अधीक्षण अभियंता को जानकारी नहीं…इंजीनियर को खबर नहीं..फिर किसने दी काम्पलेक्स निर्माण की अनुमति

BHASKAR MISHRA
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  बिलासपुर—तेलीपारा रोड स्थित नरेश बाजार के पीछे नियमों को ताक पर रखकर व्यवसायी काम्पलेक्स की बुनियाद रखी जा रही है। आश्चर्य की बात है कि निगम प्रशासन को इसकी खबर नहीं है। निश्चित रूप से इस बात में सच्चाई नहीं है। नगर निगम भवन शाखा अधीक्षण अभियंता जीएस ताम्रकार ने मामले में आश्चर्य जाहिर किया है कि तंग गली में काम्पलेक्स का निर्माण नियम को ताक पर रखकर नामुमकिन है। चुंंकी मामले की जानकारी उन्हें नही हैं। इंजीनियर को मौके भेजकर मौके की रिपोर्ट तैयार कर पेश करने को कहेंगे।पता लगाएंगे कि आखिर किन कारणों को ध्यान में रखकर आवासीय जमीन को व्यावसायिक मद में परिवर्तित किया गया है। किया भी गया है या नहीं..सारी बातों को रिपोर्ट में देखा जाएगा।

             
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                          बताते चलें कि  तेलीपारा रोड स्थित नरेश बाजार के पीछे व्यवसायिक जमीन काम्पलेक्स का निर्माण किया जा रहा है। खाली जमीन कुल 37 डिसिमिल है। जमीन की स्थिति मुख्य सड़क से करीब 100 मीटर अन्दर है। सड़क की कुल चौड़ाई मुश्किल से साढ़े पन्द्रह फिट है। सड़क को मिलन गली के नाम से जाना जाता है। सड़क के दोनों तरफ घना बाजार है। मौके पर पहुंचकर देखा जा सकता है कि जमीन को जमीन को सुनियोजित तरीके से खाली करवाया गया है।

              जमीन किसी रमेशचन्द्रखूबनानी की है…बताया जा रहा है खूबनानी का संबध नरेश बाजार से है। जानकारी के अनुसार खाली जमीन पर काम्पलेक्स का निर्माण किया जाएगा। काम भी तेजी से शुरू हो गया है। सूत्रों की मानें तो जमीन पहले आवासीय थी, अधिकारियों से सांठगांठ कर कमर्शियल मद में परिवर्तित किया गया है।

ताक पर पर नियम और कानून

             बताते चलें कि कमर्शियल काम्पलेक्स निर्माण की कुछ शर्तें होती  हैं। शर्तों का पालन करना बहुत ही जरूरी है। लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं है। सभी शर्तों को दरकिनार कर निगम प्रशासन ने निर्माणकी अनुमति दी है। नियम विरुद्ध किए जा रहे निर्माण के संबंध में भवन शाखा अधीक्षण अभियंता ताम्रकार को किसी प्रकार की जानकारी नहीं है। मामले में उहोंने इस मामले की जानकारी तो दूर अभी तक इंजीनियर ने भी जिक्र नहीं किया है। मामले की जानकारी उन्हें मीडिया से मिल रही है। विभाग के इंजीनियर को मौके पर भेजकर रिपोर्ट लाने को कहुंगा। क्योंकि शर्तों के खिलाफ काम्पलेक्स का निर्माण संभव नहीं है। यह भी पता लगाया जाएगा कि आखिर आवासीय जमीन को कामर्शियल मद में बदला क्यों गया। क्योंकि मौके पर काम्पेल्क्स का निर्माण संभव नहीं है। निर्माण की अनुमति किस आधार पर दी गई है, फाइल देखने के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल इंजीनियर सर्वेक्षण कार्य में है। आते ही जानकारी मांगूगा।

होगी परेशानी

                अधीक्षण अभियंता जीएस ताम्रकार ने बताया कि यदि सड़क पन्द्रह फिट चौड़ी है तो काम्पलेक्स निर्माण अनुमति का सवाल ही नहीं उठता है। मिलन गली काफी सकरा है। वहां पर घना बाजार और निजी दुकानें हैं। इसलिए सड़क के लिए जमीन अधिग्रहित करने में भारी दिक्कतें आएंगी। जाहिर सी बात है कि जरूर कुछ गड़बड़ है। फाइल देखने के बाद ही गड़बड़ी जानकारी मिलेगी।

विभागीय इंजीनियर से साठ गांठ

,सूत्रों की माने तो भवन शाखा के इंजीनियर को अवैध निर्माण की पूरी जानकारी है। नियम विरुद्ध बनाए जा रहे कांपलेक्स के बारे में भवन शाखा के इंजीनियर ने एक दिन पहले बताया कि मौके का निरीक्षण कर अधिकारियों को रिपोर्ट देंगे। लेकिन रिपोर्ट देना तो दूर अधीक्षण अभियंता को भी मामले में कुछ नहीं बताया है। जानकारी के अनुसार विभागीय इंजीनियर प्रयास कर रहा है कि काम्पलेक्स बनाने वाले मालिक को  किसी तरह बचाया जाए। क्योंकि पाइल खुलेगी तो काला पीला सब सामने आ जाएगा।

भ्रष्टाचार का दूसरा नाम नगर निगम

शहर के हृदय स्थल पर नियम को ताक पर रखकर व्यावसायिक कांपलेक्स का निर्माण किया जा रहा है। इसकी जानकारी न तो भवन शाखा के इंजीनियर को है और न ही अधीक्षण अभियंता ताम्रकार को। इससे साबित हो रहा है कि नगर निगम में भर्राशाही कितनी हावी है। सवाल उठना लाजिमी है कि यदि इन दोनों जिम्मेदार अधिकारियों को कांपलेक्स निर्माण की अनुमति के बारे में जानकारी नहीं है तो आखिर अनुमति किसने दी। क्योंकि बिना अनुमति काम्पलेक्स का निर्माण संभव नहीं है। सवाल यह भी है कि क्या आवासीय के बहाने काम्पलेक्स का निर्माण किया जा रहा है। यदि किया जा रहा है तो निगम कर क्या रहा है।

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