पारस पावर प्लांट कोलवाशरी का विरोध…बिना NOCखुल रहा प्लांट..घानापार ग्रामीणों ने कहा..बेईमान सरपंचों ने फिर दिया धोखा

BHASKAR MISHRA
7 Min Read

बिलासपुर— घानापार घुटकू का एक छोटा से गांव है। इन दिनों खूब चर्चा में है। चर्चा की वजह कोलवाशरी और ग्रामीणों का विरोध है।बावजूद इसके जल्द ही 2.5एमटीएन क्षमता की कोल वाशरी खुल जाएगी। यह अलग बात है कि प्रभावित 11 गांवों के  ज्यादातर ग्रामीणों और सरपंचों का कोलवाशरी को लेकर विरोध  है। कमोबेश सभी लोगों का कहना है कि बिना स्थानीय लोगों को विश्वास में लिए कोलवाशरी खोला जा रहा है। हर हाल में कोलवाशरी का विरोध किया जाएगा। चाहे जेल ही क्यों ना जाने पड़े।

             
Join Whatsapp Groupयहाँ क्लिक करे

                           पारस पावर एण्ड कोलवाशरी प्राइवेट लिमिटेड का घानापार घूटकू समेत प्रभावित 11 गाव के ग्रामीणों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। प्रभावित गांवों के ज्यादातर सरपंचो और ग्रामीणों ने बताया कि दो एक सरपंचो को खरीदकर कोलवाशरी को खोला जा रहा है। लेकिन घानापार कोलवाशरी को नहीं खुलने दिया जाएगा। क्योंकि  पारस पावर प्लांट के मालिकों ने ज्यादातर पंचायतों ने एनओसी दिया ही नहीं है। कुछ सरपंचों ने बंद कमरे में प्लांट के मालिकों को सहमति देकर अपना पेट भर लिया है। ऐसे लोगों ने भविष्य में होने वाले नुकसान को नजरअंदाज कर पांव पर कुल्हाड़ी मारा है।

घूटकू क्षेत्र में कोलवाशरी का जाल

                       पारस पावर प्लांट कोलवाशरी का विरोध करने वाले ग्रामीणों के नेता दीलिप अग्रवाल ने बताया कि घूटकू में कोलवाशरी का जाल बिछ गया है। हजारों एकड़ जमीन बंंजर हो चुकी है। सैकड़ों लोग बड़े बड़े वाहन की चपेट में आकर जान गवां चुके हैं। कोल डस्ट के प्रभाव में आने से रोगियों की संख्या ब़ गयी है। लेकिन प्रशासन और प्लांट मालिकों को यह सब नहीं दिखाई दे रहा है। पावर और गुंडागर्दी से लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है। जबरदस्ती जमीनों को छीना जा रहा है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। 9 मार्च को जनसुनवाई के दौरान प्लांट का पुरजोर विरोध किया जाएगा।

                          दिलीप अग्रवाल ने बताया कि कब सर्वे हुआ किसी को जानकारी नहीं है।  ऊपर से ही फैसला ले लिया जाता है कि निर्धारित स्थान पर कोलवाशरी खोला जाएगा। कुछ सरपंच भी इसमें शामिल हैं। बताना चाहूंगा कि प्लांट मे सरपंच की नहींं बल्कि गरीब किसानों की जमीन जाति है। सरपच मोटी रकम लेकर शहर चला जाता है। गांव में घुटकर जीन को मजबूर होता है गरीब किसान। इसकी चिंता ना तो जिला प्रशासन को है और ना ही पर्यावरण मत्रालय को । जनसुनवाई तो सिर्फ खानापूर्ति के लिए होती है। लेकिन इस बार जनसुनवाई का अर्थ भी होगा। कोलवाशरी के मालिकों को भी अहसास दिलाया जाएगा कि चंद रूपयों के लालच में किसान भविष्य के साथ खिलवाड़ करने के लिए तैयार नहीं है।

पावर प्लांट मालिकों की धोखाधड़ी

          घानापार घुटकू में स्थापित होने वाले पारस पावर एण्ड कोलवाशरी प्लांट के मालिकों ने जमकर धांधली की है। दस्तावेजों और सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्लांट  मालिकों के पास ना तो जल बोर्ड का एनओसी है और ना ही अन्य जिम्मेदार विभागो नही अनापत्ति पत्र दिया है। जानकारी मिली है कि  जैन परिवार को घानापार में पहले से ही दशमलव 99 एमटीएन क्षमता का प्लांट स्थापित करने की अनुमति है। लेकिन प्लांट मालिकों ने पुराने प्लांंट को हासिल सभी एनओसी दस्तावेजों उपयोग  2.5 एमटीएन प्लांट की अनुमति हासिल करने के लिए किया है।  मतलब प्लांट मालिकों ने नए प्लांट के लिए पुराने प्लांट के एनओसी का उपयोग किया है।  केन्द्रीय और स्थानीय प्रशासन को अंधेरे में रखकर धोखाधड़ी का तानाबाना गूंथा है।

पुराना एनओसी नया प्लांट

                          घानपार में ही प्लांट मालिकों को .99 एमटीएन का प्लांट स्थापित करने की पूर्व से ही अनुमति है। इस दौरान प्लांट मालिकों ने .99 एमटीएन के लिए जल बोर्ड से पानी के लिए एनओसी लिया। अब उसी एनओसी का उपयोग 2.5एमटीएन वाले प्लांट में हो रहा है।शासन के सामने पेश किए गए दस्तावेजों में  पुराने पालंट का जिक्र भी नहीं किया गया है। जबकि  2.5 एमटीएन कोलवाशरी के लिए नए सिरे से सभी जिम्मेदार विभागों और प्रभावित गांव सरपंचों से एनओसी जरूरी है। लेकिन ऐसा नहीं किया गया है।

ज्यातर गांव को मालूम नही

                     ताज्जुब की बात है कि घानापार में नया प्लांट खोला जाएगा। इसकी जानकारी 11 गांव के ज्यादातर सरपंचों को ही नहीं है। लेकिन क्षेत्रिय परिवहन कार्यालय में सबका एनओसी है। फिलहाल जानकारी के बाद ग्रामीणों और सरपंचो में भयंकर आक्रोश है।

घानापार ग्रामीणों में आक्रोश

                      ग्रामीणों ने बताया कि जब से घूटकू क्षेत्र में कोलवाशरी खुलना शुरू हुआ है। फसल चौपट हो गयी है। हजारों एकड़ जमीन बंजर हो चुके हैं। खेत के खेत बांझ हो रहे हैं।  चारो तरफ धूल ही धूल है। प्लांट खुलने से पहले सुविधाओं के बड़े बड़े वादे किए जाते हैं। लेकिन बाद में सब टायं टाय फिस्स हो जाता है। प्लांट खुलने और खेत बंजर होने के बाद अच्छे खासे किसान दिहाड़ी मजदूर बनकर रह जाते हैं।

                        घानापार के लोगों ने बताया कि जिस स्थान पर कोलवाशरी को खोला जाना है उसके आस पास गांव की बहुत बड़ी आबादी निवास करती है। कोल डस्ट से बहुत प्रकार के रोग होते हैं। इस बात को सभी लोग जानते हैं। कैसंर ,अस्थमा टीबी जैसे भंंयकर रोग कोयले के धूल से ही होते हैं। गंभीर रोग के शिकार लोग घुटघुटकर मरने को मजबूर होते हैं। यदि सरकार को कोलवाशरी वालों से इतना ही प्यार है तो ग्रामीणो को घुट घुटकर मारने की वजाय मौत का इंंजेक्शन लगा दे। इससे बस्ती भी साफ हो जाएगी। पालंंट का विरोध भी  नहीं होगा।

close