सिम्स मरीजों में पानी को लेकर त्राहि त्राहि..तीनों बोर ने दिया जवाब..नर्सों के असहयोग से कुढ़ रहे डॉक्टर

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— सूरज की गर्मी शबाब पर है। पिछले दो एक महीने से पारा 44-45 डिग्री पर बना हुआ है। शहर के लोग मौसमी बिमारियों के साथ बिजली पानी के लिए परेशान है। कुछ ऐसे ही हालात सिम्स के भी हैं। सिम्स अस्पताल में पिछले दो एक महीनों से मरीजों की संख्या में आकस्मिक रूप से इजाफा हुआ है। दवा दारू स्टाफ के अलावा सिम्स प्रबंधन और मरीजों के बीच पानी के लिए हाहाकार है। जिसके चलते मरीजों और परिजनो में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है।

                   पिछले दो एक महीने से सूरज की गर्मी शबाब पर है। गांव से शहर तक पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। ऐसे में सिम्स भला कैसे अछूता रह सकता है। जहां लोगों का मानना है कि सिम्स का दूसरा नाम ही परेशानी का खजाना है। दवा दारू और स्टाफ की भयंकर कमी से जूछ रहा सिम्स इन दिनों पानी की मार से भी परेशान है। बेहतर प्रबंधन नहीं होने के कारण मरीजों के साथ परिजन पानी की समस्या से रोज दो चार हो रहे हैं।

                       सिम्स में पहले से ही डॉक्टरों की भयंकर कमी है। स्टॉफ नर्सों के हड़ताल पर जाने से सिम्स की व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा रही है। जिसके कारण मरीजों की परेशानियां पहले से ज्यादा बढ़ गयी है। जबकि पिछले दो एक महीने से मौसमी बीमारियों से सिम्स में मरीजों की आमद भी बढ़ गयी है।

नर्सों का टोंटा और लुटने को मजबूर मरीज

            मालूम हो कि सिम्स के 126 नर्स पिछले कुछ दिनों से दो सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर है। कुछ रेगुलर नर्स की कृपा से मरीजों की देख रेख हो रही है। नर्सिंग कॉलेज के कुछ छात्राएं भी रेगुलर स्टाफ की मदद कर रही हैं। प्रवंधन का कहना है कि नर्सों की व्यवस्था अस्थाई और नाकाफी है । फिलहाल हालात कुछ ऐसे भी हो गए हैं कि गरीब मरीज अस्पताल तक पहुंचते तो जरूर हैं लेकिन सुविधा देखने के बाद परिजन मरीज को लेकर उल्टे पैर भाग रहे हैं। ऐसे में उनके लिए निजी अस्पताल का महंगा इलाज ही एकमात्र उपाय होता है ।

पानी को तरसते

             सिम्स के जिम्मेदार डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल में इन दिनों मरीजों की देखभाल करना मुश्किल हो गया है। जहां एक तरफ नर्सो और मेडिकल स्टाफ की भारी कमी है। तो दूसरी तरफ पानी का भयंकर टोंटा है। पीने की पानी के लिए मरीज और उनके परिजन अस्पताल परिसर में दर दर भटक रहे हैं। जिम्मेदार डॉक्टर ने बताया कि आखिर हम कर भी क्या सकते हैं। स्टाफ की कमी को सरकार ही दूर कर सकती है। नर्सों की जायज मांग को भी सरकार को ही देखना है। बावजूद इसके सीमित संसाधनों में हम जी तोड़ मेहनत भी कर रहे हैं।

               जिम्मेदार डाक्टर ने बताया कि सिम्स प्रबंधन अपने स्तर पर पानी की कमी को दूर करने का भरसक प्रयास कर रहा है। लेकिन जिला प्रशासन मामले को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं है। जिला प्रशासन को अवगत भी करा दिया गया है कि सिम्स अस्पताल के सभी 3 बोर का जलस्तर नीचे चला गया है। जिसके कारण तीनों पम्प में पानी नहीं आ रहा है। अस्पताल प्रवंधन अपने स्तर पर पानी की वैकल्पिक व्यवस्था बाहर से कर रहा है। मरीजों और उनके परिजनों को जैसे तैसे पानी मुहैया कराया भी जा रहा है।

                डॉक्टर ने बताया कि हम भी स्वीकार करते हैं कि पानी की कमी के चलते साफ सफाई व्यवस्था चरमरा गयी है। लेकिन हम कर भी क्या सकते हैं। फिर भी यथा संभव व्यवस्था को बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

                    बहरहाल स्टाफ की कमी,नर्सों के हड़ताल से सिम्स की व्यवस्था बुरी तरह से जर्जर है। ऊपर से पानी की कमी ने अस्पताल प्रबंधन को बुरी तरह से बेचैन कर दिया है। सीमित स्टाफ के डॉक्टरों को समझ में नहीं आ रहा है कि इलाज करें या पानी के लिए जिला प्रशासन के दरवाजे पर नाक रगड़ें। फिलहाल इन तमाम विसंगतियों के बीच इतना तो तय है कि सिम्स में फैली गन्दगी बीमारियों को न्यौता देते जरूर नजर आ  रहा है ।

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