देखें VIDEO:कामरेड नंद कश्यप बोले-छत्तीसगढ़ की सियासत में पूंजी और कार्पोरट जगत हावी

Chief Editor
5 Min Read

nand kashyap, cgwall, election, 2018, bilaspur, chhattisgarhमीडिया के आज के दौर में सियासत Byte…से चलती है…।आरोप हो…. प्रत्यारोप हो…. या किसी को अपनी कोई बात सामने रखना हो…. Byte… के जरिए ही लोगों तक पहुंचती है….। “ एक ….Byte …और…” के जरिए हम राजनीतिक लोगों तक सियासत में आ रहे बदलाव से जुड़े  सवालों को लेकर पहुंच रहे हैं, जिसके जरिए यह समझने की कोशिश है कि आखिर ये बदलाव क्या है….. क्यों है….. कैसा है…. और इसका राजनीति पर क्या असर पड़ रहा है। इस सीरीज में अब कि बार कामरेड नंदकुमार कश्यप के साथ cgwall.com की बातचीत के अँश शेयर कर रहे हैं…छत्तीसगढ़ और बिलासपुर की राजनीति में पिछले करीब पाँच दशक से सक्रिय  कामरेड नंदकुमार कश्यप मानते हैं कि पिछले दो-तीन दशक के दौरान राजनीति में पूंजी और कार्पोरेट जगत की दखलंदाजी बढ़ी है। CGWALL.COM  की खास पेशकश ….एक …Byte….और…… में अपनी बात रखते हुए नंद कश्यप ने कहा कि क्षेत्रीय पार्टिया अपने मुद्दों से भटक गईं हैं। आंतरिक लोकतंत्र खतरे में हैं। छत्तीसगढ़ जैसे अपार संभावनाओँ वाले नवोदित राज्य में जंगल, जमीन और पानी बेचने का सिलसिला चल रहा है। इस व्वस्था को बदलने के लिए अब देश – प्रदेश के आम लोगों को ही आगे आना पड़ेगा…।
डाउनलोड करें CGWALL News App और रहें हर खबर से अपडेट
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.cgwall

Join Our WhatsApp Group Join Now

उन्होने अपने लम्बे राजनीतिक  का  अनुभाव cgwall.com के साथ साझा करते हुए बताया कि 1970 के दशक में वे राजनीति में आए, उस समय देश भर के युवा इस जज्बे के साथ राजनीति से जुड़ रहे थे कि देश को बदलना है और समता-समानता- समाजवाद लाना है। सभी देश में आधारभूत परिवर्तने के पक्ष में थे और उनकी प्रतिबद्धता इसे लेकर थी। इसे लेकर 1974 में आँदोलन तेज हुआ और जय प्रकाश नारायण जैसे नेता सामने आए। उस समय की प्रधानमंत्री श्रीमती इँदिरा गाँधी ने छोटी सी बात को लेकर देश में आपातकाल लगा दिया। नंद कश्यप मानते हैं कि उस समय भी कांग्रेस के भीतर एक विद्रोह हुआ और उसने देश के लोकतंत्र की आत्मा को बचा लिया। वे 1977 के आम चुनाव को भी यद करते हैं। जिसे लगभग शून्य खर्चे पर लड़ा गया। उस समय देश की जनता ने भी अपने फैसले से अपनी समझ और परिपक्वता का परिचय देते हुए लोकतंत्र को मजबूत किया।
Watch Video

उन्होने कहा कि देश में कृषि का क्षेत्र हमेशा से उपेक्षित रहा है। लेकिन इनके बीच से ही क्षेत्रीय पार्टियां उभरकर सामने आईं। लेकिन समय के साथ कार्पोरेट और पूंजी का उन पर ऐसा असर हुआ कि ऐसी पार्टियां भी भ्रष्टाचार – व्यक्तिगत स्वार्थ के फेर में अपने मुद्दों से भटक गईं हैं। और इसकी वजह से ऐसी व्यवस्था तैयार कर दी गई , जिसमें किसी तानाशाह को बिठाया जा सके।

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनैतिक नेतृत्व से जुड़े सवालों पर नंद कुमार कश्यप कहते हैं कि यहां पहले नेतृत्व ने जिस तरह से छत्तीसगढ़ को पॉवर हब बनाने की शुरूआत की, उसके बाद से जंगल, जमीन और पानी को बेचने का सिलसिला आज भी चल रहा है। उन्होने उदाहरण दिया कि हाल के सर्वे में यह बात सामने आई है कि छत्तीसगढ़ देश में सबसे कुपोषित राज्य है। यदि छत्तीसगढ़ के संसाधनों को यहां के लोगों पर खर्च किया जाता तो यह  स्थिति नहीं आती। लेकिन कोशिश यह हो रही है कि हम  विदेश और मुंबई-बैंगलोर के लोगों को यहां सिर्फ इसलिए बुला रहे हैं कि लोग हमारा शोषण कर सकें और हमे गुलाम बना सकें। प्रदेश का नेतृत्व प्रो-कार्पोरेट , प्रो-बिल्डर हो गया है। बिलासपुर में भी यहीं स्थिति है। यहां तो एक खूबी यह भी दिखाई देती है कि हमें पता नहीं है कि हमे क्या मिलेगा, फिर भी हम खोदे जा रहे हैं..। ऐसे में आत्मसम्मान , रोजी-रोजगार , जंगल-जमीन-पानी के लिए हमें खुद लड़ना पड़ेगा।

close