बिलासपुर–एड्स के बढ़ते मरीज चिंता का बहुत बड़ा कारण है। समाज में अभी भी एड्स को लेकर जागरूकता की कमी है। लोगों में झिझक और लोकलाज एड्स के इलाज में सबसे बड़ी चुनौती है। इससे बड़ी चुनौती एड्स के नए नए कारण भी हैं। अब एड्स का नया कारण भी सामने आया है। एचआईव्ही पाजिटिव के ऐसे मामले भी सामने आए हैं। जिनमें एक व्यक्ति दूसरे समान जेन्डर से सेक्स करता है। इनकी संख्या दिनों दिन बढ़ती भी जा रही है। ऐसे मरीजों में 12 साल से 63 साल के लोग शामिल हैं। यह जानकारी सिम्स के एमएस डॉ.रमणेश मूर्ति ने दी। लेकिन उन्होने मरीजों का नाम बताने से इंकार कर दिया।
सिम्स के एमएस डॉ.रमणेश मूर्ति ने बताया कि एड्स मरीजों का सिम्स में लगातार इलाज चल रहा है। हां सच है कुछ की मौत भी हुई है। लेकिन एड्स मरीजों की संख्या लगातार बढ़ी भी है। इसके लिए लोग खुद जिम्मेदार हैं। डॉ.मूर्ति ने बताया कि एचआईव्ही पाजीटिव मरीजों की संख्या में बृद्धि हुई है। लोगों का लगातार इलाज भी चल रहा है। एचआईव्ही मरीजों की जानकारी विभिन्न रोगों के इलाज और जांच पड़ताल के दौरान होती है।
डॉ.मूर्ति ने बताया कि अक्सर एचआईव्ही पाजीटिव असुरक्षित यौन संबध…रेड लाइट एरिया के सम्पर्क से होता है। इसके अलावा नशा करने वाले ऐसे लोग जो एक ही नीडिल से ड्रग्स का इस्तेमाल करते हैं। उनमें एचआईव्ही पाजिटिव के रोगी सबसे ज्यादा हैं। ऐसे लोग गलत संगत और लापरवाही में होने से रोग के शिकार हो जाते हैं।
थर्ड जेन्डर सर्वाधिक प्रभावित..लेकिन जागरूक
मूर्ति ने बताया कि थर्ड जेन्डर में भी सर्वाधिक एचआईव्ही पाजीटिव हैं। उनका संपर्क बहुत व्यापक होता है। जाहिर सी बात है कि रोगियों की संख्या भी बढ़ती है। संभाग में थर्ड जेन्डर एचआईव्ही पाजीटिव रोगियों की संख्या बहुत है। इसकी संख्या हजारों में है। चूंकि सामाजिक बदलाव तेजी से हुआ है। थर्ड जेन्डर को समाज और कानून ने सम्मान दिया है। इसके बाद इनमें जागरूकता आयी है। अब थर्ड जेन्डर में नए मरीजों की संख्या कम हुई है। बावजूद इसके इनमें एचआईव्ही पाजीटिव की संख्या बहुत है। इलाज भी चल रहा है। थर्ड जेन्डर एचआईव्ही पाजीटिव को लेकर अब बहुत सतर्क हैं।
एड्स का नया कारण..समान जेन्डर यौन सम्बध
डॉ.रमणेश ने बताया कि जानकर आश्चर्य होगा कि अब एचआईव्ही पाजीटिव के कारण नए कारण सामने आ रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा कारण मैन्स सैक्स विथ मैन्स है। यह कारण काफी चिन्ताजनक है। इनकी संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। इन कारणों के शिकार रोगियों की संख्या भी बहुत है। फिलहाल संभाग में सिम्स को इसकी जानकारी 1000 की संख्या में हुई है। चूंकि इस तरफ और कारणों को ध्यान नहीं दिया गया था। इसलिए इनकी वास्तविक संख्या बताना मुश्किल है। फिलहाल सिम्स में मैन्स विथ मैन्स सैक्स वर्करों की संख्या 1000 है। इन सबका इलाज सिम्स में किया जा रहा है। इलाज के दौरान इस प्रकार के सैक्स वर्करों की बल्कि सभी के नामों की जानकारी को काफी गोपनीय रखा गया है।
समाज के लिए सर्वाधिक घातक
मूर्ति ने बताया कि मैन्स सैक्स विथ मैन्स वाले एचआईव्ही पाजीटिव मरीज समाज के लिए काफी घातक साबित हो सकते हैं। इसमें दोनों आदमी शिकार होते हैं। दोनों ही समाज के लिए संक्रामक होते हैं। दोनो ही समाज में एड्स फैलाने में सबसे बड़े कारण हैं। 1000 मरीजों में 12 साल से 63 साल के लोग शामिल हैं। इनमें कुछ ऐसे भी नाम हैं जो समाज में बहुत सम्मानित हैं। विभिन्न संस्थाओं में काम करते हैं। इनके जरिए समाज में एचआईव्ही पाजीटिव की संख्या बहुत बढ़ी होगी। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसमें शामिल एचआईव्ही पाजीटिव मरीज उच्च पदों पर काम भी कर रहे हैं।ज्यादातर लोग व्यस्त जीवन में घर परिवार से दूर रहते हैं। शायद गलत संपर्क के कारण इनमें यह रोग आया और इन्होने फैलाया है।
मूर्ति ने बताया कि 12 साल 20 साल के बच्चे भी समान सैक्स से एचआईव्ही के शिकार हुए हैं। शासन को मैन्स सैक्स विथ मैन्स यानि एमएसएम को लेकर विशेष रणनीति तैयार करनी चाहिए। ताकि इस पर लगाम लगाया जा सके। दावा करता हूं इसमें दोनो पुरूष एड्स फैलान में जिम्मेदार होते हैं। क्योंकि दाता और ग्राहक दोनों ने संक्रामक होते हैं।