संघ ने मनाया विजयादशमी उत्सव..वक्ताओं ने कहा…सिद्धांत के साथ करें राष्ट्र निर्माण…भारतीय संस्कृति का विश्व में सम्मान

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- हर साल की तरह इस साल भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विजयादशमी उत्सव पुलिस मैदान में मनाया गया। कार्यक्रम का आयोजन 14 अक्टूबर रविवार को शाम 5 बजे किया गया। इस अवसर पर स्वयंसेवको ने आसन, व्यायाम, योग, दंड चालन, गण समता का प्रदर्शन किया। घोष दल ने विभिन्न गीतों पर धुन निकालकर लोगो को मंत्रमुग्ध किया। सरस्वती शिशु मंदिर कोनी विद्यालय के छात्रों ने मानव पिरामिड बनाकर राष्ट्रभक्ति का संदेश दिया। एक बार करवट तो बदले…’  गीत का गान स्वयंसेवको ने किया।
            कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसएल स्वामी ने संघ के बारे विस्तार से जानकारी दी और अपने अनुभवों को साझा किए। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति अनुशासन, सम्मान और विश्वबन्धुत्तव की भावना से ओतप्रोत है। स्वामी ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा एक अबीर दुबई के सुल्तान मिलने जा रहा था। इसी दौरान एक कर्मचारी ने बताया कि आप हमेशा टिका कर के जाते हैं उसको मिटा के जाइयेगा। लेकिन मैं टिका लगाकर ही गया, जहां देश की संस्कृति के कारण वहां के सुल्तान प्रभावित हुए। एक और देश में गया जहां एक आदमी ने जाना कि हमलोग भारत से है तो उसने रुक कर प्रणाम किया। यह सम्मान देश की प्राचीन संस्कृति के कारण ही मिला।
             मुख्य वक्ता रविन्द्र जोशी ने कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होने विजयादशमी उत्सव के बारे में विस्तार से बताया। जोशी ने कहा देश की संस्कृति के पर प्रकाश डाला। देश के समाज के विकास के लिए उन्होंने तीन लक्ष्य  बताये। उन्होने बताया कि जिस किसी किसी व्यक्ति में ज्ञान, प्रयास और शक्ति की कृपा है तो देश का ध्येय प्राप्त कर लेगा।  उन्होंने बताया कि 1925 में नागपुर में डॉ हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी। तात्कालीन समय हेडगेवार ने कहा था आज से संघ शुरू हुआ है। हेडगेवार के मन में एक प्रश्न था कि इतना प्राचीन देश होने के बाद भी देश गुलाम क्यों रहता हैं। इसके लिए उन्होंने कभी विदेशियों को दोषी नहीं दिया।  बल्कि उन्होने कहा था कि देश के लोग एक नहीं है इसलिए हम गुलाम होते जा रहे हैं। देश को एक करने के लिए ही उन्होने संघ की स्थापना की।
             93 साल संघ की स्थापना के बाद एक सेे अब 7 हाजर शाखाओं का विस्तार हुआ है। 41 देशों में संघ का कार्य चल रहा है। इस त्यौहार में दुर्गा संदेश देती है कि आसुरी शक्ति पर विजय पाना है। बाबा घासीदास की सीख को पूरे विश्व में आचार विचार में लाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है। सिद्धांत के साथ राष्ट्र निर्माण करना है। धर्म और संस्कृति को देश के साधु संत ने सरल शब्दों में बताया है। उनके सीख को जीवन में उतारने की आवश्यकता हैं। संघ की मान्यता है कि ये गुण स्वयंसेवक के साथ सभी व्यक्ति में आये। तभी देश सर्वोच्च शिखर को प्राप्त कर सकता है।
                जोशी ने जानकारी दी कि संघ चाहता है कि सभी लोग खड़े हो ताकि देश के बैभव को प्राप्त किया जा सके। संघ के स्वयंसेवक देश के किसी भी प्राकृतिक आपदा के समय सेवा कार्य करते है। देश के किसी भी आपदा विपत्ति से निपटने के लिए संघ के स्वयंसेवक परिश्रम करते है। समाज की बुराइयों को दूर करने के लिए समाज को आगे आना होगा। उन्होंने महाराष्ट्र का एक उदाहरण दिया कि लातूर के एक स्वयंसेवक ने 100 स्वच्छता ताई का संघठन बना कर पूरे लातूर को स्वच्छ बना दिया। समाज के सभी लोगों को साथ रहने की प्रेरणा संघ की शाखा से मिलती है। सभी को अपने घर से शुरुवात करनी होगी तभी राष्ट्र को आंतरिक संकटों के साथ बाहरी संकटों से बचाया जा सकता है। संघ ने अपने 93 वर्षो में देश में समाज के लोगों को संगठित करने का कार्य किया है। हिंदुओ को संगठित करने का कार्य किया है।
        इस अवसर पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक, ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर बंश गोपाल सिंह, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अंजिला गुप्ता, डॉ विनोद तिवारी, छत्तीसगढ़ प्रान्त के सह कार्यवाह नारायण नामदेव, विभाग संघ चालक काशीनाथ घोरे, विश्व संवाद केंद्र के प्रफ़ुल्ल शर्मा समेत नगर के अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।कार्यक्रम का संचालन नगर कार्यवाह विश्वास जलताड़े ने किया। नगर संघसंचालक रणवीर सिंह ने आभार प्रदर्शन किया।
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