नईदिल्ली।ट्रक मालिकों और संचालकों ने शनिवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत विघटनकारी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया और नए अप्रत्यक्ष कर के तहत डीजल को लाने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने 36 घंटों के राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया, जो नौ अक्टूबर सुबह आठ बजे से शुरू होगी। कलकत्ता गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रभात कुमार मित्तल ने यहां संवाददाताओं से कहा, “जीएसटी लागू होने के बाद परिवहन व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
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ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) और अन्य ट्रासपोर्ट एसोसिएशनों ने दो दिनों की सांकेतिक राष्ट्रीय हड़ताल का आह्वान किया है, जो नौ अक्टूबर (सोमवार) को सुबह आठ बजे से शुरू होगी और 10 अक्टूबर को शाम आठ बजे खत्म होगी। हम भी इसका समर्थन करते हैं।” उन्होंने कहा कि जीएसटी के तहत विभिन्न नीतियों के कारण सड़क परिवहन क्षेत्र में बहुत भ्रम और विघटन पैदा हुआ है। दूसरी तरफ, देश भर के करीब 54,000 पेट्रोल पंप अपनी लंबित मांगों के समर्थन में 13 अक्टूबर को दिनभर की हड़ताल पर रहेंगे।
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पेट्रोल पंप ऑपरेटर संघ के एक अधिकारी ने शनिवार को यहां यह जानकारी दी। सभी पेट्रोल पंप डीलरों के तीन राष्ट्रव्यापी संगठनों के अम्ब्रेला संगठन, फेडरेशन ऑफ महाराष्ट्र पेट्रोल डीलर एसोसिएशन (एफएएमपीईडीए) के अध्यक्ष उदय लोध ने कहा कि संयुक्त पेट्रोलियम मोर्चा की पहली संयुक्त बैठक में यह मुद्दा उठाया गया, जिसमें यह फैसला लिया गया है।
मित्तल ने कहा, “डीजल मूल्य में अत्यधिक वृद्धि और कीमतों में रोजाना उतार-चढ़ाव सड़क परिवहन क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है। डीजल और टोल पर किया जानेवाला खर्च ट्रक के परिचालन खर्च के 70 फीसदी से भी अधिक है, जबकि डीजल को ही जीएसटी के अंतर्गत नहीं रखा गया है। डीजल को जीएसटी के अंतगर्त लाना आवश्यक है, ताकि देश में एक कीमत पर डीजल की बिक्री हो।” ट्रांसपोर्टर्स ने यह मांग भी की कि डीजल की कीमतों की समीक्षा तिमाही आधार पर होनी चाहिए। उनके मुताबिक, जीएसटी प्रणाली के तहत रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) और फारवर्ड चार्ज मैकेनिज्म (एफसीएम) की मौजूदगी से भ्रम पैदा हो रहा है।