CM के ट्विट पर शिक्षाकर्मियों के बोल..शिक्षकों ने कहा बहुत हुआ सब्र..मुखिया पर जताया विश्वास..बताया नहीं चाहिए मध्यप्रदेश जैसा संविलियन

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— ट्वीटर पर जब मुख्यमंत्री ने नाखुश शिक्षाकर्मियों से कहा कि धैर्य रखें। शिक्षाकर्मियों के हित में ही कदम उठाया जाएगा। फिर क्या…सीएम के ट्विट पर रीट्विट का सिलसिला शुरू हो गया। किसी ने सीेएम के ट्विट को जले पर नमक जैसा महसूस किया तो..किसी ने ठण्डा मरहम जैसा महसूस किया। कई लोगों ने तो सीएम के ट्विट पर अपनी भड़ास निकालकर हल्का महसूस किया। कई शिक्षाकर्मियों नेताओं ने तो मुख्यमंत्री  के ट्विटर पर सवाल उठाए हैं।
                          मुख्यमंत्री के ट्विट पर केदार जैन ने सीजी वाल को बताया कि आंदोलन वापसी के बाद सीएम ने तीन महीने में कमिटी का फैसला आने के बाद संविलियन का आश्वासन दिया था। आज 6 महीना पूरा हो गया है। अब तक 22 कमिटियां बनी क्या 23 वीं कमेटी का भी वही हाल होगा। सीएम ने 2013 में कहा था कि शिक्षको के समान वेतन और भत्ते देंगे ।  2007 के हमारे सम्मलेन में 20%-20% पदों पर संविलियन की घोषणा की थी। लेकिन सब वादे वनकर रह गए। सारी बातों को ध्यान रखते हुए, कैसे विस्वास करें कि चुनाव आचार संहिता लगने के कुछ दिन पहले ही सरकार संविलियन का घोषणा करेगी। हमें पूरा विश्वास हो गया है कि 180000 शिक्षकर्मियो के साथ धोखा हो रहा है।
                    सीएम के ट्विट पर सहायक शिक्षक पंचायत कल्याण संघ प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र ने कहा कि सीएम पर भरोसा  है। मुख्यमंत्री शिक्षाकर्मियों के हित में फैसला लेंगे।
                                मनोज सनाड्य कहते हैं कि मुख्यमंत्री प्रदेश के मुखिया है। उन पर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने कि जिम्मेदारी भी है। व्याख्याता ,शिक्षक और सहायक शिक्षक के मूलपदो पर वर्तमान पद पर प्रथम कार्यभार ग्रहण तिथि से शासकीय पदो पर संविलियन त्रुटिरहित करेंगे।
                      शिक्षाकर्मी नेता गंगा पासी कहते हैं कि कमेटी की रिपोर्ट को जल्द सार्वजनिक किया जानाचाहिए। खुली स्थांतरण नीति में महिला शिक्षाकर्मियों विशेष छूट दी जाए। मध्यप्रदेश से बेहतर नीति छत्तीसगढ़ में पेश किया जाए।
                                       हृषिकेश उपाध्याय ने मुख्यमंत्री के बयान को सकारात्मक बताया । उन्होने कहा कि बयान से लगता है कि छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों के लिए बेहतर निर्णय लिया जाने वाला है। सरकार को कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक कर देना चाहिए।
                       माया सिंह कहती हैं कि महिला शिक्षा कर्मियो ने स्थानान्तरण नीति की जटिलता को झेला है। वेतन विसंगति को दूर किया जाना जरूरी है। पदोन्नति से वंचितों को क्रमोन्नति के साथ संविलियन का तोहफा दिया जाए।
                 शिक्षक पंचायत नगर निगम मोर्चा नेता जितेन्द्र ने सीजी वाल को बताया कि मुख्यमंत्री के विश्वास पर आंदोलन वापस हुआ। 6 माह की प्रतीक्षा पर्याप्त हुई। मुख्यमंत्री से निवेदन है कि घोषणा और क्रियान्वयन एक साथ करें।
                           विवेक दुबे ने कहा कि जरूरत इस बात की है कि अब 22 वर्षों के कठोर परिश्रम और संघर्ष का प्रतिफल मुख्यमंत्री जल्द से जल्द दें ।कृष्ण कुमार नवरंग कहते हैं कि  आम शिक्षक पंचायत की शंका को स्पष्ट किया जाना चाहिए। उम्मीद है मुख्यमंत्री 1 लाख 80 हजार परिवार के 50 % अनुसूचित जाति जनजाति को तोहफा अवश्य देंगे।
                                       शिव सारथी ने सीएम के ट्विट को स्वागत किया। उन्होने बताया कि उम्मीद है कि सब कुछ बेहतर होने वाला है। हरेन्द्र सिंह कहते हैं कि पिछले 2 दिनों से रिपोर्ट को लेकर लगातार ब्यान आ रहे है। जानकारी मिल रही है कि 2 महीने पहले  ड्राफ्ट तैयार हो गया है। समय आ गया है कि उसे सार्वजनिक भी कर दिया जाए।
   अखिलेश के अनुसार सीएम हमारे मांगो को लेकर गंभीर है। उम्मीद करते है कि सीएम दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाते हुये 1 लाख 80 हजार शिक्षाकर्मियों की एक सूत्रीय मांग और वर्ग तीन का वेतन विसंगति दूर कर क्रमोन्नत वेतनमान देंगे।संदीप त्रिपाठी ने लिखा है कि सब्र करते सब्र की सीमा समाप्त हो रही है। बावजूद इसके हमें हमें मध्यप्रदेश जैसा संविलियन नहीं चाहिए।
                                 पदीप पाण्डेयन ने महोदय वेतन विसंगतियों को दूर करते हुए क्रमोन्नत , सातवां वेतन समेंत नियुक्ति तिथि से संविलियन की घोषणा करें। आपसे अपेक्षा है ।
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