आदिवासी छात्रा से छेड़छाड़ः पाली बना राजनीति का अखाड़ा

BHASKAR MISHRA
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 IMG-20150718-WA0041कोरबा— जिला कलेक्टर कोरबा ने आज एक आदेश जारी करते हुए पाली छात्रावास में अनाधिकृत रूप से प्रवेश करने के आरोप में तीन सरकारी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। इन अधिकारियों पर शासन के कार्यों में लापरवाही और सूचना छिपाने आरोप पाया गया है। कलेक्टर रीना बाबा साहेब ने अपने आदेश में कहा है कि संबधित अधिकारियों को 14 मई को पाली छात्रावास में हुई घटना की पूरी जानकारी थी। बावजूद इन लोगों ने आरोपियों को छिपाने और बचाने का प्रयास किया था।

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                       मालूम हो कि पाली प्री मैट्रिक आदिवासी कन्या छात्रावास में निरीक्षण के बहाने कुछ जनप्रतिनिधि प्रवेश कर छात्राओं से छेड़छाड़ किया। मामला 14 जुलाई का बताया जा रहा है। जानकारी के अनुसार पाली जनपद पंचायत अध्यक्ष गणराज सिंह अपने साथियों कोरबा जिला पंचायत उपाध्यक्ष अजय जायसवाल, तानाखार विधायक रामदयाल उइके के प्रतिनिधि शंकर दास महंत और जिला पंचायत कोरबा अध्यक्ष देवी सिंह के निज सचिव के अलाव अन्य 6 लोग रात्रि को पाली स्थित कन्या आदिवासी छात्रावास में अनाधिकृत रूप से प्रवेश किया। बताया जा रहा है कि उस समय यह सभी लोग नशे की हालत में थे।

                 जिला कलेक्टर ने जांच के दौरान पाया कि घटना की जानकारी प्री और पोस्ट आदिवासी कन्या छात्रावास के अधीक्षिकाओं को भी थी। बावजूद इसके उन्होंने आरोपियों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाया। खबर यह भी है कि नशे की हालत में प्रवेश करने वाले सभी छात्राओं के साथ छेड़छाड़ की घटना को अंजाम दिया। इन लोगों ने कक्षा नवमी पढ़ने वाली एक छात्रा को सीमा से बाहर जाते हुए परेशान किया गया।

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                       कलेक्टर ने जांच के दौरान पाया कि कक्षा नवमी की छात्रा हास्टल के उपरी मंजिल में रहती है। रात्रि में उसके कमरे में घुसकर पाली जनपद पंचायत अध्यक्ष गणराज सिंह ने बंद कमरे में छेड़छाड़ की। बाद में शोर शराबे के बाद सभी हास्टल से बाहर निकले। पीड़ित छात्रा ने इसकी शिकायत रात्रि में ही अधीक्षका से की। लेकिन दूसरे दिन भी आरोपियों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई। घटना की जानकारी के बाद छात्रावास अधीक्षिका ने पुलिस स्टेशन को दी। साथ ही जांच का भी आदेश दिया। इस दौरान आरोपियों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होते देख एबीव्हीपी के दबाव में पांचो को गिरफ्तार किया गया।

                   मामला राजनीतिक तूल ले लिया। इसके बाद कलेक्टर कोरबा ने संज्ञान में लेते हुए जांच की। जांच के दौरान पाया गया कि इस पूरे मामले में प्री और पोस्ट मैट्रिक छात्रावास की अधीक्षिका अंबिका मरकाम और पोस्ट कुमार मंजूलता उइके को घटना की पूरी जानकारी थी। उन्हीं के शह पर छेड़छाड़ के आरोपी हास्टल में घुसकर छात्राओं के साथ छेड़छाड़ की। जांच में कलेक्टर ने पाया कि पाली बीईओ एस.एन.साहू भी दोषी हैं। कलेक्टर ने उन्हें तत्काल प्रभाव से बीईओ पद से हटा दिया।

                         मालूम हो कि इस घटना को महिला आयोग ने गंभीरता से लेते हुए पाली का दौरा किया। साथ ही आरोपियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने को कहा। कांग्रेस ने भी इस घटना के विरोध में आज पाली में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर सरकार पर जमकर निशाना साधा। पूर्व विधायक डॉ.प्रेमसाय सिंह ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि बस्तर के बाद अब पाली में भी आदिवासी महिलाओं के साथ अन्याय हो रहा है। जाहिर सी बात है कि डॉ.रमन सिंह का असली चेहरा सबके सामने आ गया है।

                              जानकारी के अनुसार अब पांचो आरोपियों को बचाने लिए भाजपा के कई कद्दावर नेता अपनी ताकत लगा रहे हैं। दूसरी ओर जनता के दबाव के कारण कलेक्टर ने तीन लोगों के खिलाफ सजा का फरमान जारी तो कर दिया है। बताया जा रहा है कि अब जेल में बंद आरोपी और कलेक्टर के आदेश को पिछले दरवाजे से दुरूस्त करने का प्रयास किया जा रहा है।

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