केशरवानी ने कहा…दण्डाधिकारी जांच केवल छलावा…अधिकारी को बचाने बुना गया मजिस्ट्रेट जांच का ताना बाना

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—जिला ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी ने कांग्रेसियों पर जो बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज के बाद मजिस्ट्रेट जांच के आदेश का विरोध किया है। केशरवानी ने बताया कि आदेश पूर्वाग्रह से ग्रसित है। स्थानीय मंत्री और पुलिस प्रशासन को जन आक्रोश से बचाने का प्रयास किया जा रहा है। आदेश में दिेए गए जांच बिंदु पूरी तरह से भ्रामक हैं।
               केशरवानी ने बताया कि आदेश में जांच का पहला बिन्दु…क्या जिला शहर कांग्रेस कमेटी ने धरना प्रदर्शन की विधिवत अनुमति ली थी? दूसरा बिन्दू …क्या वहां पोलिस बल की पर्याप्त व्यवस्था थी?  केशरवानी ने बताया कि जांच आदेश के पहली पंक्ति में लिखा हुआ है कि दिनांक 18/09/2018 को जिला शहर कांग्रेस कमेटी बिलासपुर ने मंत्री अमर अग्रवाल के सिविल लाइन स्थित निजी आवास का घेराव कार्यक्रम निर्धारित था। प्रदर्शन के समय पुलिस बल की भारी मौजूदगी बेरिकेटिंग और दंडाधिकारी की उपस्थिति से स्पष्ट है कि जिला प्रशासन को इसकी पूरी जानकारी थी। पुलिस प्रशासन ने बस की व्यवस्था कांग्रेजनों की गिरफ़्तारी के लिए की थी। लेकिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद काँग्रेस कमेटी के लोग कार्यालय लौट गए।
                    केशरवानी ने बताया कि आदेश में जांच का तीसरे बिन्दु में कहा गया है कि किन परिस्थितियों में अनियंत्रित हो कर घटना को अंजाम दिया? जबकि प्रदर्शन स्थल पर भीड़ नही बल्कि कांग्रेस के कार्यकर्ता थे। शांतिपूर्वक मंत्री अमर अग्रवाल के बयान -“कि कांग्रेसी शहर के कचरा हैं।” का प्रतीकात्मक विरोध कर रहे थे। इसी तरह बिन्दु 4,5, 6 में कहा गया है कि जिस स्थान पर प्रदर्शन का प्रयास किया जा रहा है वहीं समूची बल प्रयोग की घटना स्थानीय मंत्री के आवास स्थल के पास की है। जो पूर्णतः असत्य है। जबकि अत्याचार पूर्वक लाठीचार्ज की समूची घटना जिला और शहर कांग्रेस कमेटी के तिलक नगर स्थित कांग्रेस भवन के अन्दर  हुई। जहां उपस्थित कांग्रेजन भजन कीर्तन कर रहे थे। तभी पुलिस ने उन पर जबरिया, एकतरफा बिना पूर्व सूचना और बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के कांग्रेस भवन में घुस कर लाठीचार्ज करने लगे।
         पुलिस ने बल पूर्वक कांग्रेजनों को बस में भरने लगे। इसमें महिलाएं भी शामिल थीं।  पुरुष पुलिस कर्मियों ने महिला नेत्रियों को घसीट कर मारा। जिस से वे लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल अवस्था मे ही उन्हें जबरिया बस में ठूस दिया गया। सभी कांग्रेजनों को जानवरों की तरह पीटते हुए कांग्रेस भवन से निकाल कर बसों में ठूसा गया। कोनी थाना ले जाकर भी पीटा गया.। गंभीर रूप से घायलों को 2 घंटे तक चिकित्सा सुविधा नहीं दी गयी। पूरे घटनाक्रम में दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों का कोई पालन नही किया गया। अधिकारियों को बचाने के लिए यह दंडाधिकारी जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। 3 माह का समय जांच के लिए दिया गया है। जो  दर्शाता है कि यह जांच एक छलावा है।
                     कांग्रेस जांच कमेटी को सिरे से खारिज करती है। मांग करती है कि उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में सम्पूर्ण घटना क्रम की निष्पक्ष जांच कराई जाए। जिस से दोषी मंत्री और अधिकारियों को दंडित किया जा सके।
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