अमित जोगी ने साय पर दागा पांच सवाल…लगाया आरोप…पोलावरम कान्ट्रैक्टर और साय में गहरी सांठ गांठ..

BHASKAR MISHRA
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रायपुर— मरवाही विधायक ने रायपुर में प्रेसवार्ता के दौरान राष्ट्रीय अनुसूचित जन जाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष को विरोधाभासी बयान पर घेरा है। पत्रकारों से करीब ढाई महीने पहले नन्दकुमार साय ने पोलावरम बांध का विरोध किया। उन्होने कहा था कि हीराकुण्ड बांध निर्माण के समय विस्थापित आदिवासियों का आज तक पता नहीं चला कि कहा गए। फिर 30 मार्च को साय ने पोलावरम बांध गए। उन्होेने पोलावरम बांध के समर्थन में ना केवल बयान दिया। बल्कि परियोजना से जुड़े ठेकेदारों से मुलाकात सत्तर हजार करोड़ रूपए की योजना के लिए पीठ थपथपाया।

             
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                     जोगी ने कहा कि सवाल ये उठता है किए ढाई महीने पहले नंदकुमार साय आदिवासियों के विस्थापन की कोई व्यवस्था नहीं होने की बात कर रहे थे। ढाई महीने बाद एएसा क्या हुआ कि आन्ध्रा जाकर पोलावरम को विश्व का सर्वश्रेष्ठ प्रोजेक्ट बता दिया। इतना ही नहीं उन्होने कहा कि योजना से प्रभावित आदिवासियों में खुशी का दावा किया।

                 जोगी ने कहा कि साय का बयान भ्रम में डालने वाला है। राष्ट्रीय जनजाति आयोग अध्यक्ष संवैधानिक पद पर वैठकर पोलावरम बाँध के एजेंट की तरह बात कर रहे हैं। जबकि आयोग के अध्यक्ष को जनजातियों के हितों और अधिकारों की रक्षा करने की जिम्मेदारी है। लेकिन प्रोजेक्ट की तारीफ कर उनह्ोने पोलावरम बांध को क्लीन चिट दे दिया है। जोगी ने बताया कि मेरे पास प्रमाण है कि पोलावरम कान्ट्रैक्टर और साय के बीच गहरी सांठ गांठ है।

              यदि लोगों को लगता है कि हवा में बातें कर रहा हूं… तो नन्दकुमार साय मेरे पांच सवालों का जवाब दें। इसके बाद जो कहेंगें मैं मान लूंगा। जोगी ने पांच सवाल दागते हुए कहा कि साय बताएं कि 19 जनवरी को उन्होने  विस्थापन पर संशय व्यक्त किया था और ढाई महीने बाद ऐसा क्या हुआ कि उन्हे  कहना पड़ा कि आदिवासियो को न्याय मिल गया है।

                          जोगी ने सवाल किया कि साय सुकमा और कोंटा जाकर प्रभावितों से नहीं मिले। बावजूद इसके उन्होने विस्थापन और बाँध कार्य को संतोषजनक किस आधार पर बताया।  किसी शिकायत की जाचं करते समय राष्ट्रीय जनजाति आयोग को सिविल न्यायालय की शक्तियाँ प्राप्त हैं। साय  सुकमा और कोंटा नहीं गए। प्रभावितों से बिना मिले उन्होने पोलावरम के पक्ष में सार्वजनिक बयान दिया। यह जानते हुए भी कि संवैधानिक पद पर हैं।साय के बयान से सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले पर प्रभाव पड़ सकता है।

                  जोगी ने कहा कि जनता जानना चाहती है कि क्या आंध्रप्रदेश बाँध की ऊंचाई कम करने को राजी हो गया है।  मुआवज़े का निराकरण किस  आधार पर तय हुया है। क्या छत्तीसगढ़ में जन सुनवाई पूरी और विधिवत हुई है। प्रभावितों का विस्थापन कहाँ किया जा रहा है। कितनी सिंचित भूमि आदिवासियों को मिलेगी ।

    संवैधानिक पद पर रहकर बिना किसी ठोस जानकारी और प्रमाण के पक्ष रखना कानूनी जुर्म और अपराध है। नंदकुमार जी को चुनौती देता हूँ कि अगर वो सच्चे हैं तो छत्तीसगढ़ की जनता के सामने शपथ.पत्र दें कि सुकमा कोंटा के प्रभावित आदिवासियों के साथ न्याय हुआ है। बताएं कि जनसुनवाई कब हुई…किस आधार पर साय कह सकते हैं कि पोलावरम से छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़वासियों को नुकसान नहीं होगा।

                              अमित जोगी ने कहा कि नन्दकुमार साय ने आंध्र सरकार से मिलकर स्तरवासियों के भविष्य से सौदा किया है। केवल आदिवासियों के नाम पर ढोंग और स्वार्थ की राजनीति कर रहे हैं।  आंध्रप्रदेश सरकार ने पोलावरम के कॉन्ट्रैक्टरों के माध्यम से राष्ट्रीय जनजाति आयोग के पक्ष को खरीद लिया है। आज उसी का परिणाम है कि राष्ट्रीय जनजाति आयोग का अध्यक्ष छत्तीसगढ़ से होने के बाद भी छत्तीसगढ़ के हितों की अनदेखी हो रही है।

            पत्रकारों से जोगी ने कहा कि हम राज्य  केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि नंदकुमार साय के आंध्रा दौरे की जांच करे। प्रदेश के मुखिया से मांग करते हैं कि राष्ट्रीय जनजाति आयोग अध्यक्ष के पोलावरम समर्थित दावों और ब्यानों का आधिकारिक तौर पर कड़ा विरोध दर्ज क।

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