नईदिल्ली।देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के 12,700 करोड़ रुपये के घोटाले सामने आने के बाद उपजे विवाद को लेकर बैंक के प्रबंधन निदेशक (एमडी) ने कहा कि इसे 6 महीनों में खत्म कर लिया जाएगा।पीएनबी के एमडी सुनील मेहता ने रविवार को कहा कि पीएनबी नीरव मोदी फ्रॉड केस से उपजे विवाद से 6 महीने के भीतर बाहर निकल आएगा।हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने पीएनबी के मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस ब्रांच से फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के जरिये विदेशों में दूसरे भारतीय बैंकों से पैसे निकाले थे जिसके बाद वो विदेश भाग गए।मेहता ने कहा कि सरकार बैंक को काफी मदद कर रही है दूसरे स्टेकहोल्डर और कर्मचारी भी इस अफरातफरी वाली स्थिति से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं।बैंक की लंबी विरासत और शक्ति को बताते हुए मेहता ने कहा, ‘यह 123 साल पुरानी संस्था है जो स्वदेशी आंदोलन के दौरान लाला लाजपत राय के द्वारा स्थापित हुई थी। इसके 7,000 से ज्यादा ब्रांच हैं और देश के अंदर 10 लाख करोड़ रुपये का घरेलू बाजार है। इसलिए इस तरह का फ्रॉड हमारे ग्राहकों के विश्वास को नहीं हिला सकते हैं।’
डाउनलोड करें CGWALL News App और रहें हर खबर से अपडेट
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.cgwall
हमसे facebook पर जुड़े- www.facebook.com/cgwallweb
twitter- www.twitter.com/cg_wall
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में भी बैंक का व्यवसाय अच्छे दर से बढ़ रहा है।मेहता ने कहा कि बुरे वक्त में काफी कुछ सुधारने को भी मिलता है जैसे बैंक क्रेडिट प्रक्रिया में सुधार के लिए सोर्सिंग, प्रोसेसिंग, मॉनिटरिंग और रिकवरी जैसे चार स्तरों पर सुधारने की कोशिश करेगी।हालांकि मेहता ने इस घोटाले की रकम वापसी का रास्ता नहीं बताया और यह नहीं कहा कि घोटाले की राशि कैसे वसूली जाएगी।
क्या है मामला:
पंजाब नेशनल बैंक ने 11,400 करोड़ रुपये के घोटाले के बारे में 14 फरवरी को जानकारी दी थी, जिसमें हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने पीएनबी के एक ब्रांच से फर्जी एलओयू के जरिये विदेशों में दूसरे भारतीय बैंकों से पैसे निकाले।जांच के बाद बैंक के 1,200 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला और सामने आया था।यह घोटाला 2011 में ही शुरु हुआ था और इस साल जनवरी के तीसरे सप्ताह में सामने आया जिसके बाद पीएनबी अधिकारियों ने संबंधित एजेंसियों को इसकी सूचना दी थी।
पीएनबी ने इस मामले में सीबीआई के समक्ष 13 फरवरी को दूसरी एफआईआर फाइल की थी। इससे पहले सीबीआई ने 28 जनवरी को पीएनबी से पहली शिकायत प्राप्त की थी और 28 जनवरी को केस दर्ज किया था।इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब विदेश में स्थित भारतीय बैंकों ने पीएनबी से पैसों की मांग की थी।
क्या है एलओयू:
लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) बैंक गारंटी देने का एक प्रावधान है जिसके तहत एक बैंक अपने ग्राहकों को किसी दूसरे भारतीय बैंक के विदेशी शाखा से शॉर्ट टर्म क्रेडिट के रूप में पैसे लेने की इजाजत देता है।यदि पैसे लेने वाला खाताधारक डिफॉल्टर हो जाता है तो एलओयू कराने वाले बैंक की जिम्मेदारी होती है कि वह संबंधित बैंक को बकाये का भुगतान करे जिससे उसके ग्राहक ने पैसे लिए थे।पीएनबी के अधिकारियों ने गलत तरीके से नीरव मोदी को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) दिया जिसके आधार पर वह दूसरे बैंकों से विदेश में कर्ज लेने में सफल रहा।
जांच प्रक्रिया में क्या हुआ:
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि पीएनबी ब्रांच के सभी कर्मचारियों में रकम बंटती थी, इसमें एलओयू की रकम के हिसाब से कमीशन तय होता था।सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने इस घोटाले के आरोप में पीएनबी के कई पूर्व और मौजूदा कर्मचारियों, नीरव मोदी ग्रुप और मेहुल चोकसी के फर्म के कई लोगों को गिरफ्तार किया और पूछताछ की।करीब दो महीने बीतने के बाद भी इस मामले की जांच में हर रोज नए मामले सामने आ रहे हैं।अभी हाल ही में ईडी ने हीरा कारोबारी नीरव मोदी के भरोसेमंद और फायरस्टार समूह के उपाध्यक्ष श्याम सुंदर वाधवा को गिरफ्तार कर लिया है।
कहां हैं मुख्य आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी:
मामले के खुलासे से पहले ही नीरव मोदी और मेहुल चोकसी देश छोड़कर फरार हो चुके थे। बताया जाता है कि नीरव मोदी अमेरिका के किसी शहर में अपनी पत्नी के साथ रह रहे हैं।हाल ही में विदेश मंत्रालय ने हांगकांग सरकार से नीरव मोदी की गिरफ्तारी के लिए अपील की थी। भारत सरकार इस बारे में 23 मार्च 2018 को हांगकांग की सरकार को अनुरोध पत्र भी सौंप चुकी है।बता दें कि नीरव मोदी और मेहुल चोकसी कई बार ईडी और सीबीआई को घोटाले की रकम को नहीं लौटाने की बात कह चुके हैं।