पुलिस डाल-डाल…कोयला माफिया पात-पात….दो जिलों में एक साथ चल रहा अवैध कारोबार…कैसे निबटे प्रशासन

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— कुछ तो बात है कोयला व्यापार में…कोयला माफियों में भी…बिलकुल बेशरम की जड़ की तरह…। पुलिस और खनिज विभाग ताबड़तोड़ कार्रवाई तो करती है..लेकिन सप्ताह दो सप्ताह बाद पुराने का साथ बोनस में नया कोयला माफिया पैदा हो जाता है। आजकल बिलासपुर कोयला माफियों ने नया पैतरा लिया है। बिलासपुर पुलिस कप्तान की सख्ती के बाद कोयला माफियों ने मुंगेली को दूसरा ठिकाना बना लिया है।

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                   यद्यपि अवैध कोयला व्यापारियों के खिलाफ पुलिस कप्तान आरिफ शेख और  खनिज विभाग की ताबड़तोड़ कार्रवाई लगातार चल रही है। लेकिन अवैध कोयला व्यापारियों की संख्या में दिन दूनी रात चौगुनी हो रही है। मतलब अवैध कोयला व्यापारियों का नेटवर्क दोनों जिलों में हो गया है। यदि बिलासपुर में सख्ती होती है तो मुंगेली का कोल डिपो जिंदाबाद…। ऐसे में बिलासपुर पुलिस कप्तान कर भी क्या सकते हैं। क्योंकि जब तक बिलासपुर में कोयला डिपो बंद रहता है..तब तक मुंगेली में काम धड़ल्ले से चलता है। जब मुगेली में कार्रवाई होती है तब तक बिलासपुर कोल डिपो खुल चुका होता है। दरअसल कोयला माफियों ने दोनों जिलों में एक नहीं बल्कि दो-दो कोल डिपो खोल लिया है। मजेदार बात है कि प्रशासनिक कार्रवाई भी चलती रहती है और कोल डिपो भी चलता रहता है।

                   मालूम हो कि बिलासपुर पुलिस कप्तान और खनिज विभाग की जब तब कोयला माफियों के खिलाफ कार्रवाई चलती रही है। लेकिन कोयला माफिया हैं कि उन पर असर नहीं पड़ता । यह सच है कि बिलासपुर पुलिस कप्तान के भय से कई कोयला माफिया या तो सीमा के जिलों में काम धाम शुरू कर दिया है या फिर ठौर ठिकाने की तलाश में जुट गये हैं। सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि पुलिस कार्रवाई के बाद भी बिलासपुर के कोयला माफियों ने दूसरे जिले में कोल प्लाट तो खोल लिया है। लेकिन कार्रवाई के बाद बिलासपुर में काम धाम फिर से शुरू कर दिया है।

                                दरअसल कोयला माफियों ने डाल-डाल, पात पात की कहायवत को पूरी तरह से आत्मसात कर लिया है। बिलासपुर में एक नहीं बल्कि दो दो  डिपो होने के बाद भी पड़ोसी जिलों में भी कोयले के दो अवैध कोल डिपो खोल लिए हैं। यदि एक जिले में कार्रवाई होती है तो कोयला माफियों का काम धाम दूसरे जिले में धड़ल्ले से चलता है। ज्यादातर दोनों जिलो के कोल डिपो में महीनों एक साथ भी कारोबार चलता है।

दो जिलों में कारोबार

                                                     जैसे मध्यप्रदेश का एक कोल माफिया का मुगेली और बिलासपुर में दूसरे के लायसेंस पर दो दो कोल डिपो है। जब बेलतरा में कार्रवाई होती है तो मोहदा में काम चलता रहता है। ऐसी स्थिति तो अभी तक आयी नहीं…लेकिन जब पुलिस और खनिज विभाग दोनों जगह छापामार कार्रवाई करती है तो मुंगेली के कोल डिपो में काम चलता रहता है। हाल फिलहाल मध्यप्रदेश के कोल माफिया के बेलतरा-रतनपुर स्थित कोल डिपो में छापा मारा गया । लेकिन मोहदा कोल डिपो अवैध लायसेंस पर धड़ल्ले से चलता रहा..अभी भी चल रहा है। शायद पुलिस की नजर कभी मोहदा कोल डिपो पर गयी ही  नहीं। यही कारण है कि तमाम नियम कायदों को ताक पर रखकर डिपो का संचालन किया जा रहा है। देर रात्रि 11 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाखों रूपए की कोयला की चोरी होती है। आस पास की खेती पूरी तरह चौपट हो चुकी है। मजेदार बात है कि जांच पड़ताल के बाद भी पर्यावरण विभाग रबर की तरह पेश आ रहा है। इस बात को समझा भी जा सकता है।

शमीम खान का कोयला कारोबार

     .मोहदा में ही शमीम खान ऊर्फ बल्ला का कोल डिपो पूरी तरह से अवैध ढंग से संचालित है। सवन्नी राइस मिल के पीछे शमीम ऊर्फ बल्ला का कोल डिपो सारे नियम कायदों को ढेंगा दिखाता है। शमीम खान अपना अवैध कारोबार अग्रवाल कोल डिपो से चलाता है। पुलिस प्रशासन की यहां दो तीन बार कार्रवाई हो चुकी है। लायसेंस को ब्लैक लिस्ट भी किया जा चुका है। लेकिन चालाक अवैध कोयला व्यापारी कर्मचारियों के नाम लायसेंस बनाकर अवैध कारोबार को अंजाम दे रहा है। शमीम खान ने हमेशा की तरह कभी भी नियम कायदों और प्रशासनिक दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया। आज भी मोहदा में खुलेआम नियम कायदों को ताक पर रखकर कोयला का अवैध धंधा करता है। फिर भी कार्रवाई नहीं होना…समझ से परे है। निश्चित रूप से शक पैदा करता है।

                  शमीम खान का अवैध कोल डिपो मुंगेली जिला के मोहभठ्ठा में भी चलता है। यहां तो शमीम खान ऊर्फ बल्ला ने तो अति कर दिया है। निजी जमीन पर अवैध कोल डिपो खोल आम नागरिकों का जीना मुश्किल कर दिया है। धड़ल्ले से दिन रात हरे रंग के तिरपाल के अन्दर कोयला की चोरी होती है। दिन हो या रात लाखो टन कोयला का वारा न्यारा होता है। धरसा की जमीन से भारी भरकम ट्रक निकाला जा रहा है। जबकि धरसा की जमीन ग्रामीणों के आवागमन के लिए है।मुंगेली प्रशासन को कुछ नहीं दिखाई दे रहा है। यहां भी दो तीन बार खनिज विभाग की कार्रवाई हो चुकी है। लेकिन मजाल है कि शमीम खान के अवैध कोल डिपो पर कोई असर पडा हो। क्योंकि कर्मचारियों के नाम लायसेंस बनवाकर अपने गोरखधंधे को अंजाम दे रहा है।  मतलब साफ है कि जब मोहदा में कार्रवाई होती है तो शमीम खान का काम मोहभठ्ठा में चलता रहता है। मोहभठ्ठा में अवैध कोल डिपो संचालन से ना केवल किसान और ग्रामीण परेशान हैं। बल्कि भारी भरकम गाड़ी और असामाजिक तत्वों के जमावड़े से जनता में आक्रोश भी है।

            बावजूद इसके ना तो बिलासपुर और ना ही मुंगेली जिला पर्यावरण विभाग को फिक्र है कि अवैध कोल डिपो ने जनता जनार्दन और पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचा रहा है। क्या ऐसे लोगों पर कार्रवाई होगी…। कहना तो मुश्किल है..लेकिन दावा जरूर किया जा सकता है कि अवैध कोल व्यापारियों का धंधा कभी बंद नहीं होगा।

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