विकास खोजो कार्यक्रम में खुली पोल,कांग्रेस का दावा-छत्तीसगढ में 50 हजार शिक्षकों की कमी,स्कूल से दूर हुए 3 लाख बच्चे

Shri Mi
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रायपुर। छत्तीसगढ कांग्रेस कमेटी के विकास खोजो कार्यक्रम के मीडिया प्राभारी विकास तिवारी ने मुख्यमंत्री रमन सिंह के उस ब्यान पर कटाक्ष करते हुवे कहा कि जिसमे मुख्यमंत्री ने राज्य में अच्छी शिक्षा एवं शिक्षित बच्चो की भविष्य की सुरक्षा के लिये बेहतर योजना बनाने की बात कि है कोई बच्चा स्कूल जाने से छूट न जाये कहा था।जहाँ एक ओर रमन सरकार ने राज्य में बेहतर शिक्षा व्यवस्था होने के दावे किये है वही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के विकास खोजो कार्यक्रम की मीडिया टीम ने विधानसभा में सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ा जारी करके रमन सरकार के झूठ का पर्दाफाश किया है।

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विकास खोजो कार्यक्रम के मीडिया प्राभारी विकास तिवारी ने विधानसभा में प्रस्तुत आंकडो एवं प्रशासनिक प्रपत्र के आधार पर बताया कि प्रदेश में शिक्षकों के लगभग 50000 पद रिक्त है जिसमे कि पंचायत संवर्ग के शिक्षकों के 22,644 पद रिक्त है। इन रिक्तता में गणित, फिजिक्स, केमिस्ट्री, अंग्रेजी, एवं कॉमर्स के सभी शिक्षको की कमी पूरे प्रदेश में है जिसके कारण शालेय शिक्षा की गुणवक्ता के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ राज्य देश में सबसे खराब प्रदर्शन वाले राज्यों में शामिल हो गया है।

मीडिया प्राभारी विकास तिवारी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा “सर्व शिक्षा अभियान”अंतर्गत राज्य के आबंटन में निरंतर कमी की जा रही है वर्ष 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 में केंद्र से क्रमशः 927.05 करोड़, 622.19 करोड़, 592.62 करोड़ तथा 457.45 करोड़ ही प्राप्त हुए हर वर्ष कटौती होने पर भी रमन सरकार द्वारा चुप्पी साधे रखा गया है।

राज्य के शासकीय प्राथमिक शालाओं में कुल दर्ज संख्या में लगातार कमी आ रहीं है। वर्ष 2014-15 में 21,05,095 छात्रों से घटकर यह संख्या 2017-18 में 18,10,853 मात्र रह गयी।  मतलब गत सालो में कुल 2 लाख 94 हजार 242 छात्र-छात्राओं ने सरकारी स्कूल जाना बंद कर दिया है और वही दूसरी ओर सूबे के मुखिया एक-एक बच्चो को स्कूल भेजने की हास्यस्पद बाते कर प्रदेश की जनता को गुमराह कर रहे है सरकार की शिक्षा क्षेत्र के प्रति उदासीनता के कारण शासकीय शालाओ में न केवल शिक्षकों की कमी है वरन लाखो छात्र-छात्राओं को मजबूरन स्कूल जाना बंद करना पड़ रहा है।

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By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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