खतरे में सफेद भालू…माफियों ने खोद डाला मरवाही का जंगल..अधिकारी ने बोला…चुप रहने में भलाई..क्रशर मालिकों की पहुंच ऊंची.

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर(सुशांत)– यदि मरवाही क्षेत्र को स्टोन क्रशर व्यवसायियों का स्वर्ग कहा जाए तो आश्चर्य की बात नहीं होगी। यहां बेहिचक प्रशासनिक अधिकारियों के नाक के नीचे अवैध क्रशर और पत्थरों का उत्खनन धड़ल्ले से चलता है। क्योंकि अवैध कारोबार को अधिकारियों का संरक्षण भी हासिल है। मजेदार बात है कि जब  मामले में जानकारी मांगी जाती है…तो अधिकारी कभी अनभिज्ञता जाहिर करते हैं..तो कभी कहते हैं कि इन लोगों की पहुंच ऊंची होती है। गरीबों का सुनता कौन है। जाहिर सी बात है अवैध क्रशिंग और उत्खनन का खेल मिली भगत से चल रहा है।

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                          कोई शक नहीं कि मरवाही क्षेत्र उत्खनन माफियों का स्वर्ग है। मरवाही के डडिया में अवैध क्रशिंंग और पत्थर उत्खनन पर व्यापक स्तर पर किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि अवैध उत्खनन करने वाले छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के नामचीन हस्ती है। कदम कदम पर पत्थर उत्खनन, अवैध ब्लास्टिंग और क्रशिंग का यहां आम बात है। मजेदार बात है कि प्रशासनिक अधिकारी या तो मामले में अनभिज्ञता जाहिर करते हैं। या फिर कहते हैं इनकी पहुंच बहुत ऊंची है। हाथ डालने का अर्थ खतरा मोल लेना है। भाई साहब यहां गरीबों की सुनता कौन है।

माफिया की दादागिरी

                                 मरवाही ब्लाक का ग्राम डडिया पंचायत पोडी आदिवासी बहुल आबादी वाला क्षेत्र है। क्षेत्र में पक्के मकानों के साथ कच्चे मकानों की भी संख्या बहुत है। यहां पिछले एक दशक से पत्थर का अवैध उत्खनन कारोबार चल रहा है। क्रशर मशीन से पत्थरों को खुलेआम चोरी की बिजली से तोड़ा जाता है। बताया जाता है यहां से सरकारी काम के लिए अवैध तरीके गिट्टी सप्लाई होती है। कहने का मतलब है कि हर्रा फिटकरी कुछ नहीं लेकिन माफियों का कारोबारी रंग चोखा है।

                दस्तावेजों और अन्य स्रोतों से हासिल जानकारी के अनुसार माफियों को सीमित क्षेत्रों में उत्खन की अनुमति तो है। लेकिन उससे कहीं ज्यादा क्षेत्रों में पत्थरों का उत्खनन किया जा रहा है। मामले में ग्रामीणों ने कई बार शिकायत की। लेकिन नतीजा ढाक तीन बात ही साबित हुए।

            कुछ जनप्रतिनिधियो ने समय-समय मामले को अधिकारियो के सामने रखा। लोक सुराज अभियान में भी मुद्दे को उठाया लेकिन ग्रामीणों की आवाज नक्कार खाने में तूती साबित हुई। इसके बाद क्रेशर संचालकों की दादागिरी कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी। अब तो खुलेआम जंगल का तहस नहस करना शुरू कर दिया है।

          देखते ही देखते जंगल में बड़े-बड़े तालाब पैदा हो गये है। नियम के खिलाफ लगभग 10 से 15 फिट तक पत्थर उत्खनन किया जा रहा है। ब्लास्टिंग कार्रवाई से जनता का जीना मुश्किल हो गया है। ब्लास्टिंग की जानकारी देना तो दूर पत्थर माफिया मुनादी भी कराना उचित नहीं समझते हैं।

रोगी और बहरा हुआ गांव

                 ब्लास्टिंग स्थल और क्रशर मशीन से मात्र 20 से 25 मीटर के दायरे में आवासीय क्षेत्र है। असमय ब्लास्टिंग से ग्रामीणों का जीना मुश्किल हो गया है। कई बार कई घर धराशायी भी हो चुके हैं। ब्लास्टिंग के बाद जो घर सीना तानकर खड़े हैं उनकी भी हालत ठीक नहीं है। घरों में जगह जगह दरारें आ चुकी हैं। खपरैल वाले मकान ब्लास्टिंग के समय थर थर कांपते हैं। उस समय स्थिति कुछ भूकंप जैसी होती है। खपरा, लकड़ी भरभरा कर गिर जाते है।

खेती किसानी चौपट..धरती हुई बांझ

                             एक चिकित्सक ने बताया कि पोड़ी क्षेत्र में रहने वालों को ऊंचा सुनने की आदत है। इसकी मुख्य वजह अवैध ब्लास्टिंग और क्रशर से निकलने वाली आवाज है। ब्लास्टिंग के दौरान पत्थर से उडने वाले सिलकन भरे धूल आदिवासियों के जीवन को रोगी बना दिया है। बच्चो महिलाओ,युवाओं और जवानों को कई प्रकार की बीमारियां बोनस में मिल रही हैं। पत्थर के डस्ट से उपजाऊ जमीन बंजर हो चुके हैं। किसानों ने बताया कि पैतृक भूमि  जीवकोपार्जन का एक मात्र साधन है। पत्थर के डस्ट से जमीनें बांझ हो रही हैं। किसानों के अनुसार पत्थर माफियों ने दैनिक निस्तार पर पूरी तरह से रोक लगा दिया है। खेती किसानी में बहुत दिक्कत आ रही है। माफियों ने आदिवासी बाहुल्य गाँव के मुंह पर गुंडागर्दी के बल पर ताला लगा दिया है। विरोध करने पर क्रशर मालिक कोर्ट कचहरी की धमकी देते है। लोगों ने बताया कि जल स्रोत लगभग सूख चुके हैं। हैंडपम्प से पानी नहीं निकलना बंद हो गया है। दो एक कुए तो हैं। लेकिन उन्होने जवाब दे दिया है।

खतरे में दुर्लभ सफेद भालू

                 जानकारी हो कि जिस क्षेत्र में पत्थर उत्खनन हो रहा है भालुओ के स्वाभाविक रहवास के रूप में भी जाना जाता है। मतलब पत्थर उत्खनन और क्रशर से भालुओ का नेसर्गिक रहवास नष्ट हो गया है। यह जानते हुए भी यहां सफेद भालू की दुर्लभ प्रजाति पायी जाती है। लेकिन पत्थर माफिया कार्रवाई नहीं होने से दिनों दिन जंगल को खोखला कर दिया है।

सरकारी काम के लिए उत्खनन

                                 एक इंजीनियर ने बताया कि उत्खनन मध्यप्रदेश का ठेकेदार तिरूपति बिल्डर्स कर रहा है। क्रश गिट्टी का उपयोग आरएमकेके सड़क निर्माण में किया जाएगा। कुछ लोगों ने बताया कि यहां से गिट्टी की सप्लाई मध्यप्रदेश में सड़क निर्माण के लिए भारी मात्रा में किया जाता है। वह भी अवैध तरीके से। ग्रामीणों ने बताया कि हमने कई बार पुरजोर तरीके से अवैध उत्खनन की थाने में शिकायत भी की। लेकिन थानेदार एक कान से सुनता है और दूसरे से निकाल देता है। क्रशर मालिक पत्रकारों को धमकी देते है। बात बात पर हाइवा नम्बर पढ़ने को कहते हैं। कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति गाड़ी के नीचे आ सकता है।

माफियों की ऊंची रसूख

                       शिकायत के बाद स्थानीय अधिकारी ने बताया कि क्रशर मालिको के पहुँच ऊंची है। मुख्य सचिव के हवाले से फोन करवाते हैं। नौकरी बचाने के लिए चुप रहना बेहतर है। रही बात गिट्टी की तो उसका उपयोग सड़क निर्माण में ही हो रहा है। भाई साहब गरीबों की सुनता भी कौन है।

                              अधिकारी ने सीजी वाल को बताया कि अब तक कई बार कलेक्टर, कमिश्नर, पर्यवारण विभाग,खनिज विभाग, विधायक सभी से शिकायत कर चुके हैं। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बेहतर है कि हम चुप रहे और रोगी बनकर ही जिन्दगी जीएं।

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