कांग्रेस को न न्याय और न न्यायधीश पर भरोसा…महाभियोग केवल राजनीतिक नाटक..,लाल लाबी दे रही हवा…

BHASKAR MISHRA
6 Min Read

Supreme Court, Sc, Aadhaar, Bank Frauds, Frauds,बिलासपुर(वरिष्ठ पत्रकार अमित मिश्रा)—देश का दुर्भाग्य है कि राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए राजनैतिक दल न्यायपालिका को भी अपनी गंदे दांवपेंच में शामिल करने से बाज नहीं आ रहे हैं। एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस लोया प्रकरण में कांग्रेस पार्टी मुंह की खाई और बौखलाकर महाभियोग लाने का महानाटक का पाशा फेंक दिया। कांग्रेस ने सीजेआई पर 5 आरोप लगाते हुए लोकतंत्र खतरे में है…बताने में जुट गयी है। सच तो यह है कि खतरे में लोकतंत्र नहीं बल्कि कांग्रेस है।

                           कांग्रेस ने राज्यसभा में सुपीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर आरोप लगाते हुए 71 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ राज्यसभा के सभापति को नोटिस तामिल कराया है। महाभियोग खेल के पीछे असली सूत्रधार कपिल सिब्बल और लाल लाबी है। दरअसल विपक्ष नही चाहता कि राम मंदिर का विवाद सुलझे। किसी भी तरह का हथकंडा अपनाकर समस्या को सलझाने से रोका जाए।

               सुप्रीम कोर्ट से जस्टिस लोया प्रकरण में फटकार के बाद कांग्रेस ने इंसाफ की अदालत पर सोची समझी रणनीति के तहत वार किया है। इस गंदे खेल को कांग्रेस के सुलझे नेताओं ने महाभियोग को नकार दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह , चिदम्बरम, सलमान खुर्शीद, आनन्द शर्मा, और मनीष तिवारी ने यह कहते हुए महाभियोग का विरोध किया कि न्यायिक प्रक्रिया पँर राजनीति करना ठीक नही है । इन नेताओं ने दस्तखत करने से इंकार कर दिया है। फिलहाल महाभियोग को लेकर कांग्रेस पार्टी  दो खेमों में बटी हुयी है।

                  न्यायपालिका पर उंगली उठाना लोकतंत्र के लिए ठीक नही है। अंदर से उठी जनता की आवाज को सुनकर टीएमसी, डीएमके, आरजेडी ने भी महाभियोग में कांग्रेस का साथ देने से इंकार कर दिया है। कांग्रेस भी जानती है कि संसद में संख्या बल कम है। लेकिन महाभियोग का सिम्बालिक हथियार से कोर्ट के निर्णयों पर उंगली उठाया जा सकता है। इसे कांग्रेस का छिपा एजेंडा भी कहा जा सकता है।

                      ऐसा करना ना केवल शर्मनाक है बल्कि ख़ौपनाक भी है। इससे पता चलता है कि कांग्रेस सत्ता के लिए किसी भी स्तर तक गिरने को तैयार है। ऐी सोच लोकतंत्र के लिए बहुत घातक है।जनता इसकी कल्पना कर परेशान भी है।

                          मानव जीवन  में बाल्यकाल ,युवा काल, प्रौढ़ और फिर वृद्धावस्था आता है । बाल्यकाल और वृद्धावस्था कमोबेश कुछ एक ही तरह का होता है।  ज्यादा वृद्ध अवस्था में मानव की सोच बालकों की तरह हो जाती है। कुछ इसी तरह जैसे आजकल राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी की है। पार्टी की उम्र भी सौ साल से ऊपर हो चुकी है।  जाहिर सी बात है कि उसकी सोच भी बालको की तरह होगी। कांग्रेस पार्टी ऐसे मुद्दा उठा रही है ,जिसे न्याय पालिका ने  खत्म हुआ मान लिया है।

         सीजेआई के बाद चार सबसे वरिष्ट जजों ने प्रेस कांफ्रेंस कर चीफ जस्टिस के कामकाज पर सवाल उठाया था। निश्चत रूप गलत परम्परा का बीजारोपण हुआ है। जबकि सम्मानीय जज अपनी बातों को उचित फोरम में भी रख सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं कर सम्मानीय जजों ने न्यायपालिका की गरिमा  पँर चोट पहुंचाने का कुत्सित प्रयास किया है।  फिर भी सीजेआई ने नया रोस्टर बनाया। कामकाज का बंटवारा भी किया।  हांलांकि नाखुश जज अभी भी सन्तुष्ट नही हुए है। इससे जाहिर होता है कि  पर्दे के पीछे कुछ ओर बात है।

                                 जस्टिस लोया, राम मंदिर विवाद ,  तीन तलाक , एसटी एससी एक्ट आतंकवादी को फाँसी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को सीजेआई ने एक के बाद एक निर्णय करना शुरू  कर दिया। जाहिर सी बात है कि कांग्रेस की परंपरागत वोट पँर चोट पड़ने लगी है। कांग्रेस के कुछ वकील नेताओं ने कुछ ऐसा माहौल बनाया कि जैसे देश को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। सच्चाई तो यह है कि वकील नेताओं ने ऐसा महौल सिर्फ अपने फायदे के लिए बनाया है। कांग्रेस की मुहिम में सीपीएम के कुछ नेता महाभियोग को हवा देने का काम कर रहे हैं। ताकि आगामी नाव से पहले  पक्ष में कुछ महौल तैयार किया जा सके।

                     देश के इतिहास में दर्ज किया जायेगा कि सीजेआई दीपक मिश्रा ने राष्ट्रहित और सामाजिक मुद्दों पर ऐतिहासिक निर्णय देकर देश और समाज की गम्भीर दशा और दिशा देने में सफलता हासिल की है। जस्टिस मिश्रा ने सीजेआई बंनने के  पूर्व भी ऐसे गम्भीर मुद्दों पर फैसले दिए है। जिसे लाल लॉबी और कांग्रेस हजम नही कर पा रही है। इसलिए कहा जा सकता है कि न्याय की दीपक पँर कांग्रेस ने ग्रहण लगाने का कुत्सित प्रयास किया है। ऐसे लोगों को देश की जनता कभी सफल नहीं होने देगी।

close