पी़डि़त आदिवासी बच्ची के पिता ने कहा…ASI ने बनाया बंधक…तीन जगह लिया अँगूठा..जोखिम में परिवार की जान

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–सिविल लाइन एएसआई शैलेन्द्र सिंह और शिक्षिका पत्नी शशि सिंह के खिलाफ प्रताड़ित बच्ची का पिता पत्रकारों के सामने आया। चन्नु पुनेम ने बताया कि उसे बंधक बनाकर शैलेन्द्र सिंह और उसके परिवार ने मामले को दबाने का प्रयास किया है। बीजापुर से बिलासपुर के बीच तीन बार जगह दबाव बनाकर दस्तावेजों पर अगूंठा लिया है। इसके बाद बड़ी मुश्किल से छोड़ा है। उस पर दबाव बनाया गया कि बच्ची के साथ जो कुछ हुआ भूल जाए। शैलेन्द्र सिंह ने जान से मारने की भी धमकी दी है।

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                           मालूम हो कि आदिवासी बच्ची को बंधक बनाकार मारपीटऔर शौषण का मामला उजागर होने के बाद एएसआई शैलेन्द्र सिंह और उसकी पत्नी ने नाबालिग बच्ची के पिता और भाई जीजा को बंधक बनाकर तीन दिन तक घुमाया है। इन तीन दिनों में आरोपियों ने नाबालिग बच्ची के पिता से राजीनामा पर अंगूठा लगवाया। बाद में बिलासपुर में छोड़ दिया गया। यह बाते पत्रकार वार्ता में शैलेन्द्र सिंह परिवार से प्रताड़ित नाबालिग बच्ची के पिता चन्नू पुनेम ने बताई।

               बीजापुर निवासी चन्नू पनेम ने बताया कि दो साल पहले शैलेन्द्र और शशि सिंह ने नाबालिग बच्ची को पढ़ाने लिखाने और काम काज के लिए बिलासपुर लाया। बच्ची को यह सोचकर भेज दिया कि गरीबी में हाथ बटाएगी और कुछ पढ़ लिखकर काम करेगी। लेकिन यहां तो साहब ने मेरी बच्ची के साथ जो कुछ किया उससे देखकर दिल रो रहा है। सोचने को मजबूर होना पड़ रहा है कि क्या किसी बच्ची के साथ ऐसा किया जा सकता है।

                                  चन्नू ने बताया कि तीन मई को साबह ने फोन किया और कहा कि बच्ची बीमार है बिलासपुर आना है। चार मई को शैलेन्द्र सिंह,शशि सिंह और एक ड्रायवर गाड़ी में बैठाकर बीजापुर से कवर्धा लाया। कवर्धा में एक दस्तावेज पर अंगूठा लगवाया गया। इसके बाद उसे दुर्ग के आस पास किसी गांव लेकर गए। वहां भी कागज पर अंगूठा लगवाया। 6 मई को बिलासपुर लाकर पुराना बस स्टैण्ड स्थित उदय लाज में रूकवाया गया। दुसरे दिन अभिलाषा परिसर स्थित साहब के घर लाया गया।

              चन्नू पुनेम ने बताया कि घर पहुंचने के करीब दो तीन घंटे बाद प्रियंका शुक्ला का फोन आया। पूरी बात होने से पहले ही मुझे,मेरे दामाद और बेटे को तुरंत गाड़ी में बैठाकर दुर्ग लाया गया। घटना सात मई की है। दुर्ग में फिर लिखा पढ़ी हुई। अंगूठा लगवाने के बाद बिलासपुर में किसी गांव के आस पास छोड़ दिया गया। इस दौरान साहब ने किसी मोटे से पुलिस वाले से मिलवाया। कहा कि यह बड़े एसपी साहब है। मैने डर में आकर मोटे पुलिस वाले से कहा कि हम लोग बच्ची को लेकर घर चले जाएंगे।

                               इसके बाद प्रियंका शुक्ला के प्रयास से बच्ची से पुलिस अधीक्षक कार्यालय में मुलाकात हुई। आपबीती सुनाई। प्रेस वार्ता में मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रियंका शुक्ला ने बताया कि चन्नू पुनेम का अपहरण कर बंधक बनाया गया । डरा धमकाकर उससे दस्तावेजों पर अंगूठा लिया गया है। हम लोग पुलिस कप्तान से मांग करेंगे कि दोषी एएसआई और शशि सिंह के खिलाफ मानव तस्करी का मामला दर्ज किया जाए। चन्नु पुनेम की जान खतरे में है। उसे और उसके परिवार को पुलिस अभिरक्षा प्रदान की जाए।

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