देश की विरासत में जम्मू-कश्मीर ने किया इजाफा

Chief Editor
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kashmir

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बिलासपुर। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा होने के साथ-साथ देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में अन्य राज्यों की भांति अहम भूमिका अदा कर रहा है यह बात जम्मू-कश्मीर फोरम के राज्य समन्वयक  ब्रजेंद्र शुक्ला ने अपने उद्बोधन के दौरान कहीं।

गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के रजत जयंती सभागार में सोमवार को  जम्मू-कश्मीर- मिथक एवं वास्तविकताएं विषय पर आयोजित हुई संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए उन्होंने जम्मू-कश्मीर राज्य के विषय में गहनता से चर्चा की। उन्होंने स्वतंत्रता से पूर्व एवं उसके पश्चात के कालखंडों में जम्मू-कश्मीर राज्य में हुई राजनीतिक गतिविधियों पर भी गहराई से अपनी बात रखी। जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख की आर्थिक, सामाजिक एवं सासंकृतिक जटिलताओं पर प्रकाश डालते हुए इस राज्य से जुड़े हुए मिथकों को भी दूर करने की चेष्टा की। श्री शुक्ला ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने एवं अनुच्छेद 370 पर भी अपनी राय बड़ी बेबाकी के साथ सभागार में मौजूद श्रोताओँ के बीच रखी।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जी डी शर्मा  ने हिंदुस्तान की सांस्कृतिक विरासत का हवाला देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर ने देश की इस विरासत में इजाफा किया है। उन्होंने कहा कि भारत एक युवा एवं उर्जावान देश है जिसमें अलगावादी ताकतों को खदेड़ने का माद्दा है।

जम्मू-कश्मीर- मिथक एवं वास्तविकताएं विषय पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अंजिला गुप्ता ने कहा कि हम जानकारी के अभाव में या गलत जानकारियों से घिरे होने की वजह से असल विषय को समझ नहीं पाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर के मुद्दे को उठाए जाने पर उन्होंने कहा कि यह प्रापेगेंडा है जो कुछ देशों के द्वारा भारत को आर्थिक एवं राजनीतिक नुकसान पहुंचाने की दृष्टि से किया जा रहा है।

इससे पहले राजनीति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम की समन्वयक प्रोफेसर अनुपमा सक्सेना ने  सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए संगोष्ठी के विषय से अवगत कराया। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष एसोसिएट प्रोफेसर सीएस वजलवार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर अच्युतानंद पंडा ने किया। इस अवसर पर विभिन्न संकायों के संकायाक्ष्यक्षगण, विभागाध्यक्षगण, शिक्षकगण, अधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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