जब सड़क पर उतरे बैंकर्स…सरकार को दी खुली चुनौती..कहा..बहुत हुआ..बात नहीं बनी तो उग्र आंदोलन के लिए भी तैयार

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आव्हान पर आईबीए के खिलाफ एकजुट बैंक कर्मचारियों ने बुधवार 30 मई को हड़ताल का एलान किया। दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन बैंकरों के हड़ताल पर जाने से बैंको में ताले लटकते नजर आये। सुबह 9 बजे से बैंक कर्मचारी अधिकारी स्टेट बैंक मेन ब्रांच के सामने एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के संयोजक ललित अग्रवाल ने बताया कि हड़ताल के पहले दिन करीब  870 बैंकर्स ने हिस्सा लिया। उन्होने बताया कि यदि सरकार दो दिवसीय हड़ताल के बाद भी मांग को मानने से इंकार करती है तो अनिश्चित कालीन हड़ताल किया जाएगा।

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                        यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के संयोजक ललित अग्रवाल ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि 1 नवम्बर 2017 से 11वा त्रिपक्षीय वेतन समझौता हुआ। डीयू होने के 6 महीने पहले चार्टड ऑफ डिमांड पेश करने के बाद भी आईबीए और केंद्र सरकार बैंकर्स की जायज मांगों को दरकिनार कर दिया। पिछले 5 वर्षो में मात्र 2 प्रतिशत का प्रस्ताव देकर बैंकरों की मेहनत का माख़ौल उड़ाया गया।

                  बैंकरों ने सुबह 9 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक 48 डिग्री तापमान पर सड़क पर नारेबाजी करने के बाद सभी बैंक हड़ताली शांतिपूर्ण रैली निकालकर आक्रोश को जाहिर किया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी की प्रतिमा के सामने आईबीए और केंद्र सरकार को सुबुद्धि के लिए प्रार्थना भी की।

                                    स्टेट बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के डीजीएस डी के हाटी और क्षेत्रिय सचिव एस बी सिंह ने कहा कि हम भीख नही अधिकार मांग रहे हैं। आईबीए का 2% वेतन वृद्धि ऑफर कतई बर्दाश्त नही किया जायेगा। स्टेट बैंक एम्प्लाइज फेडरेशन डीजीएस राजेश रावत और जितेंद्र शुक्ला, एआईपीएनबीपीआरए एजीएस दीपक श्रीवास्तव और अध्यक्ष एस एन चावड़ा ने बताया कि जनधन, नोटबन्दी से लेकर आज तक सभी बैंकर्स काम के बोझ से दबे हुये हैं। ऊपर से सभी सरकारी योजनाओं के अनुपालन की जिम्मेदारी भी बैंकरों के सिर पर ही है।  दीपक साहू और अशोक जग्यसी ने बताया कि सोचकर दुख होता है कि उनके परिजनों के उचित भरण-पोषण के लिए भी सरकार वेतनवृद्धि को लेकर गंभीर नहीं है।

                        सीजीबीईए जिला सचिव एन वी राव और अध्यक्ष अशोक ठाकुर ने बताया कि बैंकर्स को बैंकिंग के अलावा बीमा, म्युच्युअल फंड, अटल पेंशन, जीवन ज्योति, जीवन सुरक्षा के भी टारगेट दिये जाते है।  पीके यादव और एम के पटसनी ने बताया कि वेतनवृद्धि के समय उनकी जायज मांगों को नजरअंदाज कर दिया जाता हैं। शरद बघेल, रूपम रॉय, अशोक रॉय ने कहा कि आईबीए आज से प्रारम्भ 48 घण्टो की हड़ताल से भी सरकार नहीं जागती है तो हम लम्बी लड़ाई के लिये तैयार हैं।

                              यूनियन बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन की दीपा टण्डन और इलाहाबाद बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन के पी अग्रवाल ने उपस्थित सदस्यो को अनिश्चित कालीन लड़ाई के लिये तैयार रहने को कहा. एसके रजक और एसके चक्रवर्ती ने आमजनता को होनेवाली असुविधाओं के लिये क्षमा प्रार्थना कर सहयोग की अपील की।

                             टीयूसी और बिलासपुर डिवीजन बीमा कर्मचारी संघ महासचिव राजेश शर्मा ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको को निजी हाथों में सौपने की खिलाफत की। उन्होने बताया कि सरकार विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे लाखों करोडो के धन्ना सेठ एनपीए धारक के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय रातदिन मेहनत करने वाले बैंकर्स को 5 सालों में मात्र 2% वृद्धि का ऑफर दे रही हैं। सांसदो को 200% एक झटके में बढ़ा दिया जाता है।

                     प्रदर्शन में उर्मिलेश पाठक, अरबिंद विश्वास, शशि मिरी, मानस्मिता, बॉबी मिंज, तरुण हालधर, सुधीर दुबे, स्वराज बहादुर चौधरी, दामोदर हेंब्रम, लक्ष्मण, केशव कश्यप, कुलदीप मिंज, नरेंद्र बैस, पार्थो घोष, अश्विनी प्रधान, आशुतोष गहलोत, दीपक साहू, निशा पंडा, रीना पाटले, सुनील श्रीवास्तव, अविनाश तिग्गा, रवि पटनायक, रूप रतन सिंह, रमेश कोशले सहित बड़ी सँख्या में बैंक कर्मचारी और अधिकारी शामिल हुए।

                                   ललित अग्रवाल ने बताया कि हड़ताल के दूसरे 21 मई  सुबह 10 बजे से यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, डी पी विप्र कालेज के पास प्रदर्शन किया जाएगा। जनसामान्य के सहयोग से मानव श्रृंखला बनाकर आईबीए और केंद्र सरकार की हठधर्मिता का विरोध किया जाएगा।

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