दिव्यांग तीर्थयात्रियों को प्लेटफार्म में घसीटा गया…क्या अपमानित होने के लिए मांगा था जोन..कमाऊ जोन अधिकारी के बोल..नहीं है बैट्री कार…मांगने पर मिलेगी चेयर..

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— वाह रे व्यवस्था…यदि इसे व्यवस्था कहें तो अव्यवस्था को क्या नाम दें…। देश का सबसे कमाऊ जोन में आज जो कुछ देखने को मिला..उसे शायद ही कोई दूसरी बार देखना चाहेगा। मंजर देखकर कलेजा मुंह को आया गया। लेकिन लोगों को देखने पड़ा। जब आठ दिव्यांगों को घसीटकर स्पेशल ट्रेन में बैठाया गया। शायद इस नजारे को देखकर दक्षिण पूर्व रेलवे प्रशासन को शर्म तो जरूर आयी होगी। सवाल उठता है क्या हमारे बड़े और वरिष्ठों ने इसी दिन कों देखने के लिए अपने आपको दांव पर लगाया था। शर्म आती है कहने में देश के कमाऊ जोन के पास ना तो बैट्री कार है और न ही किसी प्रकार की व्यवस्था जिसके सहारे दिव्यांग भाई एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफर्म आसानी से पहुंच सके।

                                            देश में कमाऊ जोन का दम्भ भरने वाले रेलवे अधिकारियों को केवल टारगेट की चिंता है। सुविधा से शायद उन्हें कोई मतलब नहीं। आज कहने से परहेज नहीं है कि बिलासपुर के लोगों ने नाफरमान कर्मचारियों के लिए अपने आपको रेल जोन की आग में झोंका। रेलवे प्लेटफार्म एक पर दिव्यांगो के साथ जो कुछ हुआ शायद उसे देखकर रेल जोन के लिए संघर्ष करने वालों का कलेजा मुंह को आ जाए। लेकिन बेशर्म रेल प्रशासन को शायद ही इसकी चिंता हो। क्योंकि उन्हें तो केवल टारगेट की चिंता है।

मानवता होती रही शर्मसार..अधिकारियों को चिंता नहीं

                       मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना में 78 लोग तीर्थयात्रा पर रवाना हो गएे। रवाना होने से पहले रेल प्रशासन और सामाजिक कल्याण विभाग की व्यवस्था की पोल भी खोल गए। पोल ऐसी कि दुबारा इस घटना को कोई याद नहीं करना चाहेगा। मालूम हो कि सीएम तीर्थयात्रा योजना के तहत सामाजिक कल्याण विभाग ने 78 लोगों को स्पेशल ट्रेन से द्वारिकाधीश रवाना किया। योजना का लाभ लेने वालों में 8 दिव्यांग भी शामिल हैं। उनके साथ बिलासपुर प्लेटफार्म में कुछ  ऐसा हुआ कि जिसे देखकर लोगों के आंख भर आए। सोचने के लिए मजबूर होना पड़ा कि इससे अच्छा होता कि बिलासपुर में जोन ही नहीं होता। यदि ऐसा होता तो दिव्यांगो के साथ जो कुछ हुआ उससे शायद ही किसी को शिकायत होती।

                बिलासपुर जोन लगातार सफाई,सुरक्षा और संरक्षा पर विकास की सीढ़ी दर सीढी चढ़ रहा है। शर्म की बात है कि कमाऊ जोन के पास दिव्यांगों के लिए ना तो व्हील चेयर है और ना ही बैट्री कार। .यही कारण है कि स्पेशल ट्रेन आने के बाद दिव्यांगो को घसीटकर सीढ़ी चढ़ाया गया। जिसने भी इस मंजर को देखा उसके आंख भर आये। तीर्थयात्रियों ने बताया कि हम लोगों ने व्हीलचेयर और बैट्री कार की मांग स्टेशन अधिकारियों से की। बावजूद इसके किसी ने सहोयग नहीं किया।  दिव्यांगों को उठाकर सीढ़ी पर चढ़ना मुश्किल है।

                      मजेदार बात है कि स्पेशल ट्रेन पकड़ने दिव्यांगों को सीढ़ी से घसीटते सभी लोगों ने देखा। शायद स्टेशन के जिम्मेदार अधिकारियों ने भी देखा। बावजूद इसके दिव्यांगों को न तो बैट्री कार मिली और नही व्हील चेयर।

मांगने पर व्हीलचेयर की व्यवस्था

                    दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जनसम्पर्क अधिकारी डॉ.पी.सी.त्रिपाठी ने बताया कि जोन में व्हीलचेयर की व्यवस्था है। हमारे पास्ल बैट्री कार की व्यवस्था नहीं है। यदि दिव्यांगो को घसीटा गया या उन्हें प्लेटफार्म बदलने में परेशानी हुई तो इसके लिए रेल प्रशासन जिम्मेदार नहीं है। दिव्यांग या जिम्मेदार व्यक्ति को रेल प्रशासन से व्हील चेयर की मांग करना होगा । मांग नहीं किया जाएगा तो व्हील चेयर किसे चाहिए किसी को कैसे पता चलेगा। डॉ.त्रिपाठी ने बताया कि इसमेंं रेल प्रशासन का कोई दोष नहीं है। रही बात बैट्री कार की तो हमारे पास इसकी सुविधा नहीं है।

रायपुर में बैट्री कार फिर बिलासपुर में क्यों नहीं

               जानकारी के अनुसार रायपुर में व्हीलचेयर के अलावा बैट्री कार की सुविधा है। बिलासपुर में क्यों नहीं..इसका जवाब रेल प्रशासन के पास नहीं है। क्या रेल प्रशासन इस तरफ ध्यान देगा। खासतौर पर कमाऊ जोन का दम्भ भरने वाले अधिकारियों को यात्रियों की सुविधा को लेकर जरूर सोचना होगा कि यात्रा करने वालों में दिव्यांग भी शामिल हैं।

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