काफी पढ़ी लिखी हैं बिल्हा जनपद पंचायत अध्यक्ष…गीतांजली ने कहा..जन आदेश से दावेदारी..परिवार ने चाहा तो लडूंगी चुनाव

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर– स्क्रीनिंग कमेटी के दो सदस्य 29 अगस्त से दो दिनी बिलासपुर प्रवास पर रहेंगे। जिला ब्लाक शहर ग्रामीण कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से विधानसभावार रायशुमारी करेंगे। जाहिर सी बात है कि रायशुमारी बिल्हा विधानसभा टिकट दावेदारों की भी होगी। यद्यपि तकनिकी तौर पर बिल्हा विधानसभा का एमएलए कांग्रेस के ही खाते में है। लेकिन जोगी समर्थक होने के कारण सियाराम कौशिक टिकट के दावेदार नहीं है। लेकिन बिल्हा विधायक की बहू ने कांग्रेस से टिकट दावेदारी कर सबको चौंका दिया है। बहरहाल बिल्हा जनपद पंचायत अध्यक्ष होने के कारण गीतांजलि कौशिक दावेदारी मजबूत है लेकिन सारा दारोमदार रायशुमारी पर निर्भर है।

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                             बिल्हा जनपद पंचायत अध्यक्ष गीतांजली कौशिक क्षेत्र में विधायक सियाराम कौशिक से हटकर अलग पहचान है। लेकिन खुद को गीतांजली कौशिक राजनैतिक रूप से सियाराम से अलग हटकर कुछ नहीं मानती है। बावजूद इसके उन्होने बिल्हा विधानसभा से दावेदारी की हैं। उनका मानना है कि राजनीति का ककहरा पिता समान श्वसुर सियाराम के आंगन से ही सीखा है।

                गीतांजली कौशिक का नाम वर्तमान में कांग्रेस की सबसे शिक्षित नेताओं में शुमार है। शादी से पहले गीतांजली कौशिक ने एमकाम डिग्री के अलावा एलएलबी और बीएड की डिग्री ली है। गीताजली कौशिक का मायका दगौरी है। मजेदार बात है कि बिल्हा विधानसभा के लिए गीतांजली कौशिक का भाई ज्वाला कौशिक ने भी दावेदारी की है।

                टिकट दावेदार गीतांजली कौशिक ने बताया कि मायके से लेकर ससुराल तक मेरी परवरिश कांग्रेसी राजनैतिक परिवार में हुआ है। मैं बिल्हा जनपद पंचायत की चुनी हुई प्रतिनिधि हूं। बावजूद इसके मुझे संगठन से कभी प्रोत्साहन नहीं मिला। सरकारी काम काज की बैठक से हटकर बात करें तो संगठन की बैठकों में मुझे कभी नहीं बुलाया गया। अध्यक्ष बनने के बाद इक्का दुक्का कार्यक्रम में आमंत्रित तो किया गया लेकिन कभी भी मेरी बातों को सुनना उचित समझा नहीं गया। चूंकि मेरे रग में कांग्रेस की वफादारी है। इसलिए संगठन से बाहर होने का सवाल नहीं उठता है। यद्यपि संंगठन ने उन्हें कभी तवज्जो नहीं दिया।

                     कांग्रेसी होने के कारण मैने भी बिल्हा विधासभा से दावेदारी की है। दावेदारी का आधार भी है। पहली बात तो यह कि जनता ने ही चुनकर मुझे बिल्हा जनपद पंचायत का अध्यक्ष बनाया। संगठन से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने के बाद भी पिता जी के प्रयास से जनता ने मुझे अपना बनाया। इन चार सालों में मैने जनता की जमकर सेवा की। अफसर शाही से परेशान जनता के कामों को प्राथमिकता के आधार पर लिया। शासन की योजनाओं को ईमानदारी से जनता तक पहुंचायी। पेंशन योजना, राशन कार्ड, आवास,बिजली पानी,शिक्षा के अधिकार को जन जन तक पहुंचायी। जनता को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक की। जाहिर सी बात है कि जनता ने भी मुझे भरपूर आशीर्वाद दी। खासतौर पर बिल्हा की जनता ने मुझे मेरे कामों को लेकर जमकर उत्साहित किया। उन्हीं की  ताकत पर मुझे संगठन, शासन से भरपूर सहयोग नहीं मिलने के बाद भी काम करने की शक्ति मिली।

                   गीतांजली कौशिक कहती हैं कि टिकट मिलेगी या नहीं…यह तो जनता तय करेगी। टिकट किसके भाग्य में है..फैसला रायशुमारी के बाद ही होना है। यदि टिकट मिलती भी है पिता समान श्वसुर के आदेश के बाद ही चुनाव लड़ेंगी। मेरे जीवन में जिस तरह कांग्रेस और जनता का महत्वपूर्ण स्थान है। उसी तरह मेरा परिवार भी प्रमुख है। पति पिता नाते रिश्तेदारों से समर्थन के बाद ही चुनाव लड़ूंगी..यदि संगठन नें मुझे चुनाव लड़ने के काबिल समझा तो।

                         गीतांजली ने बताया कि बिल्हा विधानसभा मस्तूरी,बिलासपुर,बेलतरा विधानसभा से लगा है। बिल्हा विधानसभा में कुल 139 पंचायत हैं। बेलतरा-बिल्हा  में 65-65 और अन्य विधानसभा में 9 पंचायत आते हैं। बिल्हा खास में सर्वाधिक मतदाता हैं। मेरा परिवार भी इसी क्षेत्र से है। जाहिर सी बात है कि मैं किसी की बेटी हूं तो किसी की बहू। लेकिन विधानसभा के अन्य क्षेत्रों के लोगो में मेरे परिवार के प्रति बहुत प्यार है।

              गीतांजली की माने तो अध्यक्ष पद रहते हुए कार्यकर्ताओं और जनता का बहुत प्यार मिला। परिवार के सहयोग के बिना तो मैं कुछ भी नहीं हूं। टिकट दावेदारी करते समय पिता ने हस्तक्षेप नहीं किया। क्योंकि वे खुद कांग्रेस के सेवक और विधायक हैं..। भविष्य क्या होता है सबकी तरह मुझे भी इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन मैं कांग्रेसी हूं। इसी अधिकार के कारण मैन टिकट की दावेदारी की है। क्योंकि जनता भी यही चाहती थी।

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