बिलासपुर।शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय एम्प्लॉइस एसोसिएसन छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष कृष्णकुमार नवरंग ने शिक्षा विभाग पर पंचायत राज के नियमो की उपेक्षा का आरोप लगया है। साथ ही दस्तावेज पेश करते हुए कहा है कि विभाग का यह रवैया ही शिक्षक पंचायत के शासकीयकरण संविलियन में बाधक है ।उन्होने कहा कि संविलियन पर छत्तीसगढ़ शासन अगर mp का अनुसरण करना चाहती है तो पहले समिति को भंग करे और शासकीयकरण कर संविलियन की घोषणा करे।संगठन के प्रांताध्यक्ष नवरंग ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग म प्र शासन के नीति पत्र क्र एफ 44-65/85/बी -2/बीस दिनाँक 25 मार्च 1998 के अनुसार त्रि स्तरीय पंचायती राज प्रणाली के तहत ग्रामीण क्षेत्रो की समस्त शाला को जिला जनपद पंचायत को हस्तांतरित करने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 19 अगस्त1997 को हुई बैठक में लिए निर्णयानुसार पंचायत को सौपकर पं राज अधिनियम की धारा 71 के अंतर्गत शासकीय शिक्षकों को कतिपय पदो पर प्रतिनियुक्ति पर भेजने का निर्णय लिया।
साथ ही छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग का आदेश क्रमांक एफ -1-117/2005/20 दिनाँक 15/9/2006 द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं को संसोधन पश्चात अधिकारों का प्रत्यायोजन करने हस्तांतरित कर स्कूल शिक्षा के कार्य में प्रमुख रूप से शालाओ को मान्यता देना ,पाठ्यक्रम एवं पुस्तको का निर्धारण करना, परीक्षा का आयोजन कर वार्षिक कलेंडर का निर्माण कर नवाचार लागू करने सहित 12 बिंदुओँ में काम करने की नीति बनाकर पंचायत को शिक्षक पंचायत संवर्ग की भर्ती कर जनपद स्तरीय समस्त अमला पर प्रशासकीय नियंत्रणकर्ता का अधिकार देने अधिकारों का प्रत्यायोजन किया।
इन सभी अधिकारों के बावजूद पंचायत विभाग की उपेक्षा व अनदेखी के कारण आम शिक्षक पं वेतन भत्ता सेवा शर्तों में सुधार प्रभार दायित्व वरिष्ठता सहित नियमित वेतन भुगतान के लिये संघर्ष रत है।कृष्ण कुमार नवरंग ने आगे कहा कि राज्य शासन की शिक्षा के प्रति उपेक्षा व आउट सोर्सिंग तथा निजीकरण को बढ़ावा देना शिक्षक पं संवर्ग के शासकीय करण संविलयन में बाधा है। सरकार आगे याने शिक्षा विभाग समस्त शिक्षक पं संवर्ग के ऊपर नियंत्रण का अधिकार लेकर शासकीयकरण करते हुए तीन ई याने एजुकेशन t याने ट्राइबल p मतलब पं शिक्षक नामक कैडर बना संविलियन की बाधा को दूर करेगी तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी।
संगठन ने समिति को भंग कर सीधे शासकीयकरण कर संविलियन की मांग की है।