घानापार प्रस्तावित कोलवाशरी का विरोध…ग्रामीणों ने लगाया सरपंच पर आरोप…कहा अनापत्ती प्रमाण पत्र में हुआ लेन देन

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— घानापार घुटकू में प्रस्तावित कोलवाशरी का विरोध शुरू हो गया है। ग्रामीणों ने बुधवार को पर्यावरण विभाग पहुंंच लिखित में कोलवाशरी का विरोध किया है। ग्रामीणों ने बताया कि कोलवाशरी को अनापत्ती प्रमाण देने से पहले गांव वालों को विश्वास मेंं नहीं लिया गया । चोरी छिपे लेन देन कर कोलवाशरी को अनापत्ती दिया गया है।

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                         घानापार घुटकू में प्रस्तावित कोलवाशरी का विरोध शुरू हो गया है। ग्रामीणों ने दीलिप अग्रवाल की अगुवाई में पर्यावरण विभाग पहुंंचकर लिखइत में बिन्दुवार शिकायत की है। दिलिप ने बताया कि स्थानीय लोग क्षेत्र में कोलवाशरी नहीं चाहते हैं। जिस स्थान पर कोलवाशरी प्रस्तावित है वहां गांव की सबसे ज्यादा आबादी निवास करती है। जिसके कारण ग्रामीणों को कोल डस्ट,गंंदे पानी और कई प्रकार की परेशानियों से गुजरना होगा। कोयले के डस्ट से खेल बंंजर हो जाएंगे।

                   ग्रामीणों ने लिखित में बताया कि कोलवाशरी तक पहुचने के लिए अलग से रोड भी नहीं है। भारी वाहनों के आने जाने से हादसे की हमेशा आशंका बनी रहेगी। ग्रामीणों ने क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी से कहा कि अनापत्ती प्रमाण पत्र देने से पहले जमकर लेन देन हुई है। घानापार में कोलवाशरी खुलने की जानकारी आज तक किसी भी ग्रामीण को नहीं है। पंंचायत बुलाकर विभाग के आलाधिकारी अनापत्ती प्रमाण पत्र की जांच करें।

                                 ग्रामीणों के साथ पर्यावरण संरक्षण विभाग में शिकायत करने पहुंचे दिलीप अग्रवाल ने बताया कि आवेदन के 45 दिन के अन्दर प्लांट संचालकों को जनसुनवाई बुलाना जरूरी होता है। लेकिन समय बीतने के बाद भी आज तक जनसुनवाई की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। कोलवाशरी खुलने के बाद 10 किलोमीटर के दायरे में क्या असर होगा। मूल्यांकन रिपोर्ट को आज तक  सामने नहीं लाया गया है।  भविष्य में ग्रामीण जन जीवन पर कोलवाशरी का क्या असर होगा इसकी भी जानकारी अभी तक सामने नहीं आयी है।

                   दीलिप अग्रवाल ने बताया कि हम लोग घानापार में कोलवाशरी नहीं चाहते हैं। यदि बिना मर्जी कोलवाशरी को स्थापित किया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।

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