बिलासपुर।प्रदेश के सहायक शिक्षक का सशक्त मंच छग सहायक शिक्षक फैडरेशन जो कि विसंगतियों से भरे संविलियन का लगातार विरोध करते हुए इसे मुख्यमंत्री के घोषणा अनुरूप मध्यप्रदेश से बेहतर संवलियन सौगात की माँग के लिए विभिन्न चरणों में आंदोलन छेड़े हुए है जिसमे धरना,प्रदर्शन, शिक्षक दिवस का बहिष्कार सहित धिक्कार रैली के बाद अपनी चार सूत्रीय मांगों को गांव गलियों के दिवलो पर उकेरा जा रहा है जिसमें वे अपने माँग 2013 से व्याप्त वेतन विसंगति को दूर कर वर्ग-2 के समान 9300+4200 वेतनमान देने ,पदोन्नति से वंचित सहायक शिक्षको को वर्ग-2 का उच्चत्तर वेतनमान देने,संविलियन के लिए 8 साल की अनिवार्य सेवा शर्ते को शिथिल कर प्रथम नियुक्तितिथि से संविलियन सहित 7 वें वेतनमान का लाभ देने तथा लम्बित अनुकम्पा नियुक्ति शामिल हैं.
फेडरेशन के कद्दावर संयोजक शिव सारथी का कहना है कि हम लोगों ने लगातार आंदोलन और संवाद के माध्यम से अपनी समस्या को मुख्यमंत्री तक पहुचा दिया है अब फैसला सीधा मुख्यमंत्री को लेना है अगर उनके द्वारा आचार सहित लगने के पूर्व माँगो की घोषणा कर दिया जाता है तो हम शासन के साथ खड़े दिखेंगे नही तो हम भी अपनी समस्याओं को प्रदेश के ढाई करोड़ों जनता और हमारे स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों तक ले जाकर उन्हें बताएंगे कि कैसे सत्ता के शिखर पर बैठे लोग विगत 23 सालों से शासकीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षाकर्मीयो/पंचायतो अब LB संवर्गो का आर्थिक व मानसिक शोषण करते आ रहे है।
तथा समाज के सबसे कर्तव्यनिष्ठ और राष्ट्र निर्माता कहे जाने वाले शिक्षको को अपनी सत्ता मार्ग का चुनावी एजेंडा बनाये हुए है जो शोषण और अत्यचार की पराकाष्ठा है जिससे शिक्षको को निजाद मिलना चाहिए ताकि ये आंदोलन,प्रदर्शन की राह छोड़कर अध्ययन अध्यापकन में समय दे सके।
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने प्रदेश के सभी वर्गों के शिक्षाकर्मीयो को संविलियन सहित 7 वें वेतनमान का लाभ दिया है पर यह प्राथमिक शालाओं में कार्यरत शिक्षको के लिए ज्यादा लाभकारी नही है यही कारण है कि ये लोग सरकार के आधे-अधूरे निर्णय से बिफरे हुए है और फेडरेशन के बैनर तले आंदोलनरत है।
जो कि आज वाल पेंटिग के जरिये जन आंदोलन बनते जा रहा है ये लोग विभिन्न नारो और स्लोगन के जरिये लोगो तक अपनी मांग पहुचा रहे है साथ ही सरकार को भी घेरने का काम कर रहे है इनका यह तरीका कारगर हो गया तो मानकर चले भाजपा की चौथी पारी खटाई में पड़ सकता है क्योंकि एक तो इनकी 1 लाख 9 हजार की संख्या ऊपर से इनके रिस्ते नाते और आसपास के इनसे प्रभावित लोग कुल मिलाकर कई लाभ मतदाता और राज्य में जीत-हार की दृष्टि से मामूली वोटों का अंतर कुल मिलाकर देखा जाए तो इन्हें नाराज करना डाँ. रमन सिंह के लिए गले की फांस बन सकता है।
पर इसकी नौबत शायद ही आये क्योकि केंद्र की मोदी सरकार के लिए भी राज्य में भाजपा की वापसी बेहद अहम है जिसके लिए प्रदेश भाजपा शायद ही जोखिम ले और शिक्षाकर्मीयो के रूप में एक बहुत बड़े वोट बैंक को नाराज करे अब ये वक्त ही बताएगा कि सरकार इन्हें मना पाती है या फिर इनका अनिवार्य मतदान,और वाल पेंटिग अभियान भाजपा के राह में कांटे बोता है इसका प्रदेश की जनता इंतजार ही कर सकता है कि आने वाला समय किस करवट बैठता है।