बिलासपुर—विवादों के सिटी सेन्टर की अन्तिम उम्मीद भी खत्म हो गयी है। नियमितीकरण की कोशिश में लगे संचालको को गहरा झटका लगा है। प्रमुख सचिव ने नगर पालिक निगम बिलासपुर के दावे पर मुहर लगा दिया है। प्रमुख सचिव ने नगर पालिक निगम के दुकान निर्माण प्रस्ताव को जमा करने का निर्देश दिया है। जब प्रवास से निगम आयुक्त बिलासपुर लौटेंगे दुकान निर्माण प्रस्ताव को सामने रखा जाएगा। फिलहाल प्रमुख सचिव के निर्देश के बाद सिटी सेंंटर संचालकों को गहरा झटका लगा है। इसके चलते सिटी सेन्टर व्यापारियों में हड़कम्प है।
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खसरा क्रमांक 488 प्रकरण की सुनवाई में प्रमुख सचिव ने नगर पालिक निगम बिलासपुर के दावे को सैद्धांतिक रूप से सहमति दी है। शिव टॉकीज़ मार्ग के किनारे दुकानों के निर्माण में निगम को जल्द से जल्द प्रस्ताव जमा करने को कहा है। आयुक्त नगर पालिक निगम इस समय बिलासपुर से बाहर हैं। जैसा से बिलासपुर लौटेंगे प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। प्रमुख सचिव के फैसले सो सिटी सेंटर संचालकों में मायूसी है। अब सिटी सेंटर तक पहुंचने के लिए लिए 40 फुट सड़क की व्यवस्था नामुमकिन है।
जानकारी के अनुसार किसी भी व्यावसायिक परिसर तक पहुंंचने के लिए कम से कम 40 फुट का पहुंच मार्ग का होना जरूरी है। लेकिन सिटी सेंटर तक पहुचने के लिए केवल 30 फिट ही पहुच मार्ग है। जो निर्धारित मानकों से बहुत ही कम है। ऐसी स्थिति में सिटी सेंटर का उपयोग फिलहाल व्यवसायिक प्रयोजन के लिए नहीं किया जा सकता है। मालूम हो कि नगर पालिक निगम ने 40 फीट पहुंच मार्ग के दावे को नक्शा पास करते समय ही नकार दिया था । मामले को लेकर संचालकों को निगम समेत उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय में निराशा हाथ लगी। सिटी सेंटर के संपूर्ण निर्माण को अवैध ठहरा दिया गया। सिटी सेंटर संचालकों ने नक्शा पास कराने के लिए शासन के सामनने झूठे दस्तावेज, सीमांकन रिपोर्ट और शपथ पत्र पेश किया। यही कारण है कि अभी कुछ दिनो पहले निगम प्रशासन ने जिला कोर्ट को लिखित में बताया कि यदि न्यायालय सिटी सेंटर को तोड़ने का आदेश देता है तो मामले निगम प्रशासन को कोई एताराज नहीं है।
क्या है ये मामला
बस स्टैंड चौक से रविद्रनाथ टेगोर चौक के बीच नगर पालिक निगम की दुकानों के पीछे सिटी सेंटर का निर्माण किया गया। बिलासपुर इंफ्रास्ट्रक्चर के संचालकों ने नगर पालिक निगम की दुकानों को तोड़कर अवैधानिक तरीके से 40 फीट का रास्ता दिखाया।ऐसा फर्जी और कूटरचित दस्तावेजों के सहारे नगर पालिक निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग को धोखे में रखकर किया गया। इसके बाद निर्माण कार्य भी किया गया।
सिटी सेंटर संचालकों ने नगर पालिक निगम की जमीन खसरा क्रमांक 488 पर स्थित, पूर्व दुकानें को हटाने के लिए अपने व्यक्तियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में प्रकरण दायर किया। प्रकरण निराकरण करने से पहले मुख्य न्यायाधीश ने स्थल निरीक्षण किया। फैसले में खसरा क्रमांक 488 की जमीन को नगर पालिक निगम का बताया। न्यायाधीश ने प्रकरण पर निर्णय के लिए छत्तीसगढ़ शासन को निर्देशित किया था।
शासन के सामने मामले में नगर पालिक निगम और अन्य लोगों ने पक्ष पेश किया। सुनवाई पूरी होने के बाद शासन ने नगर पालिक निगम को अपना प्रस्ताव पेश करने को कहा है। फिलहाल 40 फीट पहुंच मार्ग नहीं होने के कारण सिटी सेंटर का व्यवसायिक उपयोग संभव दिखाई नहीं है। सिटी सेन्टर निर्माण में नियमों का सरेआम उल्लंघन हुआ है। नगर पालिक निगम ने भी सिटी सेन्टर को अवैध घोषित तोड़ने का मंशा जाहिर की है। देखना है कि अब आगे क्या कुछ होता है।