संगठन पर भारी जोगी की राजनीति

BHASKAR MISHRA
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election2015_jpegबिलासपुर— छात्र चुनाव नामांकन भरने के पहले ही दिलचस्प हो गया है। दोनों ही संगठन में प्रत्याशी चयन को लेकर जमकर माथ पच्ची हो रही है। एबीव्हीपी में पहले से ही प्रत्याशी चयन को लेकर दरार पड़ चुका है। अब एनएसयूआई संगठन पर अमित जोगी की राजनीति भारी पड़ती नजर आ रही है। आंतरिक जानकारी के अनुसार जहां एनएसयूआई मजबूत स्थिति में हैं वहां जोगी खेमा भाजपा का खेल बनाता हुआ नजर आ रहा है।

                   मालूम हो कि अमित जोगी छात्र राजनीति को लेकर पहले से ही काफी गंभीर थे। गंभीरता का परिचय उन्होंने देना भी शुरू कर दिया है। डीपी कालेज में एक तरफ जहां एबीव्हीपी को प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। तो दूसरी तरफ जोगी खेमा एनएसयूआई संगठन पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। जोगी गुट के माने जाने वाले कांग्रेस नेता अविनाश शेट्टी ने पैनल बनाकर बिना किसी राय मशविरे के संभावित प्रत्याशियों के नाम का एलान कर दिया है। वहीं अब संगठन अपने प्रत्याशियों का नाम अब तक तय नहीं कर पाया है। एनएसयूआई के सारे प्रयास शेट्टी को मनाने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि यहां जोगी गुटवाले प्रत्याशी की जीत निश्चित है।

                   कमोबश एसबीआर कालेज में भी दोनों दलों की हालत एक जैसी ही है। एबीव्हीपी में दो फाड़ पहले ही हो चुका है। शैलेन्द्र ग्रुप को स्थानीय मंत्री का आशीर्वाद हासिल है। वहीं एबीव्हीपी संगठन ने अपने प्रत्याशियों का पहले से ही एलान कर दिया है। कौन पीछे हटता है यह नामांकन वापसी के दिन ही पता चलेगा। बावजूद इसके यहां अमित गुट की सक्रियता से एनएसयूआई संगठन जीतकर भी चुनाव हार सकती है। यद्यपि यहां एनएसयूआई संगठन काफी मजबूत है। लेकिन उसे एबीव्हीपी के विखराव का कोई फायदा नहीं होगा।

             शहर के सबसे बडे कालेज सीएमडी में कयास लगाया जा रहा है कि यहां कांटे की टक्कर होगी। फिलहाल एबीव्हीपी में एकता नजर आ रही है। विश्वविद्यालय का अध्यक्ष केतन सिंह यहीं का छात्र हैं। कांटे के टक्कर में एनएसयूआई कमजोर साबित हो सकती है। यहां जोगी समर्थक एबीव्हीपी को आंतरिक और बाह्रा दोनों ही रूप में समर्थन कर रहे हैं। एनएसय़ूआई संगठन खेमा बेचैन है। उन्हे अभी से ही बाजी हाथ से फिसलती नजर आ रही है।

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