कर्मचारी नेता पीआर का एलान..महिलाओं के आंदोलन को बताया एतिहासिक…कहा एस्मा लगाना अलोकतांत्रिक

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—-कर्मचारी नेता पीआर यादव ने दावा किया है कि परिचारिकाओं का आंदोलन मील का पत्थर साबित होगा। लोकतंत्र में सबको अपनी बातों को  रखने का अधिकार है। परिचारिकाओं और उनके आंदोलन के साथ  शासन ने बर्बर व्यवहार किया । पूरा विश्वास है कि इतिहास के पन्नों में महिलाओं के आंदोलन के साथ ही शासन के बर्बर चेहरे को भी दर्ज किया जाएगा। यादव ने कहा कि पिछले 36 सालों से यूनियन से जुड़़ा हूं। लेकिन शासन का ऐसा बर्बर चेहरा कभी देखने को नहीं मिला। महिलाओं के अंहिसक आंदोलन के साथ दुर्व्यवहार बर्दास्त करने के काबिल नहीं है।

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                                 कर्मचारी नेता पीआर यादव ने बताया कि छत्तीसगढ़ परिचारिका कल्याण संघ के आह्वान पर प्रदेश की सभी परिचारिकाएं पिछले 15 दिनों से हड़ताल पर हैं। परिचायिकाओं की मांग है कि केंद्रीय शासन के परिचारिकाओं की तरह समान ग्रेड पे 4600 और पदोन्नत कर द्वितीय श्रेणी के पद का लाभ दिया जाए। लेकिन मांगों पर गंभीरता से सोचने समझने की जगह परिचायिकाओं को धमकाने- चमकाने की कार्यवाही की गयी है।

         यादव ने बताया कि जब परिचारिकाओं पर डराने धमकाने का असर नहीं हुआ तो काला कानून एस्मा लगा दिया गया । एक दिन पहले धरना समाप्त होने के बाद पुलिस ने पंडाल को जब्त कर लिया। बिजली कनेक्शन को भी काट दिया गया। बावजूद इसके परिचारिकाओं ने हार नहीं मानी। बुलंद हौसले और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ आन्दोलन पर डटी रही। प्रशासन ने पांच प्रमुख पदाधिकारियों के खिलाफ एस्मा कानून उल्लंघन के आरोप में FIR दर्ज करा दिया।

                   एफआईआर, पुलिस ज्यादती और अपनी मांगो को लेकर जब आंदोलनकारी परिचारिकाओं ने रैली की अनुमति मांगी तो शासन ने आंदोलन को अवैधानिक घोषित कर  दिया। पीआर यादव ने कहा कि आज का दिन जुझारू परिचारिका साथियों के लिए निर्णायक का है । फेडरेशन से संबंधित सभी संगठनों से अपील है कि आप पंडाल जाकर सरकार की दमनात्मक कार्यवाही का प्रतिकार करें।  कर्मचारी परिवार के व्यापक हित में शासन से अपील करें की हड़ताली परिचारिकाओं के प्रतिनिधियों से वार्ता कर निराकरण करें। साथ ही  दमनात्मक कारवाही पर रोक भी लगाएं।

    पीआर यादव ने बताया कि आन्दोलन हमारा लोकतांत्रिक और फंडामेंटल अधिकार है । यदि परिचारिका संघ लड़ाई हारती हैं  तो इसका असर प्रदेश के सभी कर्मचारी संगठनों और फेडरेशन के भावी आंदोलन पर भी पड़ेगा। साथियों से अनरोध है कि लगातार आंदोलन को समर्थन और सहयोग कर रहे हैं । मैं अपने 36 वर्षों के ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता के अनुभव पर यह कह सकता हूं कि , यह आंदोलन मील का पत्थर साबित होगा।

                          यादव ने कहा कि  मैंने नियमित कर्मचारी और वह भी महिलाओं का छत्तीसगढ़ और अविभाजित राज्य के इतिहास में ऐसा आंदोलन नहीं देखा। 3000 से अधिक महिला कर्मचारी हड़ताल पर हैं। पूरे समय 1000 से अधिक परिचारिकाएं पंडाल में रहती हैं। खाना पीना सब कुछ पंडाल में ही होता है। सुबह से शाम 6 बजे तक सरकार के दमनात्मक नीतियों और कर्मचारी विरोधी रवैया के खिलाफ नारे लगाती हैं। दिनभर नौतपा में 44- 45 डिग्री सेल्सियस का सामना भी करती हैं। इस दौरन कई महिला कर्मचारियों की गोद में बच्चे भी हैं ।दुख की बात है कि परिचारिकाओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर सेन्ट्रल जेल भेज दिया है।

                      यादव ने कहा कहा कि जुझारू परिचारिका साथियों को क्रांतिकारी आन्दोलन का अभिनंदन और समर्थन करता हूं। शासन की दमनात्मक कार्रवाई की निंदा भी करता हूं।

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