शहर में और किस-किस के लिये लगायेंगे बेरिकेट्स ?

Chief Editor
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0 निगम की सामान्य सभा की बेरिकेटिंग बनी, शहर में मजाक की वजह  0 महापौर और नेता प्रतिपक्ष समेत कुछ पार्षद भी सुरक्षा मांगने लगे तो क्या होगा?

(शशि कोन्हेर)

बिलासपुर । किसी भी निर्वाचित सदन के ऐसे सभापति को आप क्या कहेंगे,जिसे सिर्फ अपनी सुरक्षा की चिंता हो । कहने की बात नहीं कि  अशोक विधानी नगर निगम के ऐसे पहले सभापति हैं, जिन्हे अगर कोई चिंता है तो, सिर्फ अपनी सुरक्षा की …..। मंगलवार को हुई सामान्य सभा के दौरान हाल में बेरिकेट्स लगा कर उन्होने एक तरह से नया इतिहास  ही रच दिया है । देश के प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी की तरह, बिलासपुर नगर निगम के सभापति भी छप्पन इंच सीने वाले शख्स हैं । इसीलिये निगम की सामान्य सभा में टाउनहाल के भीतर बेरिकेट्स लगाकर निगम आयुक्त समेत खुद को सुरक्षित करने का नया इतिहास बना गये ….। इससे निगम  आयुक्त और सभापति तो जरूर महफूज हो गये, लेकिन पैंतीस हजार से भी अधिक वोटों से चुनाव जीतने वाले शहर के महापौर और नेता प्रतिपक्ष समेत उन छैंसठ पार्षदों  क्या होगा? जो सामान्य सभा के कुरूक्षेत्र में अपने आकाओं के कहने पर विरोधियों से दो-दो हांथ करने के साथ ही धक्कामुक्की और कुर्सियों की फेंका-फेंकी पर मजबूर हैं,आखिर निगम प्रशासन टाउनहाल के भीतर उनकी सुरक्षा के लिये  किस तरह के बेरिकेट्स लगायेगा?

यहां यह बताना लाजमी है कि कुछ अर्से पहले ही कांग्रेसियों के धमाकेदार प्रदर्शन के बाद कलेक्टे्रट की सुरक्षा व्यवस्था भी इसीतरह चांक-चौबंद कर दी गईै । वहीं कांग्रेसियों के ही धरना प्रदर्शन से भयभीत जिला व पुलिस प्रशासन को शहर विधायक और प्रदेश मंत्री अमर अग्रवाल के निवास को महफूज रखने के लिये जीडीसी तिराहे से राजेन्द्र नगर चौक तक की सडक को दो-दो बार बंद करने पर मजबूर होना पडा है …। मतलब, जिनकी वीआईपी लोगों के लिये सरकार वैसे भी काफी कुछ कर रही है, उनकी ही और अधिक हिफाजत के लिये प्रशासन अपनी ओर से अतिउत्साह दिखाने से बाज नहीं आता । पर निगम के सभापति और कलेक्टे्रट की सुरक्षा में पूरी ताकत लगाने वाले प्रशासन को क्या यह नहीं दिखता कि बिलासपुर में सडक छाप मजनुओं और असामाजिक तत्वों के हाथों स्कूल जाने वाली छात्राएं और बाजार जाने वाली महिलाएं किस कदर अपमानित होकर असुरक्षित महसूस कर रही है ?  हमारी माताओं बहनों का शहर की सडकों पर चलना किस कदर मुश्किल हो चला है । हर मोहल्लों और चौक-चौराहों में डेरा जमाये बैठे गुण्डातत्वों से वहां रहने वाले सीधे-साधे नागरिक किस कदर खौफजदा और  असुरक्षित महसूस कर रहे है क्या ये प्रशासन को नजर नहीं आतां? शहर में  भू-माफिया, रेत माफिया, ठेका माफिया, खनिज विभाग, पुलिस और बाहुबलियो-राजनीतिज्ञों के बीच चल रही साथ चल रही सांठगांठ से आम नागरिक किस कदर असुरक्षित महसूस कर रहा है, यह भी सबको पता है ।

लेकिन इनकी सुरक्षा के लिये क्यों शासन प्रशासन आगे नहीं आता । आखिर इनकी हिफाजत के लिये कानून की सख्ती के  बेरिकेट्स क्यों नहीं लगाये जाते? हमारे शहर में मुश्किल यही है कि सारा प्रशासन तंत्र जिस आम आदमी की हिफाजत और बेहतरी के लिये तैनात किया जाता है, उसकी ही चिंता कोई नहीं करता ।अच्छा होता यदि बिलासपुर शहर के राजनीतिक, सामाजिक कर्णधार और प्रशासन के जिम्मेदार लोग  एक जमाने में अमनपसंद शहर के नाम से मशहूर बिलासपुर को फिर से शांति का टापू बनाने के लिये कोई ठोस उपाय करते । या फिर एक साथ मिलकर जनभागीदारी से  ऐसे कोई इंतजाम करते जिससे कानून और व्यवस्था की इज्जत करना हर आदमी  की मजबूरी बन जाता । जाहिर है कि  ऐसा होने पर ही न तो कलेक्टे्रट को छावनी बनाने पर और न निगम के सभापति और आयुक्त को खुद की हिफाजत के लिये किसी तरह के बेरिकेट्स लगाने पर मजबूर होना पडता । आमीन्..!

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