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रायपुर।छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल ने सोमवार को आखिर प्रदेश के सरकारी स्कूलों मे काम कर रहे शिक्षाकर्मयों के संविलियन पर अपनी मुहर लगा दी है। इस ऐतेहासिक फैसले के साथ ही प्रदेश भर के शिक्षाकर्मियों की बरसों पुरानी मांग पूरी हो गई है।इस फैसले से शिक्षाकर्मियों की उस लडाई में बडी जीत हासिल हुयी है जिसके लिए उन्होने करीब दो दशक से ज्यादा समय तक अपनी लडाई लडी।सरकार के इस फैसले के बाद अब प्रदेश की शिक्षा व्यवस्थ में बडा बदलाव सुनिश्चित हो गया है।पिछले दस जून को अंबिकापुर में विकास यात्रा के दौरान बीजेपी के राष्टीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में सीएम डाॅ रमन सिंह ने मंच से शिक्षाकर्मियों के संविलयन का ऐलान किया था तब से ही इसे लेकर कयासों व अनुमानों का दौर जारी है।लोग अपने अपने तरीके से संविलियन के स्वरूप् को लेकर अनुमान लगाते रहे है पर सबकी निगाहें सोमवार को होने वाली कैबिनेट की मीटिंग पर टिकी हुयी थी।पहले से ही तय माना जा रहा था कि इस मीटिंग मे ही संविलियन का प्रस्ताव पेश किया जाएगा व इसपर मुहर लगेगी।
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सोमवार की शाम कैबिनेट मीटिंग में यह प्रस्ताव रखा गया व उसे मंजूरी दे दी गई।अब तक मिल रही खबरों के मुताबिक सरकार ने ऐसे शिक्षाकर्मियों के सविलयन को मंजूरी दी है,जिन्होनेें आठ साल की सेवा पूरी की है।आठ साल की सेवा की गणना एक जूलाई 2018 से किए जाने की जानकारी मिल रही है। इससे प्रदेश के करीब एक लाख तीन हजार शिक्षाकर्मियों का संविलियन हो सकेगा। इससे शिक्षाकर्मियो को वेतन के रूप् में लाभ मिलेगा। व सरकार पर करीब 1350 करोड का वित्तीय भार पडेगा।
शिक्षाकर्मियों ने संविलियन ने करीब दो दशक से अधिक समय से लंबी लडाई लडी इसके लिए कई बार उन्हें आंदोलन करते हुए सडक पर उतरना पडा।पिछले साल के आखिर में भी लंबी हडताल चली,धरना प्रदर्शन हुए व शिक्षाकर्मियांे को यातनाएं भी झेलनी पडी।लेकिन उन्होने अपनी ओर से दबाव बरकरार रख हालाकि यह पिछली हडताल शून्य पर समाप्त मानी गई थी लेकिन इसके बाद भी सरकार ने सीएस की अध्यक्षता में कमेटी बनाई।जिसका कार्यकाल दो बार बढाया गया। जिसकी सिफारिश के आधार पर सरकार ने संविलयन का फैसला किया है।