डा. कलाम ने मुझे कहा था – ” डू इट सिंशेयरली वर्क ”

Chief Editor

apj kalam 7nov                         ( संजय दीक्षित )

Join Our WhatsApp Group Join Now

मैं  न्यूज एक्सप्रेस की मीटिंग के सिलसिले में तीन दिन से पुणे में हूं। महान वैज्ञानिक एवं पूर्व राष्ट्रपति डा0 एपीजे कलाम के देहावसान की खबर जब मुझे कल शाम को यहां मिली, तो मुझे यकबयक यकीन नहीं हुआ। नौ साल पहले की ढेरों स्मृतियां मेरी आंखों के सामने घूम गई। 7 नवंबर 2006। मेरी जिंदगी का सर्वाधिक गौरवशाली क्षण। रायपुर के साइंस कालेज ग्राउंड पर उनके हाथों मुझे स्व0 चंदूलाल चंद्राकर स्मृति पत्रकारिता फेलोशिप एवं अवार्ड प्राप्त हुआ था। फेलोशिप का विषय था, सिकलसेल से पिछड़ी जातियों का अस्तित्व खतरे में।

छत्तीसगढ़ में सिकलसेल की बढ़ती बीमारी को लेकर तब वे काफी चिंतित थे। देश के कई जगहों पर अपने भाषणों में वे इसका जिक्र कर चुके थे। मुझे अच्छी तरह याद है, फेलोशिप देने के दौरान मंच पर उनके बगल में खड़े तत्कालीन राज्यपाल केएम सेठ ने मुझेे धीरे से कहा कि डा0 कलाम को मैं सिकलसेल के बारे में बताउं। सिकलसेल सब्जेक्ट सुनकर राष्ट्रपति बेहद प्रसन्न हुए। मुझे पुरस्कार के लिए दो मिनट का समय तय था। सो, मेरी लेडी स्काट आफिसर कई बार मेरा टाईम खतम होने की इशारा किया। मगर उनसे चार मिनट तक सिकलसेल पर बातें होती रही। मुझे आज भी याद है कि किस तरह एक ओर लेडी आफिसर मुझे घड़ी दिखाती रही और उधर, राष्ट्रपति से मेरी बात होती रही। इसे देखकर सीएम डा0 रमन सिंह, स्व0 विद्याचरण शुक्ल अपनी मुस्कान रोक नहीं पाए। आखिर में, डा0 कलाम ने मुझसे कहा, डू इट सिंशेयरली। इसके बाद, मैंने उनसे एक फोटो का आग्रह किया। वे फौरन तैयार हो गए। उस क्षण मैं और मेरा परिवार कभी भूला नहीं पाएगा। मेरी बेटी अपूर्वा तब पांच साल की थी। मेरे घर आने वाले लोगों को वह फोटो दिखाकर बताती थी कि वो देखिए…..भारत के राष्ट्रपति डा0 एपीजे कलाम।
मेरे लिए दोहरा सुखद संयोग तब आया, जब नवंबर 2010 में सिकलसेल पर रिसर्च बुक तैयार हुआ। तब डा0 कलाम राष्ट्रपति पद से हट गए थे। रायपुर के मेडिकल कालेज आडिटोरियम में सिकलसेल पर इंटरनेशनल कांफे्रंस आयोजित थी। डा0 कलाम इस कार्यक्रम के चीफ गेस्ट थे। उन्होंने मेरी पुस्तक का विमोचन किया। मैंने उन्हें बताया, आपने ही मुझे फेलोशिप प्रदान की थी। और…..। वे चौंके। तुरंत बोले, ग्रेट! मैं धन्य था…..जिसे डा0 कलाम जैसी शख्सियत के हाथों न केवल फेलोशिप मिला, बल्कि फेलोशिप के तहत जो शोध ग्रंथ मैं तैयार किया, उसका उन्होंने विमोचन किया। कलाम ऐसे व्यक्ति थे, जिनसे राष्ट्रपति की कुर्सी उंची हो गई।

close