समग्र भारत का अहसास कराता है बिलासपुर— डॉ.भूरे

BHASKAR MISHRA
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BHURE_1बिलासपुर—(भास्कर मिश्र)–बिलासपुर विविधताओं से भरा जिला है। मुझे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र में कार्य करने का अवसर मिला है। बिलासपुर को मिनी छत्तीसगढ़ कहें तो ज्यादा ठीक होगा। नक्शा भी कुछ छत्तीसगढ़ जैसा ही है। बिलासपुर मानव विविधता में कुछ हिन्दुस्तान जैसा है। यहां छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि भारत का समग्र दर्शन होता है। देश में ऐसा जिला कम ही देखने को मिलता हैं। जितना अनुभव है उस आधार पर कह सकता हूं कि बिलासपुर कुछ अलग हटकर है। यह शहर सबको आकर्षित करता है। मैं भी उनमें से एक हू। यह बातें जिला पंचायत सीईओ डॉ.सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे ने सीजी वाल से कही।

                    महाराष्ट्र के भण्डारा में प्रारम्भिक शिक्षा लेने के बाद पुणें से एमबीबीएस करने के दौरान डॉ. भूरे प्रशासनिक सेवा में आए। भूरे का मानना है कि मानव स्वभाव, बेहतर करने के लिए व्यापक क्षेत्र तलाशता है। भारतीय प्रशासनिक सेवा उन्हीं क्षेत्रों में से एक है। मुझे भी अवसर भी मिला। चिकित्सक रहते हुए मैं मरीजों का उपचार करता। लेकिन अब शासन की योजनाओं और जन अधिकारों को अंतिम छोर तक पहुंचाने का काम कर रहा हूं। जिस तरह मेडिकल के क्षेत्र में चुनौतियां हैं, यहां भी कुछ ऐसा ही है। चुनौतियों को अंजाम तक पहुंचाने के बाद लोगों के चेहरे पर जो खुशी देखता हूं उससे ऊर्जा मिलती है।

7/4/2015 1:54 AM                     डॉ. भूरे कहते हैं बिलासपुर अनोखा जिला है। जिले के आंगन में प्रदेश के सबसे अमीर और बैगा जैसे अति विपन्न आदिवासी लोग भी रहते हैं। यहां प्रदेश की अच्छी मेधाशक्तिनिवास करती है तो अशिक्षितों की संख्या भी कम नहीं है। किसी को तमाम सुख सुविधाएं हासिल हैं तो ज्यादातर लोगों के पास शौचालय तक नहीं है। औद्योगिक जगत में बिलासपुर का नाम है तो वहीं आदिवासी और गरीबों को अभी भी एक अदद घर की तलाश है। बिलासपुर जिला बैगा विकास प्राधिकरण का भी हिस्सा है। विषमताओं के साथ हम चुनौतियों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। शासन की विकास योजनाओं को उस घर तक पहुंचा रहे हैं जिनका इन पर अधिकार है। इस अभियान में समाज का हर वर्ग कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है।

                                                         डॉ.भूरे ने बताया शिक्षक परिवार से होने के कारण मुझे शिक्षकों की चुनौतियों का भी अहसास है। ग्रामीण अंचल के स्कूलों में शिक्षकों का अभाव है। नौकरी मिलने से पहले लोग कहीं भी काम करना पसंद करते हैं। बाद में उनके एटिट्यूट में बदलाव आ जाता है। सभी लोग शहर का हिस्सा बनना चाहते हैं। हमारे सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होने बताया कि मेरे पिता 75 किलोमीटर रोज यात्रा कर स्कूल जाते थे। शिक्षकों को सोचना होगा सबसे ज्यादा जिन्हें जरूरत है उन्हें प्राथमिकता के आधार पर अपनी सेवाएं दे। बहरहाल हम इन चुनौतियों को जल्द ही पूरा कर लेंगे। ग्रामीण अंचलों में शिक्षकों की कमी युक्तियुक्तकरण के बाद ठीक कर लिया जाएगा।

15 JUNE.15 006           डॉ.भूरे ने बताया कि काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए स्वस्फूर्त की भावना और मिशन मोड का होना जरूरी है। तभी हम चुनौतियों पर जीत हासिल कर पाएंगे। राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान और मनरेगा में बिलासपुर जिला को मिला सम्मान, मिशन मोड का ही करामात है। लेकिन अभी भी स्वच्छता अभियान में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। जो हुआ है वह अपर्याप्त है। जिले में एक लाख 67 हजार परिवार हैं जब तक सभी परिवार में शौचालय का निर्माण नहीं हो जाता तब तक यह सम्मान अधूरा है।

                                                        डॉ.भूरे ने बताया कि स्वच्छता अभियान को गति देने के लिए प्रतियोगिता कार्यक्रम किया गया। अब लोग कहने लगे हैं कि हमें ईनाम की जरूरत नहीं है। इससे जाहिर होता है कि लोगों ने स्वच्छता अभियान को ना केवल गंभीरता से लिया बल्कि जरूरतमंदों के लिए खुद के व्यय पर शौचालय बनाना शुरू कर दिया है। अब तक ऐसे 1100 शौचालय खुद के व्यय पर तैयार किये गये हैं। 600 परिवार में ऐसे शौचालय बन रहे हैं जिन्होने शासन से सहायता नहीं लिया है। यह सब स्वस्पूर्त और मिशन मोड का कमाल है।

            डॉ. भूरे ने बताया कि ग्रामीण बिलासपुर को कैसे सुदृढ़ बनाएं इस पर हमारी बराबर नज़र है। हमारी योजना है कि पंचायत जनप्रतिनिधि ग्रामीण विकास के लिए पांच साल की ठोस कार्ययोजना बनाए। ताकि शासन की राशि का बेहतर प्रयोग हो सके। इससे गांव शहर की ओर देखना बंद कर देगा। प्रशासन को राजस्व भी मिलेगा। यह राजस्व उन्हीं के विकास कार्यो पर खर्च होगा।

               डॉ. सर्वेश्वर ने सीजी वाल को बताया कि यहां रहते हुए अपनी टीम के सहयोग से आधे बिलासपुर जिले को खुले में शौच से रोक लिया तो यह मेरी सबसे बड़ी जीत होगी। उन्होंने कहा कि कुछ सामाजिक तो कुछ तकनीकि अड़चनों के चलते डेयरी विकास को अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सका है। इसे पूरा करने की इच्छा रखता हूं। बिलासपुर में बाहर से पचास हजार लीटर दूध आता है। शहर में एक लाख लीटर दूध की खपत है। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो एक दिन बिलासपुर का दूथ बाहर भी जाएगा। उन्होंने बताया कि ग्रामीण अंचलों में लायब्रेरी योजना का अच्छा परिणाम मिल रहा है। लक्ष्य है कि जिले के सभी पंचायतों में युवाओं को बेहतर अध्यय़न करने का अवसर मिले। यदि ऐसा हो गया तो विकास की मुहिम को पंख लग जाएंगे।

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