शिक्षा कर्मियों की महापंचायत का असर – ” विधानसभा मिशन हमारा ” नारों के साथ रंगने लगीं दीवारें…..

Chief Editor
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रायपुर । छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में काम कर रहे शिक्षा कर्मी संविलयन सहित अपनी 9 सूत्रीय माँगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। इस सिलसिलों में 11 मई को रायपुर में महापंचायत का आयोजन किया गया था। जिसमें अपने हक की लड़ाई को और  आगे बढ़ाने के लिए विधानसभा क्षेत्रों में संकल्प दिवस मनाने का फैसला किया गया है। इसका असर शिक्षा कर्मियों में नजर आनो लगा है। कई जगह दीवारों पर विधानसभा मिशन- हमारा संविलयन के नारों के साथ वाल पैंटिंग  दिखाई देने लगे हैं। साथ सोशल मीडिया प एक मैसेज खूब वायरल हो रहा है, जिसमें मैं कर्मी नहीं –  मैं एक शिक्षक हूं नेता नहीं …. जैसे शब्दों के साथ कहा गया है कि संविलयन की जायज माँग को लेकर पूरे शिक्षा कर्मी एकजुट है औऱ अपना हक लेकर रहेंगे।

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सोशल मीडिया में वायरल हो रहे एक संदेश मे कहा गया है किः-
 ” जब घी सीधी ऊंगली से न निकले तो ऊंगली टेढी कर लेना ही समझदारी है और वैसे भी हम शिक्षक हैं जिनका हक मारकर यह वर्तमान सरकार हमें शिक्षा-कर्मी बुला रही है |मैं पूछना चाहता हूं कि क्या राज्य के माननीय मुख्यमंत्री जी सहित सभी सम्मानित मंत्रियों ,ब्यूरोक्रेट्स को पढाने वाले भी कर्मी ही थे क्या उस समय उनके शिक्षकों का यही रोड और धूल खाने की जिंदगी थी? नहीं ! वे ईज्जत का जीवन जीते थे और कुछ लोंग आज भी ईज्जत से ही जी रहे है खुशहाली में है सिवाय हम कर्मियों के…… जिन्हे इस शासन के नुमाइंदो ने अधिकारों और आवश्यकताओं की पूर्ती तो छोडो वेतन जिसे मेहनाताना कहते हैं   । सही समय पर नहीं देते ,कारण आज तक समझ नहीं आया |
खैर जो भी हो हम अपने छत्तीसगढ राज्य के बच्चों के गुरुजी हैं ।  इसलिए हम बच्चों को अन्याय के खिलाफ लडना सिखाते हैं  । शोषण के खिलाफ खडे होना सिखाते हैं  । पर यह सरकार स्कीम करती है अपने सहयोगी दलों सहित मातृ संगठन को ढाल बनाकर नए पैंतरे ईस्तेमाल कर हमें हमारे हकों और संविलियन से वंचित करना चाहती है  । हमारे वर्ग 3 के साथियों के वेतन विसंगती को यथावत ही रखना चाहती है ।  जिनकी संख्याबल छत्तीसगढ के  पौने दो लाख शिक्षाकर्मियों का एक तिहाई जनसैलाब है ।  जिनके साथ वर्ग 1व 2 के हमारे साथी सदैव खडे रहते हैं  । तात्पर्य सभी एक साथ पीडित व एक साथ  संघर्षशील है  । जिसे सरकार हजम नहीं कर पा रही है  आज मोर्चा के प्रांतीय संचालकगण वीरेंद्र दुबे जी, संजय शर्मा जी ,केदार जैन जी सहित सभी पांचों संचालक एक हो गए हैं ।  जिनके सफल सामूहिक आंदोलनों की तिलमिलाहट में छत्तीसगढ में rss समर्थित महासंघ का गठन हुआ ।  जिनकी सदस्यता आंकडों से पता चलता है कि महासंघ की जमानत जब्त हो चुकि है ।  ठीक उसी प्रकार यदि सरकार हम शिक्षाकर्मियों की जायज मांग नहीं मान लेती तो  आने वाले दिनों में यह जरुरी नहीं कि वर्तमान सरकार ही रहे हम नये सरकार से गुहार लगा सकते हैं  । मगर एक बात पत्थर की लकीर है कि -“जो शिक्षाकर्मी का संविलियन करेगा वह छत्तीसगढ में राज करेगा 5 नहीं अगले 15 वर्षों तक ” |
      साथियों महापंचायत में हजारों की संख्या में उपस्थित होकर आप सब ने शासन को मजबूर किया है कि वह आपके भविष्य के बारे में सकारात्मक निर्णय ले  । जिसका आंशिक असर रायपुर में देखने मिला  । सरकार ने बिना विलंब किए SSA के वेतन भुगतान के लिए आंबटन जारी करने का आदेश दिया । ठीक ऊसी प्रकार से वर्ग 3 की वेतन विसंगति दूर कर संविलियन की सौगात का आदेश भी जारी कर दे तो उन्हे और हमें आने वाले दिनों में चैन की नींद नसीब हो सकती हैं और नहीं करेगी तो हमारा तो ठीक है  । हम अल्प नींद और कमी –  घटी में जीने के आदी हो चुके हैं ।  पर उन्हें तो मलाई खाने और लग्जुरी लाइफ सहित पावर की इतनी बुरी लत लग चुकि है कि पल भर में टूटकर बिखर जाएंगे । इसलिए जितना जल्दी हो सके यह  सरकार हमारे मांगों को पूरा कर चैन की बंसी बजाय और लड्डू तैयार है  । मार्केट में तौलने और फूलों की माला पहनाने में देर नही लगेगी । नहीं तो सम्मेलन के नाम पर दो चार अर्ध शिक्षाकर्मियों के हाथों से ही माला पहनकर संतुष्ट होना पडेगा जो  पक्ष के लिए अनुचित और विपक्ष के लिए सोने पर सुहागा होगा | यही लिखकर अभी के लिए यहीं पर मैं अपने कलम को विराम देता हूं पर जब भी जरुरत पडी इस सरकार को जगाने की तो मेरी लेखनी में थोडा स्याही जरुर डाल देना यह पुन: चल पडेगी ……।
क्योंकिमैं एक समाज निर्माता हूं…… मैं एक राष्ट्र निर्माता भी हूं……. मैं एक शिक्षक हूं गुरु हूं…….मैं कर्मी नहीं…… मैं एक शिक्षक हूं नेता नहीं…….. “
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