाण्डेय साहब को दिया है।

25 से 40 हजार का फटका

                              नाम उजागर नहीं करने पर जिला पंचायत के एक प्रतिनिधि ने बताया कि अतिशेष सूची से बाहर आने के लिए शिक्षकों ने 25 से 40 हजार रूपए खर्च किया हैं। जानकारी मिलने के बाद हम लोगों ने हंगामा किया। बाद में एक बैठक के दौरान निर्णय लिया गया कि क्षेत्रीय जिला पंचायत सदस्य के अनुमोदन बिना शिक्षकों के साथ छेड़छाड़ नहीं किया जाएगा। मतलब अनुमोदन के लिए जनप्रतिनिधि को भी चढ़ावा चढ़ाना होगा।

अतिशेष सूची वर्सेस हनुमान की पूंछ

                                     जिला पंचायत के एक कर्मचारी ने बताया कि हर साल अतिशेष सूची का निराकरण किया जाता है। लेकिन हर साल सूची लम्बी हो जाती है। दरअसल अतिशेष शिक्षकों की हालत कुछ हनुमान जी की पूंछ की तरह है। लम्बाई दिन दूनी  रात बढ़ती ही जा रही है। अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का काम भी हो जाता है। दरअसल शिक्षकों की जेब ठीली करने का यह सबसे बड़ा हथियार है।

कितने स्कूल- कितने अतिशेष

                            जिला पंचायत से मिली जानकारी के अनुसार जिले में प्राथमिक स्कूलों में अतिशेष गुरूजी की संख्या करीब 383 है। माध्यमिक स्कूलों में 156 अतिशेष शिक्षक हैं। सबको मालूम है कि मुश्किल से आधे शिक्षक भी अतिशेष में नहीं आते है। बावजूद इसके जबरदस्ती तकनिकी खामियों का हवाला देकर अतिशेष शिक्षकों की संख्या तैयार हो जाती है। जिन्हें सूची में नहीं होना चाहिए उन्हें भी शामिल कर लिया जाता है। वही हमेशा हड़ताल और अपनी मांग को लेकर संघर्ष करने वाले शिक्षा कर्मियों को इसकी जानकारी नहीं होती…और अतिशेष सूची में जाने अन्जाने शामिल हो जाते हैं।

                   इसके अलावा कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जिनकी पोस्टिंग गांव में है। शहर के किसी स्कूल में पढ़ा रहे हैं। ऐसे शिक्षक हमेशा 25-50 हजार रूपए  तात्कालिक संभावित ट्रांसफर को टालने के लिए आसानी से कर देते हैं। कभी कभी तो पचास हजार रूपयों को भी पार कर जाती है।

जनप्रतिनिधियों में खुशी

                    अतिशेष शिक्षकों को जिला प्रतिनिधियों से अनुमोदन लेना जरूरी है। इस आदेश के बाद जनप्रतिनिधियों में खुशी की लहर है। जिला पंचायत अधिकारियों के साथ सदस्यों का सूखा फिलहाल खत्म हो गया है। बावजूद इसके कुछ जनप्रतिनिधि चाहकर भी अपने हिस्से के दावेदारी करने में असमर्थ हैं। ऐसे ही लोग जिला पंचायत की जानकारी सीजी वाल तक पहुंचा रहे हैं।

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