भूपेश बघेल बोले -रमन सरकार नहीं चाहती नर्स समस्या का समाधान

Shri Mi
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रायपुर। मुख्यमंत्री रमन सिंह द्वारा माओवाद पर दिये गये बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा है कि रमन सरकार चाहती ही नही है कि माओवाद का समस्या का समाधान हो। यदि माओवाद की समस्या का समाधान हो गया तो कांग्रेस के कार्यक्रमों पर जीरम जैसे हमले कैसे होंगे और माओवाद से निपटने के नाम पर हो रहा भ्रष्टाचार भी रूक जायेगा। 2003 में बस्तर में तीन सीमावर्ती ब्लाको तक सीमित नक्सलवाद आज बस्तर की सीमा पार करके छत्तीसगढ़ के मैदानी जिलों तक पहुंच गया। मुख्यमंत्री रमन सिंह के गृह जिले कवर्धा तक पहुंच गया। राजधानी रायपुर से लगे हुये गरियाबंद और सराईपाली के वन क्षेत्रों तक नक्सलवाद की धमक आ पहुंची।

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दरअसल भारतीय जनता पार्टी और सरकार माओवादी समस्या का समाधान चाहती ही नहीं है। छत्तीसगढ़ से लगे राज्यों उड़ीसा, आन्ध्रप्रदेश और महाराष्ट्र की सरकारों ने इच्छा शक्ति दिखाई है और उन राज्यों में सार्थक परिणाम भी सामने आये। इन राज्यों में अब छुट-पुट नक्सल घटनायें भी नही हो रही है और छत्तीसगढ़ माओवाद का भयावह दंश झेल रहा हैं। रमन सरकार की इसी अकर्मण्यता और अनिर्णय का नतीजा है कि छत्तीसगढ़ के और खासकर बस्तर में आम नागरिक पुलिस और नक्सल के दो पाटों में पिसने के लिये मजबूर है।

देश में नक्सल हमलों में सुरक्षा बलों के सर्वाधिक जवान छत्तीसगढ़ में शहीद हुये। मुख्यमंत्री रमन सिंह नक्सल नियंत्रण के लिये बनाई गयी यूनीफाईड कमांड के प्रमुख है लेकिन इसकी न कभी नियमित बैठक होती है और न ही कोई सार्थक निर्णय लिये जा सके है। दरअसल रमन सिंह की भाजपा सरकार नक्सल नियंत्रण के लिये मिलने वाली केन्द्रीय सहायता में लगातार गड़बड़ियां और भ्रष्टाचार करने की गुनाहगार है और इसी लिये नक्सल समस्या को खत्म ही नहीं होने देना चाहती है। बाकी बातें दिखावा है, आडंबर है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा कि सरकार चलाते 15 साल पूरे होने को है नक्सलवाद पर अभी भी भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री रमन सिंह इतने ज्यादा कन्फ्यूजन का शिकार है रमन मुख्यमंत्री अभी तक यह भी निर्णय नहीं ले पा रहे है कि नक्सलवाद से कैसे निपटना है।

तीन महिने पहले ही मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बयान दिया था कि नक्सलवादी भी हमारे भाई है। आज बयान दे रहे है कि नक्सलियों से अंतिम तक लड़ाई लड़ी जायेगी और आखिरी नक्सली को गोली मारी जायेगी। भारतीय जनता पार्टी की सरकार के इसी अनिर्णय वाले रवैय्ये के परिणाम स्वरूप छत्तीसगढ़ सरकार माओवाद से निपटने के लिये अपनी कोई सही रणनीति नहीं बना पाई ताकि इस गंभीर समस्या के राजनैतिक, आर्थिक सामाजिक पक्षों का ध्यान रखते हुये सार्थक समाधान हो सके।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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