जब बाराती बनकर बिलासपुर आए थे अटलजी…… शहर की सड़कों पर पैदल चले …. और हुई थी आगवानी

Chief Editor
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बिलासपुर ।  पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के निधन से पूरे देश के साथ ही बिलासपुर भी शोकमग्न है ।  बिलासपुर शहर के साथ अटल जी का गहरा नाता रहा है  । वे यहां जनसंघ के जमाने से और भारतीय जनता पार्टी के दौर में भी कई राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होने आते रहे हैं ।  यहां के कई चौक-चौराहों में उनकी आम सभाएं हुई है ।  जो उस दौर के लोगों को आज भी याद है ।  उनका  निजी तौर पर भी बिलासपुर के साथ एक अलग नाता रहा है और मैं एक विवाह समारोह में शामिल होने बाराती बनकर भी बिलासपुर आए थे । इस बारात में अन्य बारातियों के साथ बिलासपुर की ,सड़कों पर पैदल चलकर  वे विवाह स्थल तक पहुंचे और परंपरागत ढंग से उनकी आगवानी की गई थी।

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अटल बिहारी बाजपेई बिलासपुर के मसानगंज निवासी स्वर्गीय देवनारायण शुक्ल की पुत्री सौ. कां.  सरोज के विवाह में शामिल होने  बिलासपुर आए थे  । सरोज का विवाह अटल जी के नाती अखिलेश दीक्षित के साथ 2 नवंबर 1983 को बिलासपुर में संपन्न हुआ था  । अटल जी अपने नाती की बारात में बिलासपुर आए ।  यहां मुख्य बाजार स्थित जाजोदिया धर्मशाला में बारात रुकी थी । वहीं पर अटल जी भी रुके। उन्होने अपने इस दौरे में अपने पार्टी कार्यकर्ताओँ  को साफ कह रखा था कि उनके ठहरने की अलग स् व्यवस्था न की जाए और वे अन्य बारातियों के साथ जाजोदिया धर्मशाला में ही रुके।  वहां से वहां से अटलजी भी बारात के साथ देव नारायण शुक्ल के मसानगंज स्थित निवास तक पहुंचे थे  । जहां पर वार्ड क्रमांक 22 के पार्षद राजेश मिश्रा के घर के सामने बारात की अगवानी  हुई थी। शादी के बाद  उन्होंने रात्रि विश्राम भी जाजोदिया  धर्मशाला में ही बारात के साथ रहकर किया ।

फिर विवाह कार्य संपन्न होने के बाद विदा हुए  । बारात की विदाई 3:00 बजे निश्चित थी ।  अटल जी को सुबह मुंबई रवाना होना था ।  उन्होंने  अपने मुंबई प्रवास की जानकारी देव नारायण शुक्ला को दी और कहा कि – ”  मैं अब निकलूंगा…..” ।  इस पर श्री शुक्ला ने कहा कि आपको कहां कोई रोक सकता है ….और उन्होंने एक कविता पढ़कर सुनाई ….

यह प्रचंड रवि ज्योतिपुंज यदि एक जगह रुक जाएगा

तब इस विशाल दुनिया में कैसे उजाला जाएगा उजियाला छाएगा……

अटलजी की बाराती के रूप में यह बिलासपुर यात्रा उस समय के लोगों के मन में अभी ताजा है …..।

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