शिक्षाकर्मीः क्यों कहा बायोमैट्रिक से नहीं लगता डर…क्यों होगा गुणवत्ता में सुधार…समय पर वेतन देना तो सीखें…

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— शिक्षा मोर्चा के संचालक संजय शर्मा ने कहा है कि केवल अभियान चला देने मात्र से शिक्षा में गुणवत्ता नहीं आने वाली है। पिछले तीन साल से प्रदेश में डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान चलाया जा रहा है। स्थिति क्या है बात किसी से छिपी नहीं है। जिस दिन शिक्षकों का उपयोग शिक्षक के रूप में शुरू होगा शिक्षा में गुणवत्ता अपने आप जाएगी। संजय ने कहा कि दावा के साथ कह सकता हूं कि जनगणना , वोटर कार्ड बनाने, मतदाता सूची तैयार करने,वारदाना की गिनती और राशन कार्ड सत्यापन के काम में शिक्षकों को लगाने से शिक्षा में गुणवत्ता नहीं आने वाली है।

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                   शिक्षा मोर्चा संचालक संजय शर्मा ने बताया कि शासन ने कभी भी शिक्षक की दृष्टिकोण से शिक्षा में गुणवत्ता के लिए प्रयास किया ही नहीं। शिक्षा में गुणवत्ता के लिए शिक्षकों का उपयोग  शिक्षक की तरह करने की जरूरत है। समान कार्य के लिए समान कार्य परिस्थितियाँ और समान वेतन की अनुशंसा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में है। मानव अधिकार घोषणा पत्र के अनुच्छेद 21, 22, और 23 में जिक्र होने के बाद भी शिक्षकों के हितों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

                        एक ही विद्यालय में अनेक प्रकार के शिक्षकों की पदस्थपना है। जिसके कारण शिक्षकों को घोषित-अघोषित तनाव से गुजरना पड़ता है। जाहिर सी बात है कि प्रभाव शिक्षा की गुणवत्ता पर भी पड़ेगा। परिस्थितियों को गम्भीरता से समझे बिना शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार असंभव है।

                  सभी शिक्षण संस्थाओं में शिक्षकों के लिए समान कार्यनीति, समान पदनाम, समान वेतनमान देने की नीति निर्धारित करने की जरूरत है। व्यवस्था कुछ ऐसी हो कि निश्चित कार्यावधि के बाद शिक्षकों को पदोन्नति मिले।

                           संजय ने बताया कि अभियान चलाने या स्कूलों में बायोमैट्रिक मशीन लगाने से शिक्षा में गुणवत्ता की सुधार संभव नहीं है। पिछले तीन सालों से प्रदेश में डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान चलाया जा रहा है। हालत क्या है…बताने की जरूरत नहीं । बात बायोमेट्रिक मशीन लगाने की तो बताना चाहूंगा कि शिक्षकों को नियमित करने के लिए योजना तो ठीक है। लेकिन यह अभियान भी डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान जैसा ही होकर रह जाएगा।

                                       बायोमैट्रिक मशीन से शिक्षकों को फायदा ही होगा। लेकिन मतदाता सूची, जाति प्रमाणपत्र,जनगणना, मतगणना, बारदाना और राशनकार्ड सत्यापन का काम कौन करेगा। भला ऐसे में शिक्षा में गुणवत्ता की सुधार कैसे संभव है। शिक्षाकर्मी नेता के अनुसार शिक्षा में गुणवत्ता की सुधार के लिए जरूरी है कि शिक्षाकर्मियों की समस्याओं को गंभीरता से लिया जाए। सरकार शिक्षाकर्मियों को समय पर वेतन देने की आदत डाले। अन्य सरकारी सेवकों की तरह सुविधाएं दे। गैर शिक्षकीय कार्य मे शिक्षकों का उपयोग ना करे। यदि सरकार को बच्चों की चिंता है तो बायोमैट्रिक मशीन लगाने के साथ ही आदेश भी दे कि पढ़ाई के अलावा कोई अन्य काम शिक्षकों से ना लिया जाए।

            संजय ने बताया कि मुख्यमंत्री ने एलान किया था कि हर महीने की  5 तारीख को शिक्षाकर्मियों को वेतन मिल जाएगा। आज तारीख 20 हो चुकी है। 90000 शिक्षाकर्मियों को वेतन नही मिला है।

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