दिग्गजों ने कहा…आंचलिक पत्रकार देते हैं अखबारों को सुर्खियां…महत्व शब्दों और तथ्यों में..बैनर में नहीं

BHASKAR MISHRA
बिलासपुर—छत्तीसगढ़ सक्रिय पत्रकार संघ का प्रादेशिक पत्रकार सम्मेलन और अलंकरण समारोह का आयोजन आईएमए भवन में किया गया। पत्रकारों के कार्यक्रम में बतौर अतिथि डा.गौरी दत्त शर्मा कुलपति अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय, हरीश पाठक कथाकार एवं पूर्व संपादक राष्ट्रीय सहारा मुंबई, धीरेंद्र अस्थाना कथाकार और  एसोसिएट एडिटर राष्ट्रीय सहारा, डा. सुधीर सक्सेना कवि लेखक संपादक दुनिया इन दिनों नई दिल्ली , गिरीश पंकज  व्यंगकार, वरिष्ठ पत्रकार, नीलकंठ पारणकर संपादक दैनिक नवभारत बिलासपुर, सतीश जायसवाल वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार  विशेष रूप से मौजूद थे।
                  समारोह में को वरिष्ठ पत्रकार ,कथाकार हरीश पाठक ने संबोधित किया। पाठक ने कहा कि लिखने का कोई भी माध्यम हो प्रिंट, इलेक्ट्रानिक या सोशल मीडिया, हमारे लिखे हुए शब्दों का महत्व है। नई तकनीक से लैस पत्रकारों की काबिलियत पर किसी तरह का संदेह नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंचलिक पत्रकार ही देश की असली तस्वीर सामने लेकर आते हैं। आंचलिक पत्रकार जो लिखते हैं वही राष्ट्रीय अख़बारों की सुर्खियां बनती है। अनेक घटनाओं के साथ बीबी जागीर कौर,समेत कई उदाहरण पेश किए। उन्होंने बताया कि चारा घोटाला में पूर्व मुख्यमंत्री समेत कई अधिकारियों को जेल तक पहुंचाने का काम प्रभात ख़बर का एक मामूली फोटोग्राफर ने किया।
           मुम्बई सबरंग पत्रिका के सम्पादक और राष्ट्रीय सहारा के पूर्व एसोसिएट एडिटर धीरेन्द्र अस्थाना ने अपने उद्बोधन में आंचलिक पत्रकारों को समझाइश दी  कि वे महानगरों की पत्रकारिता की आकर्षण से दूर रहें। ध्यान रखें कि आप जहां है वहां क्या कर रहे हैं।छोटे गांव में रहकर भी राष्ट्रीय महत्व की ख़बरों को सामने लाया जा सकता है। ऐसा ही होता है और हो रहा है।अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुलपति डॉ. गौरी दत्त शर्मा ने कहा कि लोक से जुड़कर ही महत्व की सूचनाएं निकाली जा सकती हैं। आंचलिक पत्रकार ये काम बखूबी करते हैं, जो राष्ट्रीय अख़बारों के पत्रकार नहीं कर पाते। पत्रकारिता में नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह की सूचनाएं आवश्यक हैं। मुझे पता है कि एक सक्रिय पत्रकार सुबह से काम में लग जाता है और देर रात तक व्यस्त होता है। पत्रकारिता कष्ट से जुड़ा अध्यवसाय है। पत्रकार सही मायने में सूर्य पुत्र हैं।
                 डॉ. सुधीर सक्सेना ने कहा कि सत्ता चाहे किसी की हो उन्हें असहमति बर्दाश्त नहीं होता। सत्ता धीशों से लड़ने की ताकत केवल चौथे स्तंभ में है।उन्होंने बिलासपुर से उन्हें गहरा लगाव है। डॉ. सक्सेना ने वरिष्ठ पत्रकार रईश अहमद की जैसे धूप में घना साया   का विमोचन किया।  उन्होंने बताया कि धूसर में बिलासपुर का विमोचन भी यहीं किया था। डॉ. सक्सेना ने कहा कि मैं देश और दुनिया में कहीं भी घूमता रहूं बिलासपुर हमेंशा जहन में रहता है।  उन्होंने खुलासा किया कि उनकी पत्रिका का दो माह बाद आने वाला अंक बिलासपुर के पत्रकार-साहित्यकार सतीश जायसवाल पर केन्द्रित होगा।
                    नवभारत बिलासपुर सम्पादक नीलकंठ पारटकर ने कहा कि ग्रामीण पत्रकार, आंचलिक पत्रकारिता की जान हैं। वे रात-दिन मेहनत करते हैं। आंचलिक अख़बारों के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा इन संवाददाताओं से ही हासिल होता है। किस तरह धूर नक्सल इलाके सुकमा में शौचालयों की बदतर स्थिति पर नवभारत में रिपोर्ट छपी। केन्द्र में इस पर खलबली मची। अधिकारियों ने फर्जी जांच रिपोर्ट भेजी और कहा कि सब कुछ सही है। आप खंडन छापें। संवाददाता ने फिर मेहनत की और नई रिपोर्ट बनाई कि स्थिति और बदतर है। हमने केन्द्र को जवाबी रिपोर्ट भेजी कि खंडन नहीं छपेगा और आप उन अफसरों पर कार्रवाई करें जिन्होंने बिना छत के शौचालय बना डाले और पैसे निकाल लिए। केन्द्र से इसका कोई जवाब नहीं आया। पराटकर ने समाज और अख़बार मालिकों को नसीहत दी कि वे आंचलिक पत्रकारों पर वसूली का आरोप न लगाएं, इससे कई गुना स्थिति मीडिया के ऊपरी हिस्से में बिगड़ी हुई है।
            देश के जाने-माने व्यंग्यकार, वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार गिरीश पंकज ने कहा कि सक्रिय पत्रकार सचमुच कलम के सिपाही होते हैं। उनकी ऊर्जा में महात्मा गांधी और गणेश शंकर विद्यार्थी की पत्रकारिता की छाप हमें दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि पत्रकार एक्टिविस्ट की तरह काम करें। वरिष्ठ पत्रकार दिनेश ठक्कर ने इस दौरान ‘मुट्ठी भर छांव’ कविता का पाठ किया। वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार सतीश जायसवाल ने पत्रकारों का उत्साह वर्धन करते हुए आधुनिक संसाधनों से परिपूर्ण पत्रकारिता का मार्ग प्रशस्त किया।
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