बिलासपुर। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के रजत जयंती सभागार में गुरुवार को प्रभारी कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह की अध्यक्षता में सद्भावना दिवस प्रतिज्ञा समारोह एवं विधिक साक्षरता अभियान कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
सद्भावना दिवस प्रतिज्ञा समारोह में प्रभारी कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह, विधिक साक्षरता अभियान कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रथम श्रेणी व्यवहार न्यायाधीश शैलेष शर्मा, कुलसचिव कार्यवाहक एचएन चौबे समेत सभागार में मौजूद सभी शिक्षकगण, अधिकारीगणों ने बिना किसी भेदभाव के सभी के साथ एकता और सद्भावना के लिए कार्य करने और हिंसा के बिना सभी मतभेदों को बातचीत और संवैधानिक माध्यमों से सुलझाने की प्रतिज्ञा की।
जिला विधिक सेवा प्रधिकरण के सचिव एवं प्रथम श्रेणी व्यवहार न्यायाधीश शैलेष शर्मा ने छात्र-छात्राओँ एवं युवाओँ से जुड़े विभिन्न कानूनी पहलूओँ पर विशेष जानकारी मुहैया कराई। उन्होने रैगिंग, टोनही प्रताड़ना, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के पलायन और वापसी में आने वाली कानूनी पेचीदगियों एवं साइबर क्राइम जैसे समसामयिक विषयों पर गहराई से अपनी बात रखी।
विधिक साक्षरता अभियान कार्यक्रम में बोलते हुए शैलेष शर्मा ने बात की शुरुआत कविता की दो पंक्तियों से की । जिसमें उन्होंने कहा कि जाति या धर्म के आधार पर कोई छोटा बड़ा नहीं होता बल्कि जो भी व्यक्ति पूरे विश्वास एवं सच्चे हद्य से ईश्वर की भक्ति करता है भगवान उसे ही प्राप्त होते हैं । उन्होने कहा कि छात्र जीवन में रैगिंग जैसे पाप और अपराध से स्वयं को बचाना चाहिए क्योंकि कानून में इसके लिए विशेष प्रावधान किये गये हैं जिनमें इसकी पुर्नावृत्ति होने पर शिक्षा से वंचित भी होना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि हम अपराध सहते हैं इसलिए अपराध बढ़ता है, इसे रोकने के लिए हमें जागरूक होना होगा। श्री शर्मा ने समकालीन सोशल मीडिया पर होने वाली आपराधिक घटनाओँ पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सोशल मीडिया के जरिये मिलने वाले प्रलोभनों से बचें। युवाओं से संवाद स्थापित करते हुए न्यायधीश श्री शर्मा ने कहा कि छात्र जीवन अनुशासन, परिश्रम एवं लक्ष्य अर्जित करने के लिए है। इससे विरक्त होने पर आपको निराशा ही हाथ लगेगी।
कुलसचिव कार्यवाहक एचएन चौबे ने कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्षगण, विभागाध्यक्षगण, शिक्षकगण, अधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद थे।