शिक्षाकर्मी वर्ग-03 लगातार उपेक्षाओ से त्रस्त, काटने लगे सरकार और संघ से कन्नी,चुनाव में सरकार को सिखाएंगे सबक”

Shri Mi
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रायपुर।लगातार शासन की उपेक्षाओं से परेशान शिक्षाकर्मी वर्ग 03 अब सरकार और अपने मूल संघ से दूरियां बनाने लगे हैं इसका मुख्य कारण है राज्य सरकार द्वारा फिर से वर्ग3 को संविलियन के नाम पर छला जाना। यह दूसरी बार हैं जब राज्य की बीजेपी सरकार इस वर्ग के वेतन बढ़ोतरी में दाड़ी मारा हैं। इससे पहले भी जब पुनररीक्षित वेतनमान का लाभ दिया गया तो वर्ग 3 के शिक्षाकर्मीयो ने वेतन विसंगति को दूर करने की जोरदार माँग किये थे जिस ओर न तो शासन द्वारा कोई ध्यान दिया गया, और न ही शिक्षाकर्मी संघो के नुमाइंदों द्वारा इस दिशा में कोई पहल किया गया।

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यही कारण है कि सबसे ज्यादा जनसँख्या वाला यह वर्ग बहुत ज्यादा आक्रोशित और नाराज है। अगर इस वर्ग की नराजगी को समय रहते दूर नही किया गया तो राज्य के भाजपा सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इस वर्ग से जुड़े प्रदेश स्तरीय कोर कमेटी के सदस्य जाकेश साहू, अजय गुप्ता, शिव सारथी, ईदरीस खान, मनीष मिश्रा, छोटे लाल साहू, सुखनन्दन यादव, उत्तम देवांगन, सुधीर शर्मा, अश्वनी कुर्रे, ब्रजकिशोर निषाद, मुकेश रात्रे, ईश्वरी प्रसाद टण्डन, जितेंद्र सिन्हा, राजीव सिंह, पवन दुबे, अमित सिन्हा, अमृता राव, लोकेश साहू, विजय पांडेय, का कहना हैं कि हर बार जब शिक्षाकर्मीयो का बड़ा आन्दोलन होता है तो वर्ग 03 के शिक्षाकर्मी अपने पूरे परिवार सहित, महीनों की राशन और तम्बू लेकर, रायपुर में डटे रहते है।

बस इसी उम्मीद में कि इनके नेतागण इस वर्ग की समस्या को शासन के समक्ष रखकर सुलझाएंगे, पर हर बार, जब शासन प्रदेश के शिक्षाकर्मी को कोई सौगात देता है तो स्कुलो की बुनियाद कहे जाने वाला यह सर्वहारा वर्ग बुरी तरह ठगा जाता है और मलाई खाते है नेता पृष्टभूमि के वर्ग 01 और 02 जो इन बेचारे वर्ग 3 की राजनीति करते है और अपने चेहरे को चमकाते है।

ध्यान रहे 1998 से आज तक जितने भी संघ है उनके शीर्ष नेता 01 और 02 वर्ग वाले हैं तथा इनकी पूरी संख्या प्रदेश में मात्र 30 प्रतिशत ही है। यही कारण है कि जब शासन इनकी मांग पूरी कर झोली भर देता हैं तो इन नेताओं को वर्ग 03 की परवाह नही रहता। “वर्ग 03 संघर्ष मोर्चा” एवं “8 साल से कम संघर्ष समिति” के प्रदेश संयोजक जाकेश साहू, शिव सारथी एवं इदरीश खान का कहना है कि आज तक हमारे शिक्षाकर्मी नेता हमे मात्र भीड़ का हिस्सा तथा चन्दा देने वाला वर्ग ही समझा है। तभी तो हर बड़े आंदोलन में शिक्षाकर्मी संघ के नेता हमारे बदौलत करोड़ो का चन्दा और लाखों की भीड़ के सहारे बड़े आंदोलन खडा करते है और जब माँग पूरी होने की बारी आती है तो अपनी झोली भर लेते है। तथा हमारी सुध बिसरा देते है, पर अब ऐसा नही होगा।

अब हम सब वर्ग 03 वाले जाग गए है। और इस सरकार तथा हड़ताली नेताओ की साठगांठ को समझ गए है ये दोनों आपस में तालमेल कर हमें चुना लगा देते है और हम चुप रह जाते है, जो अब बर्दास्त से बाहर है। इसी त्रासदी के चलते प्रदेशभर के हजारों शिक्षाकर्मीयो ने विगत 26 जून को “वर्ग 03 संघर्ष मोर्चा” एवं “8 साल से कम संघर्ष समिति” के बैनर तले एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन व आंदोलन कर राज्य सरकार को अपनी सांकेतिक गुस्सा, आक्रोश व ताकत दिखाए।

और आगे भी बड़े आंदोलन की रणनीति बना रहे है। इसके लिए प्रदेश, जिला, ब्लाक और संकुल स्तर पर वर्ग 03 को संगठित करने का काम तेजी से चल रहा है। इसका अच्छा रिजल्ट भी मिल रहा है। वर्ग 03 एवं 8 साल से कम वर्ग 01 व 02 के लोग अपने मुलसंघ को छोड़कर “वर्ग 03 संघर्ष मोर्चा” एवं “8 साल से कम संघर्ष समिति” में जुड़ते जा रहे है जिससे पुराने शिक्षाकर्मी नेताओ के होश उड़ गए है। उन्हें अब उनकी नेता गिरी की दुकान बंद होते नजर आ रहा है। और बौखलाहट में वे अनर्गल बयानबाजी करने लगे हैं तथा राज्य सरकार को साधने में अपना सारा ध्यान लगाएं बैठे है।

अगर आने वाले समय में वर्ग 03 एवं 8 साल से कम के शिक्षाकर्मी सरकार के विरुद्ध कोई बड़ा आंदोलन खड़ा करते है तो इसमे कोई अतिशयोक्ति नही होगा। अब यह तो तय है कि समय रहते यदि वर्ग 03 को क्रमोन्नति नहीं मिली तथा 8 साल से कम वालों का संविलियन आदेश नहीं निकला तो नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव में वर्ग 03 के एक लाख चौबीस हजार एवं 8 साल से कम तीस हजार कुल मिलाकर एक लाख पचास हजार शिक्षाकर्मी जो प्रदेश के सभी गांवों में है ये सभी मिलकर आने वाले दिनों में प्रदेशभर में मतदाता जागरूकता अभियान चलाएंगे, सरकार की नाकामी गिनाएंगे तथा राज्य के डेढ़ लाख शिक्षाकर्मीयों के साथ किए गए छल व धोखे को प्रदेश के सभी पालक वर्ग तक पहुंचाएंगे तथा प्रदेश की भाजपा सरकार का तख्ता पलट करके रहेंगे।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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