बायोमेट्रिक पर पनपने लगी नाराजगी…शिक्षाकर्मी ने कहा…घोड़े को पानी पीने को मजबूर नहीं कर सकते

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—शिक्षाकर्मियों ने कास्मास बायोमेट्रिक मशीन को दिल से ले लिया है। शिक्षाकर्मियों की तरफ से रोज नए बयान आ रहे हैं। शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय संघ छत्तीसगढ़ प्रांताध्यक्ष डॉ.गिरीश केशरकर ने कहा है कि घोड़े को नदी तक जबरदस्ती ले जाया तो जा सकता है लेकिन पानी पीने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। प्रदेश क्षाकर्मियो की उपस्थिति और स्कूली कार्य के लिए कॉस्मॉस टेबलेट मजबूर तो कर सकता है लेकिन तानाशाही को बर्दास्त नहीं करेगा। केशकर के अनुसार स्कूलों में शिक्षाकर्मियो की उपस्थिति के साथ सरकार कुछ ऐसी भी व्यवस्था करे कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ स्कूली गतिविधियों की डिजिटल मोनीटरनिंग भी हो सके।

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                          शिक्षक पंचायत/नगरीय निकाय संघ छत्तीसगढ़ प्रांताध्यक्ष डॉ गिरीश केशकर ने कहा कि घोड़े को नदी तक जबरदस्ती ले जाया जा सकता है लेकिन पानी पीने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। सभी शिक्षाकर्मियों को अपना कर्तव्य अच्छे तरीके से पता है। सभी शिक्षाकर्मी अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी से निर्वहन भी कर रहे हैं। लेकिन तमाम समस्याओं के बीच । बावजूद इसके शासन सरकार ऐसी योजना लाकर साबित करने की पुरजोर कोशिश कर रही है कि शिक्षाकर्मी अपनी जिम्मेदारियों का  ठीक से नहीं निर्वहन नहीं कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि सरकार शिक्षाकर्मियो का मनोबल गिरा रही है।


केशकर ने बताया कि  एक तरफ शासन के हर गैर शिक्षकीय कार्य चाहे मतदाता सूची तैयार करना हो या पिर किसी भी प्रकार के अन्य सभी गैर शिक्षकीय कार्य करना हो…तब प्रशासन का शिक्षाकर्मियों पर विश्वास होता है। लेकिन जब शिक्षकीय कार्य की बात आती है तब शासन शिक्षाकर्मियो पर सवालिया निशान छोड़ने लगता है। इससे शिक्षाकर्मियो के मन में आक्रोश पनपता है। शासन सिर्फ उनके साथ ही ऐसा सौतेला व्यवहार क्यो करता है।

              केशकर के अनुसार आज की स्थिति में सभी स्कूलों में नेटवर्क सही नहीं है। नेटवर्क ढूंढने  के लिए काफी मसक्कत करना पड़ता है। अनावश्यक समय खपाना पड़ता है।  अगर ऐसी कॉस्मॉस टेबलेट जैसी योजना लागू करना ही है तो इसे सभी विभाग के कार्यालयों में लागू किया जाना चाहिए। सभी शिक्षकों की सभी समस्याओं जैसे वेतन वृद्धि, समयमान वेतन, पुनरीक्षित वेतन, सभी प्रकार की अवकाश स्वीकृति, समय पर वेतन, सेवा पुस्तिका संधारण, प्रान नंबर, सीपीएफ कटौती, सभी प्रकार के एरियर्स, वरिष्ठता सूची अपग्रेडेशन, पदोन्नति आदि के संबंध में ऑनलाइन आवेदन देने की व्यवस्था हो। निराकरण भी निश्चित समय में हो। तभी पता चलेगा कि शिक्षाकर्मी अपने कर्तव्यों में लापरवाही बरत रहे हैं या संबंधित अधिकारी और कर्मचारी।

आज शासन करोड़ो रूपये गरानी रखने में फूंक रही है। इसके बजाय यदि शिक्षाकर्मियो की सभी जायज मांगो पर खर्च करती तो शायद प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में आज कहाँ से कहाँ निकल गया होता। आज ऐसी कॉस्मॉस जैसी योजना लागू करनी है तो शासन हर विभाग के हर कार्यालय में लागू करे ताकि हर ऑफिस में कर्मचारियों पर निगरानी रखा जा सके। उनके भी कार्यो की समीक्षा हो सके। तब शासन को पता चलेगा ऑन लाइन की कैसे शिक्षाकर्मियो के समस्याओं के संबंध में आवेदन महीनों और सालो साल फाइल में दबे रहते हैं। शिक्षाकर्मी कितना मानसिक रूप से तनाव ग्रस्त है।

                       शासन कॉस्मॉस योजना जरूर लागू करे लेकिन सभी विभाग के सभी कार्यालयों में । केवल शिक्षाकर्मियो के लिए ही लागू करना मतलब शिक्षाकर्मियो के आक्रोश को भीतर से और पनपाने जैसा होगा  जिसका नतीजा बाद में आएगा। शिक्षाकर्मियो को अधिकार दें, सम्मान दें फिर शासन देखे की छत्तीसगढ़ की शिक्षा देश में किन उचाईयो तक जाती है। पूर्ण  सम्मान और अधिकार दिए बिना इस तरह की योजना बेमानी ही साबित होगी

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